प्रसिद्ध समाज सेविका कंचन सागर को समाज सेवा में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए मानद डॉक्टरेट (Honorary Doctorate) की उपाधि प्रदान की गई : श्वेता मिगलानी
BOL PANIPAT :
अपना ज़माना आप बनाते हैं अहल-ए-दिल
हम वो नहीं कि जिन को ज़माना बना गया
-जिगर मुरादाबादी
कितना सच कहा गया है!
पुरस्कार सभी को खुशी देते हैं। सम्मान और उसकी चमक से सराबोर होकर हर किसी को सुकून मिलता है।
परंतु ये सब आसान नहीं होता।अपनी ज़िंदगी होम करनीं पड़ती है, अपनी ख़्वाहिशें,आराम, सुकून सब त्याग कर निरन्तर आगे बढ़ना होता है।
समाज सेवा में अड़तीस वर्ष होने पर विश्व संस्कृति एवं पर्यावरण संरक्षण आयोग,
नई दिल्ली की ओर से प्रसिद्ध समाज सेविका कंचन सागर को समाज सेवा में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए मानद डॉक्टरेट (Honorary Doctorate) की उपाधि प्रदान की गई है।
यह जानकारी श्वेता मिगलानी ने दी।
कंचन सागर ने इस का सारा श्रेय सब से पहले अपने इष्टदेव, स्वर्गीय माता-पिता, स्वर्गीय सास-ससुर,फिर पति विद्या सागर भाटिया,अपने बच्चों, अपनी पोती आराध्या सागर,दोनों परिवारों के भाई – बहनों,सगे-सम्बन्धियों, सखी-सहेलियों, इनरव्हील कल्ब पानीपत मिडटाउन, नारी कल्याण समिति,डा.रमा शर्मा ,डा.अनु कालड़ा व मीडिया को दिया है।
महशर बदायूंनी ने क्या खूब कहा है जो इन पर सटीक बैठता है।
“अब हवाएँ ही करेंगी रौशनी का फ़ैसला
जिस दिए में जान होगी वो दिया रह जाएगा।”
कंचन सागर ने अपनी समाज सेवा की यात्रा में बहुत-सी यादें संजोकर रखीं हैं।
डा.अनु कालड़ा ने उनके कौशल, कार्य अनुभव की जानकारी वहॉं भेजी। इस पूरी प्रक्रिया में कुछ समय लगा फिर जापान से डा.रमा शर्मा ने अपनी अन्तर्राष्ट्रीय पत्रिका “हिन्दी की गूँज” से कंचन सागर से सम्बंधित सारे दस्तावेज़ संकलित कर के भेजे और अब उन्हें यह उपाधि प्रदान की गई।
कंचन सागर को महफूजुर्रहमान आदिल का यह शेर इस वक़्त बहुत याद आ रहा है….
“वक़्त की गर्दिशों का ग़म न करो
हौसले मुश्किलों में पलते हैं।”
यह जानकारी श्वेता मिगलानी ने दी।

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