हादसे के बाद उठे सवाल ? क्या डायल 112 पुलिस वाहन गंभीर मरीजों को अस्पताल तक ले जाने के लिए सुरक्षित है?
BOL PANIPAT : पानीपत के चंदौली गांव में बारिश की वजह से सड़क पर फिसलन होने की वजह से एक मोटरसाइकिल फिसल गई जिसकी वजह से मोटरसाइकिल पर सवार 19 वर्षीय शौकीन 14 वर्षीय आरिफ और 7 वर्षीय शौकीन सड़क पर गिर गए . पक्की सड़क पर गिरने की वजह से उन्हें गंभीर चोटें आई और वह खून से लथपथ हालत में लगभग बेहोश हो गए . हादसे की सूचना कंट्रोल रूम डायल 112 पर दी गई इसके बाद नजदीकी क्षेत्र में घूम रही 112 नंबर की गाड़ी मौके पर पहुंची और तीनों घायलों को 112 नंबर की
पुलिस वाहन में ही पानीपत के सामान्य अस्पताल की तरफ लेकर चल पड़ी.
इस बीच सामान्य अस्पताल से एक एंबुलेंस भी रास्ते में पहुंच गई जिसके बाद डायल 112
पुलिस वाहन से घायलों को एंबुलेंस में शिफ्ट किया गया. घायलों को पानीपत के सामान्य अस्पताल में ले जाया गया जहां 7 वर्षीय बच्चे की हालत नाजुक होने के चलते उसे प्राथमिक उपचार के बाद खानपुर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया. प्राप्त जानकारी के अनुसार पानीपत के निजी अस्पताल में ही परिजन बच्चे का इलाज करा रहे हैं.
इस बीच घायलों की गंभीर स्थिति को लेकर इस बारे में सूचना यह भी है कि एम्बुलेंस चालक व 112 नम्बर वाली गाड़ी के संचालक के बीच घायलों को अस्पताल तक ले जाने के लिए बहस भी हुई. एम्बुलेंस चालक समय की दुहाई देकर घायलों को 112 नम्बर वाली गाड़ी से ही अस्पताल ले जाने की बात कहते रहे परन्तु डायल 112 पुलिस वाहन वाले कर्मचारियों ने एम्बुलेंस को ही अस्पताल तक घायलों को पहुंचाने के लिए सुरक्षित मान कर घायलों को इसमें शिफ्ट कर दिया।
हालांकि डायल 112 के द्वारा घायलों को अस्पताल पहुंचाने के लिए कड़ी मशक्कत की गई और बीच रास्ते घायलों को एम्बुलेंस में शिफ्ट किया गया . परंतु बड़ा सवाल यह है कि क्या डायल 112 पुलिस वाहन गंभीर मरीजों को अस्पताल तक ले जाने के लिए सुरक्षित है? इस विषय में जब विशेषज्ञों से बात की गई तो उन्होंने इस बात को सिरे से नकारते हुए बताया डायल 112 द्वारा संचालित पुलिस वाहन में ना तो ऑक्सीजन सपोर्ट होता है और ना ही कोई लाइफ सपोर्ट इक्विपमेंट होता है। न ही ऐसे कर्मचारी तैनात होते हैं जिन्हें मेडिकल इमरजेंसी वाले केस को कैसे हैंडल करना है इसकी ज्यादा जानकारी होती है. ऐसे वाहन का उपयोग घायलों को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए सिर्फ ऐसी परिस्थिति में किया जा सकता है जब एम्बुलेंस मौजूद न हो। परन्तु यदि मौके पर या रास्ते में लाइफ सपोर्ट इक्विपमेंट से लैस एंबुलेंस उपलब्ध हो जाए तो सीरियस मरीजों/ घायलों को तुरंत एंबुलेंस के द्वारा अस्पताल तक पहुंचाना ही अधिक सुरक्षित माना जाता है। सामान्य वाहन से गंभीर मरीजों या घायलों को अस्पताल तक ले जाना उनकी जान के लिए खतरनाक है। विशेषज्ञों का कहना है कि एंबुलेंस में तैनात कर्मियों को फर्स्ट ऐड की ट्रेनिंग भी दी गई होती है और प्रत्येक एंबुलेंस में फर्स्ट एड किट भी मौजूद रहती है। ऐसी परिस्थितियों में एंबुलेंस कर्मी मरीजों की एंबुलेंस में उचित देखभाल कर सकते हैं क्योंकि उन्हें इसकी ट्रेनिंग दी गई होती है। इसलिए एंबुलेंस को प्रेफरेंस देनी चाहिए।
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