गीता के उपदेश को समझकर ही हम अनेक ऊचाईयों को छू सकते हैं: महिपाल ढांडा
BOL PANIPAT , 13 दिसम्बर। अन्र्तराष्ट्रीय गीता महोत्सव के तहत जिला स्तरीय गीता महोत्सव के अन्र्तगत आर्य कॉलेज के सभागार में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार के इस कार्यक्रम का शुभारम्भ ग्रामीण विधायक महिपाल ढांडा व जिला उपायुक्त सुशील सारवान एवं अन्य गणमान्य लोगों द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया। जिला उपायुक्त सुशील सारवान ने महिपाल ढांडा का पुष्प गुच्छ भेट कर स्वागत किया।
महिपाल ढांडा ने अपने सम्बोधन में कहा कि आज का युग गीता को अपने मन अन्र्तगण बैठाने वाला है। गीता के उपदेश को समझकर ही हम अनेकों ऊचाईयों को छू सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने बड़े मन के साथ यह निर्णय लिया है कि गीता के श्लोकों की गूंज हर घर तक गूंजनी चाहिए।
मनुष्य को अपना अहंकार त्याग कर अच्छा जीवन जीने के लिए विद्वानों से ज्ञान अवश्य लेना चाहिए जिससे हमारा भविष्य एक सार्थक दिशा की ओर बढ़े। उन्होंने कहा कि जब हमारे शरीर से अहंकार नामक बिमारी का त्याग हो जाता है तब हम हर कार्य को अच्छे ढंग से करने में सक्षम हो जाते हैं। इसी कड़ी में उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि यह वेदों में भी लिखा है कि अगर हम अच्छे कार्य करते हैं तो हमारे अन्दर परमात्मा का निवास अपने आप होता है अर्थात हमारा मन ही परमात्मा रूपी हो जाता है। सेमिनार में मुख्य वक्ता के रूप में पहुंचे डॉ. प्रीतम सिंह ने अपने सम्बोधन में कहा कि मोह द्वंद्व का समाधान श्रीमदगवद गीता है। श्रीमद्भगवद गीता में हर समस्या का समाधान है। श्रीमद्भगवद गीता केवल समस्याओं का समाधान तो बताती ही है बल्कि हमारे गौरवशाली भारतवर्ष की सीमाओं के बारे में भी जानकारी इसमें उल्लिखित है। उन्होंने कहा कि गीता का प्राकट्य जिस युद्ध भूमि में हुआ, उस महाभारत के युद्ध मे यवन, गांधार ही नहीं सिंघल प्रदेश के राजा भी शामिल हुए थे।
उन्होंने कहा कि आज के युग में जातिय भेदभाव, धर्म भेदभाव आदि कुरीतियों म के कारण लोग बंट रहे हैं इसलिए इन सब कुरीतियों से छुटकारा पाने हेतु हम सबने मिलकर गीता के उपदेश को अपने मन में समाहित करने की आवश्यकता है।
सेमिनार में हिमाचल प्रदेश के केंद्रीय विश्विद्यालय के चांसलर डॉक्टर एच.एम.बेदी ने कहा कि गीता दक्षिण एशिया के देशों को दिशा दिखा रही है। उन्होंने कहा कि इतिहास इस बात का गवाह है कि पुराने समय में भी दूसरे देशों के लोग हमारे देश में पढऩे आते थे। उन्होंने कहा कि हाल ही में संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी गीता ग्रंथ को सांसारिक हेरिटेज में तीसरे नम्बर पर चुना है जो हमारे लिए गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि गीता के बिना हमारे देश का इतिहास भी लिखना और समझना सूर्य को दीपक दिखाने वाली जैसी बात है।
जाने माने रंगकर्मी संजीव लखनपाल ने कहा कि आने वाली पीढिय़ों को गीता को पढऩा ही नही अपितु उसको समझना भी है और उन विचारों को अपने जीवन में समाना है। उन्होंने गीता के उपदेश की व्याख्या करते हुए कहा कि हमें भी अपने जीवन रूपी युद्ध में किसी भी बड़ी से बड़ी समस्या से निपटने के लिए हर समय तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि गीता में लिखा है कि मनुष्य का केवल अपने कर्मो पर ही अधिकार है इसलिए उसे अपने कर्म ही करने चाहिए, फल की इच्छा नही करनी चाहिए।
सेमिनार में उत्तर प्रदेश के पूर्व गृह सचिव एमपी मिश्रा ने कहा कि यह बड़े ही हर्ष की बात है कि हरियाणा सरकार द्वारा गीता महोत्सव का अन्र्तराष्ट्रीय स्तर पर प्रचार किया जा रहा है। यह पूरे भारत देश के लिए भी एक गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि हम सबने मिलकर गीता ग्रंथ को दुनिया के सभी ग्रंथों में प्रथम स्थान पर लाना है, ऐसे लक्ष्य के साथ हम सबने मिलकर कार्य करना है। उन्होंने कहा कि हम सबने अभिमान से ऊपर उठकर हमेशा अच्छे कार्यो से सम्बंध रखना चाहिए क्योंकि जो इस दुनिया में आया है वह सब वापिस जा रहा है।
शहर की प्रमुख संस्था सबको रौशनी फाउंडेशन और वृंदावन ट्रस्ट के संरक्षक विकास गोयल ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि गीता ही हम सबको अच्छा जीवन जीने का सूत्र सिखाती है। इसलिए हम सबको मिलकर प्रयास करना चाहिए कि आने वाली पीढिय़ों के अच्छे भविष्य के लिए गीता ग्रंथ का प्रचार और तेजी से करना चाहिए। इस अवसर पर अतिरिक्त उपायुक्त वीना हुड्डा, सीईओ जिला परिषद विवेक चौधरी, सीटीएम रविन्द्र मलिक, डीआईपीआरओ कुलदीप बांगड़, कृष्ण कृपा एवं जीओ गीता पानीपत के संयोजक सूरज दुरेजा, अनिल मदान, कृष्ण नारंग, कुंवर रविन्द्र सैनी सहित शहर के विभिन्न धार्मिक व सामाजिक संगठनों के गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया।
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