Saturday, April 19, 2025
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शिक्षा, भिक्षा और दीक्षा तीन चीजें संत बनने के लिए जरूरी : स्वामी दयानन्द सरस्वती जी महाराज


BOL PANIPAT : श्री संत द्वारा हरि मन्दिर, निकट सेठी चौक, पानीपत के प्रांगण में नव विक्रमी सम्वत 2082 के उपलक्ष्य के अवसर पर परम पूज्य 1008 स्वामी दयानन्द सरस्वती जी महाराज (मुरथल वाले) की अध्यक्षता में संत समागम कार्यक्रम के प्रथम दिवस पर महाराज श्री ने प्रवचन करते हुए कह कि पहले संत बनने के नियम थे, संत को पहले शिक्षा प्राप्त करनी पड़ती थी फिर उसको भिक्षा मिलती थी और फिर उसको दीक्षा मिलती थी। शिक्षा, भिक्षा और दीक्षा तीन चीजें संत बनने के लिए जरूरी थी। इससे परमात्मा की जो टेढ़ी कलम होती थी वह भी सीधी हो जाती थी। बहुत बड़े संत के पास के पास कोई पहुँचा उसने कहा मैं मंदिर नहीं जाता, भगवान का नाम नहीं लेता और व्यापार में बेईमानी भी नहीं करता। तो मुझे सत्संग में आने की क्या जरूरत है। तो संत ने कहा कि एक कागज और कलम लाओ। फिर संत ने कहा कि इस पर पांच शून्य बनाओ, फिर संत ने युवक से पूछा कि पांच शून्यों की कीमत क्या है तो युवक ने कहा कि यह शून्य है। इस पर उन्होंने कहा कि इन शून्यों के पीछे सत्संग प्रसादी रूप में एक लगाओ तो इसकी कीमत बनेगी। इसलिए सत्संग जीवन में जरूरी है उसके बगैर जीवन में किये हुए सभी कायों का केाई मूल्य नहीं है। इससे पूर्व मुख्य अतिथि तुषार गुलियानी और चिराग पुनियानी और ने दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर प्रधान रमेश चुघ, हरनाम चुघ, किशोर रामदेव, दर्शन रामदेव, पवन चुघ, उत्तम आहूजा, ईश्वर लाल रामदेव, कर्म सिंह रामदेव, शाम सपड़ा, गोल्डी बांगा, सौरभ कत्याल, हरनारायण जुनेजा, सोनू खुराना, मिक्की जुनेजा, अमर वधवा, ओमी चुघ,  अमरजीत सपड़ा, प्रवेश रेवड़ी, मोहन रामदेव, गोपी मंहदीरत्ता, गुलशन नन्दवानी, जगदीश चुघ सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

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