गेहूं की फसल के लिए अच्छे जल निकास वाली मध्यम दोमट मिट्टी उपयुक्त है : डॉ वीरेंद्र देव आर्य
BOL PANIPAT : 5 दिसंबर- विश्व मृदा दिवस के उपलक्ष में रविवार को कृषि एवं किसान कल्याण विभाग में कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें बोलते हुए उप कृषि निदेशक डॉ वीरेंद्र देव आर्य ने कहा कि गेहूं व सरसों रबी की मुख्य फसलें हैं,इसलिए गेहूं की फसल के लिए अच्छे जल निकास वाली मध्यम दोमट मिट्टी उपयुक्त है। पछेती बिजाई के लिए कम समय में तैयार होने वाली राज 3765 डब्ल्यू एच 10 21 और डब्ल्यूएच 11 24 की बिजाई करें।
पछेती बिजाई दिसंबर के तीसरे सप्ताह तक कर ले गेहूं की फसल की बिजाई के समय आधी नाइट्रोजन लगभग 65 किलोग्राम यूरिया डीएपी तथा 20 किलोग्राम पोटाश डालें तथा बची हुई नाइट्रोजन दो बराबर हिस्सों में बिजाई के समय 25 से 30 दिन व 45 से 50 दिन के अंतराल पर डालें।
उन्होंने बताया कि मिट्टी की जांच के आधार पर खाद देने से अच्छी आर्थिक लाभ मिलते है। यदि मिट्टी में पोटाश की कमी हो जाए तो गेहूं की फसल की बिजाई से पहले 6 टन गोबर की भली भांति गली सड़ी खाद या 3 टन मुर्गी के पडबे की खाद प्रत्येक एकड़ में डालने पर फास्फोरस की मात्रा आधी डालें। गेहूं की फसल में जिंक की कमी के लक्षण प्रकट होने पर जीरो पॉइंट 5% जिंक सल्फेट वह 2 पॉइंट 5% यूरिया का घोल बनाकर 15 15 दिन के अंतर पर छिड़काव करें उन्होंने बताया कि सरसों की फसल में सारी फास्फोरस 50 किलोग्राम एसएसपी 10 किलोग्राम जंग सल्फेट तथा 25 किलोग्राम यूरिया बिजाई से तुरंत पहले डालें तथा शेष 25 किलोग्राम यूरिया पहले पानी के साथ डालें। इस मौके पर भूमि परीक्षण अधिकारी सत्यवान गरेवाक ने मिट्टी के नमूने लेने बारे एवं अनुमोदित मात्रा से ज्यादा खाद व जहर फसलों में डालने से होने वाले नुकसान के बारे में अवगत कराया। इसके अतिरिक्त उन्होंने हरियाणा सरकार की मिट्टी परीक्षण से संबंधित योजनाओं के बारे में भी बताया।
सहायक पौधा संरक्षण अधिकारी राजेश भारद्वाज ने गेहूं सरसों की फसल में लगने वाले कीड़े बीमारियों के बारे में बताया।इस मौके पर जयभगवान गहलावत,सतेंद्र, तकनीकी सहायक राजीव व बिजेंद्र, खंड कृषि अधिकारी सतीश कुमार इत्यादि भी उपस्थित रहे।
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