साइबर अपराध पर लगाम कसने को लेकर सरकार व पुलिस विभाग सक्रिय.टेलीकॉम कंपनियों ने नागरिकों को जागरूक करने के लिए दिए अहम सुझाव.
-भारत सरकार के संचार मंत्रालय और पुलिस विभाग के संयुक्त तत्वाधान में सेमिनार आयोजित
-ऑनलाइन फ्रॉड और डिजिटल अरेस्ट जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए जागरूकता की आवश्यकता
-संचार साथी पोर्टल निभा सकता है अहम भूमिका
BOL PANIPAT , 10 सितंबर। भारत सरकार के संचार मंत्रालय और पुलिस विभाग के संयुक्त तत्वाधान में बुधवार को जिला सचिवालय सभागार में साइबर अपराध रोकथाम को लेकर एक महत्वपूर्ण सेमिनार आयोजित किया गया। इस सेमिनार का उद्देश्य नागरिकों को जागरूक करना और दूरसंचार संसाधनों के दुरुपयोग को रोकना था।
सेमिनार में कई टेलीकॉम कंपनियों के प्रतिनिधि, विभागीय अधिकारी और पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। वक्ताओं ने विस्तारपूर्वक चर्चा करते हुए बताया कि किस तरह तेजी से बढ़ रहे ऑनलाइन फ्रॉड और डिजिटल अरेस्ट जैसी चुनौतियों से निपटा जा सकता है।
सेमिनार में भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के दूरसंचार विभाग में डिप्टी डायरेक्टर जनरल राधा चरण शाक्य ने कहा कि ऑनलाइन ठगी और डिजिटल धोखाधड़ी के मामलों में दूरसंचार विभाग रोकने को लेकर लगातार सक्रिय भूमिका निभा रहा है। उन्होंने अपडेट देते हुए बताया कि किस तरह से साइबर अपराधियों पर निगरानी रखी जा रही है और फर्जी कॉल, फर्जी लिंक व संदिग्ध आईडी की पहचान कर तुरंत कार्रवाई की जा रही है।
सेमिनार में पुलिस अधीक्षक भूपेंद्र सिंह आईपीएस ने साइबर अपराध की तकनीकी प्रक्रिया पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कैसे तकनीक के उपयोग से अपराधियों तक पहुंच संभव है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे किसी भी संदिग्ध कॉल, मैसेज या लिंक को नजरअंदाज न करें और तुरंत पुलिस साइबर सेल को सूचित करें। सेमिनार में उन्होंने कई महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए। टेलीकॉम कंपनियों को अपडेट करने को लेकर भी उन्होंने अपनी राय दी।
सेमिनार में वोडाफोन-आइडिया, बीएसएनएल और एयरटेल कंपनियों के प्रतिनिधियों ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने बताया कि टेलीकॉम कंपनियां लगातार अपने सिस्टम को और सुरक्षित बना रही हैं ताकि फर्जीवाड़े को रोका जा सके। प्रतिनिधियों ने कहा कि उपभोक्ताओं की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और इसके लिए सख्त व तकनीकी रूप से मजबूत कदम उठाए जा रहे हैं।
पुलिस विभाग की साइबर सेल की ओर से भी कुछ सुझाव दिए गए। सेल के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि अगर बीएसएनएल की तरफ से भी रिप्लाई समय पर मिले तो साइबर अपराध पर काबू पाया जा सकता है इस प्रक्रिया को थोड़ा सा हल्का करने की जरूरत है। सेमिनार में कितने कनोजी लगाने की आवश्यकता है पर भी चर्चा हुई।
सेमिनार में यह निष्कर्ष निकला कि साइबर अपराधों से बचाव केवल सरकारी तंत्र या टेलीकॉम कंपनियों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि नागरिकों को भी सतर्क और जागरूक रहना होगा। यदि उपभोक्ता थोड़ी सतर्कता बरतें तो अधिकतर साइबर अपराधों से बचा जा सकता है।
सेमिनार में अधिकारियों ने कहा कि साइबर क्राइम रोकने के लिए “संचार पोर्टल” महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इस पोर्टल के माध्यम से न केवल शिकायत दर्ज की जा सकती है, बल्कि साइबर ठगी की घटनाओं पर तुरंत कार्रवाई भी संभव है।
सेमिनार में वक्ताओं ने एकमत होकर कहा कि साइबर सुरक्षा को लेकर सामूहिक प्रयास ही सबसे बड़ा हथियार है। सरकार, पुलिस, टेलीकॉम कंपनियां और आम नागरिक मिलकर ही इस खतरे पर अंकुश लगा सकते हैं।
इस मौके पर डीएसपी सतीश वत्स,टेली कम्युनिकेशन के निदेशक संचित गर्ग के अलावा वोडाफोन एयरटेल आइडिया, बीएसएनएल के प्रतिनिधि मौजूद रहे।
Comments