एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में राष्ट्रीय सेवा योजना विशेष आवासीय कैंप का पांचवां दिन
–विश्व जल दिवस के अवसर स्वयंसेवकों ने उठाई जल संरक्षण की शपथ
–हर पात्र युवा को निरंतर और बेखौफ मतदान का प्रण लेना चाहिए: मनोज कुमार
–जल संचयन के लिए समाज को नई आचार संहिता का निर्माण करना होगा: डॉ अनुपम अरोड़ा
BOL PANIPAT , 22 मार्च, एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में राष्ट्रीय सेवा योजना विशेष आवासीय कैंप के पांचवें दिन मुख्य अतिथि खेल और युवा मंत्रालय एनएसएस निदेशालय नई दिल्ली से फील्ड ऑफिसर मनोज कुमार ने शिरकत की और स्वयंसेवकों को नियमित मतदान एवं जल संरक्षण के बारे में मार्गदर्शित किया । उनके साथ सतबीर चड्ढा भी कैंप का हिस्सा बने । मेहमानों का स्वागत प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा, प्रोग्राम ऑफिसर डॉ राकेश गर्ग और डॉ संतोष कुमारी ने पुष्प-रोपित गमलें भेंट करके किया । विश्व जल दिवस के अवसर पर स्वयंसेवकों ने जल संरक्षण की शपथ ली और साथ ही नियमित और निर्भीक मतदान करने का प्रण लिया । एनएसएस स्वयंसेवकों ने रैली निकालकर समाज में पानी को बचाने का सन्देश दिया । कॉलेज में पौधारोपण की विशेष ड्राइव भी चलाई गई ।

मनोज कुमार फील्ड ऑफिसर ने कहा कि भारत एक युवा देश है और भारत का भविष्य युवाओं के हाथो में है किन्तु दुःख की बात है की बहुत से युवा वोट के अधिकार का इस्तेमाल नहीं करते और कह देते है कि इससे क्या फर्क पड़ता है । आज से 70 साल पहले भारत अंग्रेजो के अधीन था तथा तब और अब में यही फर्क है कि तब हमें वोट डालने और हमारी पसंद कि सरकार चुनने का अधिकार नहीं था । आज अगर है तो हम इसका इस्तेमाल करना नहीं चाहते जो निहायत अफ़सोस की बात है । देश के शहीदों ने इस एक अधिकार के लिए अपने प्राण लुटा दिए । वोट में सरकार बनाने और हटाने – दोनों की शक्ति है । आजादी के कष्टों के मुकाबले वोट की लाइन में खड़े होने का कष्ट बहुत ही थोडा है । विडम्बना यही है कि जो चीज़ इंसान को आसानी से मिल जाती है उसकी कद्र वह कभी नहीं करता । औरतों को भी इस देश ने वोट डालने का अधिकार शुरू से ही दिया है । सरकार से शिकायत करने का नैतिक हक भी वही नागरिक रखता है जिसने वोट के अधिकार का प्रयोग किया हो । राजनीतिक दल भी उन्ही लोगो की परवाह करते है और उन्ही के लिए नीतियां बनाते है जो सक्रीय मतदाता होते है । इसलिए अगर हम चाहते है कि सरकार सभी के कल्याण की नीतियाँ बनाये तो हमें वोट डालना ही होगा । वोट डालना पेड़ लगाने से भी ज्यादा जरुरी है । जो भी युवा 18 वर्ष की आयु को प्राप्त कर गया है उसे यह प्रण लेना होगा कि वह वोट के अधिकार का निरंतर और बेखौफ प्रयोग करेगा । उन्हे जीवन में वयस्क होते ही सबसे ज्यादा ज़िम्मेदारी का कार्य सौंपा गया है और अब देखना सिर्फ यह है कि वे इस ज़िम्मेदारी पर कितने खरे उतरते है ।
डॉ अनुपम अरोड़ा ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि जल ही जीवन का आधार है इसलिए जल संरक्षण मनुष्य का पावन कर्तव्य है । गोवा का उदाहरण देते हुए उन्होनें कहा कि वहां की धरा पर 4000 मिली लीटर वर्षा होती है जिसका संरक्षण नहीं हो पाता है और सारा जल समुद्र में बह जाता है । ऐसे में जल संचयन के लिए समाज के सभी वर्गों को एक साथ मिलकर एक नई आचार संहिता बनानी होगी । विश्व जल दिवस मनाने का उद्देश्य प्रकृति संरक्षण का व्यवहार है । बड़े-बड़े नारे लगाने की बजाये छोटे-छोटे व्यवहार प्रकृति रक्षा के आदर्श व्यवहार हो सकते है । आज का दिन पानी बचाने के लिए खुद से संकल्प करने का दिन है । प्रकृति ने जीवन जीने के लिए जो जल हमें उपलब्ध कराया है उसके लिए हमारा नैतिक कर्तव्य है कि हम प्रकृति के इस खजाने का जितना हो सके उतना उसे वापिस करे ।
डॉ राकेश गर्ग ने कहा कि प्रकृति रक्षा हमारे समय का यक्ष प्रश्न बन गया है । दुनिया के जल भंडारण का तीन प्रतिशत पानी ही पीने के योग्य है जिसमे से 68 प्रतिशत पानी ग्लेशिअर से आता है । जलवायु परिवर्तन की वजह से पिघलते ग्लेशिअर भविष्य में जल संकट का कारण बनेगे । पानी के संरक्षण के लिए पहला कदम यह है कि हमें पानी को बर्बाद होने से बचाना चाहिए और इसके लिए जरुरत है जागरूकता की । जब प्रत्येक व्यक्ति जागरूक होगा तथा पानी बचाने को अपना धर्म समझेगा तो पानी संरक्षण की यह मुहीम सार्थक हो जायेगी ।
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