नैनो यूरिया (तरल) साबित होगा मील का पत्थर- सारवान
BOL PANIPAT , 18 दिसम्बर। उपायुक्त सुशील सारवान ने कहा है कि किसान लिक्विड यूरिया अपनाएं। उन्होंने कहा कि भारतीय कृषि व उर्वरकों के आयात में कमी लाने में इफको नैनो यूरिया मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने किसानों का आवाहन करते हुए कहा कि वे अपने खेतों में नैनो यूरिया का इस्तेमाल करके उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी करें। उन्होंने बताया कि इफको द्वारा देशभर के अनुसंधान केंद्रों व खेतों में विभिन्न फसलों पर 11000 से अधिक क्षेत्रों में ट्रायल किया गया था। इस ट्रायल में सामान्य यूरिया की मात्रा में 50% कमी करते हुए नैनो यूरिया तरल का प्रयोग किया गया। इन सभी फसलों में नैनो यूरिया के उत्साहवर्धक परिणाम सामने आए, जिसके बाद इसे भारत सरकार द्वारा स्वीकृति दे दी गई।
उन्होंने बताया कि नैनो यूरिया की आधा लीटर मात्रा एक बोरा सामान्य यूरिया के बराबर काम करेगी । सामान्य यूरिया के फसल में प्रयोग करने पर पौधों को नाइट्रोजन 30 से 35% मात्रा ही मिलती है, शेष नाइट्रोजन की मात्रा वायु, मृदा, भूमिगत जल को प्रदूषित करती है। परंतु नैनो यूरिया के प्रयोग करने पर पौधों को नाइट्रोजन की 85% मात्रा उपलब्ध होगी जिससे कृषि लागत में कमी आएगी । उपज में वृद्धि होने से किसानों की आमदनी में वृद्धि होगी और इससे उत्पादन की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।
इफको नैनो यूरिया की विशेषता यह है कि नैनो यूरिया एक मेड इन इंडिया उत्पाद है इसके उत्पादन व उपयोग से देश को उर्वरक क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सहायता मिलेगी। इसको द्वारा विश्व में पहली बार नैनो यूरिया किसानों को उपलब्ध करवाया जा रहा है। यह पर्यावरण हितैषी होने के साथ-साथ उर्वरक के आयात पर होने वाले खर्चों में भी कटौती करने में सहायक होगा। इसके अलावा, किसानों को अब 45 किलोग्राम यूरिया के थैले को ले जाने की आवश्यकता नहीं होगी। इसके लिए इफको नैनो यूरिया तरल की 500ML की बोतल अर्थात आधा लीटर ही पर्याप्त होगा।
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