-कॉलेज में आयोजित आँखों की जांच के मेगा शिविर में सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने करवाई आँखों की मुफ्त जांच
-एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में राष्ट्रीय सेवा योजना सात दिवसीय विशेष आवासीय कैंप का चौथा दिन
-दृष्टि में थोड़े से परिवर्तन पर भी हमें आँखों के डॉक्टर से तुरंत मिलना चाहिए: डॉ आशिमा बजाज
BOL PANIPAT , 21 मार्च. एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा आयोजित सात दिवसीय विशेष आवासीय कैंप के चौथे दिन विविध गतिविधियों का आयोजन किया गया जिसमे कॉलेज के एनएसएस कार्यकर्ताओं, छात्र-छात्राओं एवं स्टाफ सदस्यों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया । इस अवसर पर आँखों की जांच के मेगा शिविर का आयोजन किया गया जिसमे सैकड़ों छात्र-छात्राओं की आँखों की जांच की गई । कैंप की विधिवत शुरुआत कॉलेज प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा, कॉलेज एनएसएस प्रभारी डॉ राकेश गर्ग और डॉ संतोष कुमारी ने की । विदित रहे कि एसडी पीजी कॉलेज विगत कई वर्षों से स्वास्थ्य जांच एवं ऐसे ही अन्य शिविरों का नियमित आयोजन करता आ रहा है । कैंप की मुख्य अतिथि बजाज ऑय सेंटर से डॉ आशिमा बज़ाज रही जिन्होनें नेत्र जांच कर मुफ्त में दवाईयां भी वितरित की । उनके साथ सावन सैन एवं सलमान ओपीटीएम, अकरम पीआरओ और ओपीडी स्टाफ से शीतल ने कैंप में अपनी भूमिका निभाई । कैंप के उपरान्त एनएसएस कार्यकर्ताओं ने राजा खेडी गाँव में जाकर सफाई अभियान चलाया और ग्रामीणों को बीमारियों से बचने के नुस्खे बताये ।

डॉ आशिमा बजाज ने कहा कि हमें अपने परिवार के स्वास्थ्य इतिहास से अवगत रहना चाहिए क्यूंकि अनेकों कारणों में से कोई भी दृष्टि को नष्ट करने वाले नेत्र रोगों के जोखिम को बढ़ाता है । मधुमेह और उच्च रक्तचाप डायबिटिक रेटिनोपैथी, मैक्युलर डीजेनरेशन और आई स्ट्रोक से दृष्टि हानि का कारण बन सकते हैं । यदि हम अपनी दृष्टि में परिवर्तन देखना शुरू करते हैं तो हमें अपने ऑप्टिशियन से तुरंत मिलना चाहिए । हमें आँखों की संभावित रूप से गंभीर समस्याओं के अन्य संकेत एवं लक्षण पर तुरंत ध्यान देना चाहिए । नियमित व्यायाम जैसे कि तेज़ चलना, उम्र से संबंधित मैक्युलर डीजेनरेशन के जोखिम को 70 प्रतिशत तक कम कर सकता है । एंटीऑक्सिडेंट संभवतः मोतियाबिंद के जोखिम को कम कर सकते हैं । ये एंटीऑक्सिडेंट फलों और रंगीन या गहरी हरी सब्जियों की भरपूर मात्रा वाले आहार लेने से प्राप्त होते हैं ।
डॉ अनुपम अरोड़ा ने कहा कि हमें आंखों को स्वस्थ रखने के लिए भोजन में हरी सब्जियों, फलों, दूध और दुग्ध उत्पादों को शामिल करना चाहिए । हमें छह से आठ घंटे की आरामदायक नींद लेनी चाहिए । यह हमारी आंखों को प्राकृतिक तरीके से तरोताजा रखने में सहायता करती है । हमें धूल-मिट्टी और सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणों से बचने के लिए बाहर निकलते समय अच्छी गुणवत्ता का चश्मा लगाना चाहिए ।
डॉ राकेश गर्ग एनएसएस अधिकारी ने कहा कि जब आँखों के स्वास्थ्य की बात आती है तो धूम्रपान करने वाले लोगों में उम्र से संबंधित मैक्युलर डीजेनरेशन, मोतियाबिंद, यूवेइटिस और आँखों की अन्य समस्याओं के बढ़ने का अधिक खतरा होता है । आँखों की चोटों को रोकने में मदद करने के लिए उपकरणों के साथ काम करने या सक्रिय खेलों में भाग लेने पर सुरक्षा चश्मा भी हमें पहनना चाहिए ।
इस अवसर पर डॉ मुकेश पुनिया, प्रो मनोज कुमार, प्रो पवन कुमार, दीपक मित्तल तथा अन्य स्टाफ सदस्य मौजूद रहे ।
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