Sunday, October 6, 2024
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अनोपयोगी खाली पड़ी जमीन को मनरेगा योजना से बनाया जाएगा सिंचाई योग्य: विवेक चौधरी

By LALIT SHARMA , in Business DIPRO PANIPAT PRESS RELEASE , at December 3, 2021 Tags: , , ,

BOL PANIPAT : 3 दिसम्बर। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत मनरेगा योजना को लेकर खण्डों में ऐसी भूमि चिन्हित की गई है जो पिछले काफी समय से अनोपयोगी और खाली पड़ी है। इन जमीनों को मनरेगा योजना के तहत ठीक करके कृषि योग्य बनाया जाएगा ताकि पंचायतों की आमदनी बढ़ाई जा सके। इसी को लेकर खौतपुरा व बडौली गांव में विभिन्न कार्यो का उद्घाटन जिला परिषद के सीईओ विवेक चौधरी द्वारा किया गया और मौके पर ही श्रमिकों को जॉब कार्ड भी वितरित किए गए।

इस मौके पर जिला परिषद के अतिरिक्त सीईओ और एचसीएस अधिकारी राजेश कुमार सोनी, बीडीपीओ पानीपत पूनम चंदा, मनरेगा पीओ रणसिंह वर्मा, एबीपीओ संदीप, एसईपीओ नीरज, ग्राम सचिव ममता, जेई सुनील, पूर्व सरपंच विनोद, संजीव मुकेश व अन्य ग्रामवासी भी उपस्थित थे।

जिला परिषद के सीईओ विवेक चौधरी ने जानकारी देते हुए बताया कि ग्राम स्तर पर काफी लम्बे समय से काफी सारी भूमि खाली और अनोपयोगी पड़ी है जिससे पंचायत को कोई आमदनी नही हो रही। जिला के सभी खण्डों में इन भूमियों को चिन्हित किया गया है ताकि मनरेगा योजना के तहत विकास कार्य करवाकर भूमि को कृषि योग्य करके पंचायतों की आमदनी को बढ़ाया जा सके।

शुक्रवार को सभी खण्डों में इन कामों की शुरूआत की गई है। उन्होंने बताया कि जलमाना, इसराना, धर्मगढ़, बडौली, खौतपुरा और छाजपुर कलां में मनरेगा के तहत काम करवाए जाएंगे। इसके लिए मौके पर ही मनरेगा लेबर जॉब कार्ड इत्यादि तैयार किए जाएंगे और इन सभी के लिए नोडल अधिकारी भी लगाए गए हैं जो मौके पर सम्पूर्ण कार्य देखेंगे।

विवेक चौधरी ने बताया कि मनरेगा योजना भारत सरकार की महत्वपूर्ण योजना है जिसके तहत अकुशल श्रमिकों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध करवाया जाता है। इसके तहत काफी कार्य आते हैं। इनमें खाली और फैलोलेंड को कवर किया जाएगा। प्रत्येक खण्ड में सात एकड़ जमीन चिन्हित की गई है। पहले चरण में सभी खण्डों की 42 एकड़ जमीन चिन्हित की गई है।

इन जमीनों में से सबसे पहले खड़ी खरपतवार को नष्ट करवाया जाएगा। मिट्टी का उसी स्थान पर लेवल किया जाएगा और सिंचाई की व्यवस्था करवाकर उसे सिंचाई योग्य बनवाया जाएगा और इसके बाद सम्बंधित पंचायत को इसे सौंप दिया जाएगा। पंचायत को देने के बाद पंचायत अपने स्तर पर इसकी बोली कर सकती है ताकि उसकी आमदनी हो सके। इसमें करीब 15 हजार 500 मानव दिवसों का सृजन किया जाएगा।

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