Wednesday, September 10, 2025
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पर्यवेक्षण अधिकारी, थाना प्रबंधक व चौकी इंचार्ज को दिया ई-साक्ष्य ऐप का प्रशिक्षण.

By LALIT SHARMA , in Crime in Panipat , at January 7, 2025 Tags: , , , , ,

-साक्ष्य डिजिटल स्वरूप में ई साक्ष्य ऐप पर होगे अपलोड
-अधिकारी व अनुसंधानकर्ता ई साक्ष्य ऐप को प्राथमिकता पर लेकर अनुसंधान का कार्य करें: एसपी लोकेंद्र सिंह आईपीएस

BOL PANIPAT : 07 जुलाई 2025, पुलिस अधीक्षक लोकेंद्र सिंह आईपीएस ने जिला सचिवालय स्थित पुलिस विभाग के सभागार में मंगलवार को जिला के सभी पर्यवेक्षण अधिकारी, थाना प्रबंधक व चौकी इंचार्ज की बैठक लेकर ई-साक्ष्य ऐप की विस्तार से जानकारी दी और विशेषज्ञ द्वारा प्रशिक्षण दिया गया। इस दौरान ई-साक्ष्य ऐप का कैसे प्रयोग करना है। इसमें क्या-क्या प्रावधान है। और सावधानियों के साथ-साथ नए कानून आदि के बारे में अधिकारियों को जानकारी दी गई। ताकि उन्हें फील्ड में ऐप उपयोग करने में कोई परेशानी न हो।

उन्होंने बताया कि आपराधिक मामलों में 2024 में लागू भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के अनुरूप जांच, साक्ष्यों की श्रृंखला का संकलन डिजिटल स्वरूप में करना अनिवार्य हो गया है। गंभीर अपराध जिसमें 7 साल या उससे अधिक सजा के प्रावधान वाले मामलों में साक्ष्यों की फॉरेंसिक जांच भी अनिवार्य है। साक्ष्यों को डिजिटल तरीके से संग्रह के लिए राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र की ओर से ई-साक्ष्य ऐप तैयार किया गया है।
पुलिस अधीक्षक लोकेंद्र सिंह आईपीएस ने कहा कि आपराधिक मामलों में पुलिस के लिए अब वीडियोग्राफी करना अनिवार्य किया गया है। इसके तहत साक्ष्य, घटनास्थल की स्थिति, मौके से बरामदगी आदि की वीडियोग्राफी जरूरी है। इसके लिए ई-साक्ष्य ऐप का लागू किया गया है। ई साक्ष्य ऐप के लागू होने से अब अनुसंधानकर्ता साक्ष्यों को सीधा ऐप पर अपलोड करेंगे। अनुसंधानकर्ता साक्ष्यों की वीडियो अब पेन ड्राइव में रखने की जरूरत नही होगी। जिला के सभी अनुसंधानकर्ता के फोन में उक्त ऐप डाउनलोड करवाने के साथ 184 अनुसंधानकर्ता को अब तक इसका प्रशिक्षण दिया जा चुका है।

पुलिस अधीक्षक लोकेंद्र सिंह आईपीएस ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी अनुसंधानकर्ता घटनास्थल का निरीक्षण, गवाहों के बयान और सामान जब्त करने की प्रक्रिया की वीडियोग्राफी ई-साक्ष्य एप के माध्यम से करें। यह प्रक्रिया न्यायालय में केस सुनवाई के दौरान सही और सटीक साक्ष्य उपलब्ध कराने में मदद करेगी। उन्होंने बताया कि जैसे ही कोई अपराधी पकड़ा जाता है, उसके पास से बरामद सामग्री जैसे मादक पदार्थ, वाहन, असलहा आदि का फोटो और वीडियो इस ऐप पर अपलोड किया जाए। यह रिकॉर्ड स्थायी रूप से सुरक्षित रहेगा। जरूरत पड़ने पर अदालत इसे तुरंत देख सकेगी। इसके साथ ही डिजिटल रिकॉर्ड्स स्थायी रूप से सुरक्षित रहेंगे और अदालत किसी भी समय इन रिकॉर्ड्स की जांच कर सकेंगी। उन्होंने कहा कि ई-साक्ष्य ऐप पुलिस की कार्रवाई को पारदर्शी एवं विश्वसनीय बनाता है। तलाशी और जब्ती कार्रवाई में ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग को शामिल करने से साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की संभावना जीरो प्रतिशत भी नही है। कार्रवाई के दौरान जब्त की गई वस्तुओं की सूची तैयार करने और उन पर निष्पक्ष गवाहों के हस्ताक्षर का भी वीडियोग्राफी करने का प्रावधान किया गया है। ई-साक्ष्य ऐप के माध्यम से वीडियो रिकॉर्डिंग का समय भी निर्धारित हो जाता है। रिकॉर्डेड वीडियो का हैश वैल्यू तैयार किया जाएगा जिससे सबूतों के साथ छेड़छाड़ करना संभव नहीं है। जो साक्ष्यों को विश्वसनीयता प्रदान करता है।

इस ऐप का उपयोग पुलिस विभाग के अधिकारी कर सकेंगे। इसमें अपराध स्थल की तलाशी और जब्ती गतिविधियों की रिकॉर्डिंग की अनुमति है। कोई भी एक वीडियो रिकार्डिंग अधिकतम 4 मिनट ही संभव है। साथ ही एक से अधिक वीडियो भी अपलोड की जा सकती हैं । ई-साक्ष्य ऐप पर साक्ष्यों को अपलोड करने के बाद क्लाउड आधारित सर्वर पर अपलोड करना होगा। अधिकृत व्यक्ति ही ई-साक्ष्य ऐप का उपयोग कर रहा है। इसे सिद्ध करने के लिए डाटा अपलोडिंग के वक्त जांच अधिकारी को अनिवार्य रूप से एक सेल्फी अपलोड करना होगा। यदि मौके पर कनेक्टिविटी की समस्या है तो अधिकारी वहां पर ई-साक्ष्य ऐप में विशेष नंबर जेनरेट करेंगे। फिर अपने पर्सनल डिवाइस में डाटा सेव करेंगे, पुलिस स्टेशन आने के बाद उसे ई-साक्ष्य ऐप पर अपलोड कर सकते है। इससे जांच में एकरूपता आयेगी। माननीय न्यायालय के समक्ष साक्ष्य रखने में आसानी होगी। साक्ष्य में स्पष्टता आयेगी। साक्ष्य को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजने में सुविधा होगी। केस को डिजिटल रूप में वरिष्ठ अधिकारी देख पायेंगे। और साक्ष्यों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने में समस्याएं नहीं आयेंगी।

पुलिस अधीक्षक लोकेंद्र सिंह आईपीएस ने इस दौरान कानूनी प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण पर भी चर्चा की। नए नियमों के तहत, समन और वारंट अब ई-मेल, व्हाट्सएप या अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से भेजे जा सकते हैं। यदि समन भेजते समय कोई त्रुटि संदेश प्राप्त नहीं होता है, तो इसे प्रभावी रूप से तामील माना जाएगा। इस बदलाव से कानूनी प्रक्रिया में तेजी आने और समन वितरण में देरी कम होने की उम्मीद है, जिससे समय पर अदालती फैसले लेने में मदद मिलेगी।
अधिकारियों को आधुनिक तकनीक से अपडेट रहने और इन बदलावों के अनुकूल ढलने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने अधिकारियों को समन और वारंट की समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिये। जिससे गवाहों को समय पर अदालत में पेश होने और तेजी से सुनवाई में मदद मिलेगी। मुकदमों से संबंधित सभी दस्तावेज और साक्ष्य डिजिटल रूप से सुरक्षित रखें। लापरवाही या कोताही बरतने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

इस दौरान उप पुलिस अधीक्षक मुख्यालय सतीश वत्स, उप पुलिस अधीक्षक सुरेश कुमार सैनी, उप पुलिस अधीक्षक नरेंद्र व सभी थाना प्रभारी व चौकी इंचार्ज मौजूद रहे।

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