एसडी पीजी कॉलेज पानीपत के युवा विद्यार्थियों ने स्वयं के स्टार्टअप की शुरुआत करके जगाई आत्मनिर्भरता की अलख
हुनरमंद व्यक्ति रोजगार के अवसर पैदा करके खुद भी आत्मनिर्भर होता है और दूसरों को भी रोजगार देता है: डॉ अनुपम अरोड़ा
BOL PANIPAT , 20 नवम्बर. एसडी पीजी कॉलेज पानीपत के चार छात्रों ने स्वयं के स्टार्टअप की शुरुआत करके न सिर्फ आत्मनिर्भरता की अलख जगाई है परन्तु इन्होनें इस बात को भी पुख्ता किया है कि किसी भी काम को शुरू करने के लिए पूंजी से ज्यादा नए आइडियाज़ की जरुरत होती है. बीकॉम में पढ़ रहे संदीप गिरी, आर्यन सिंगला, गौरव शर्मा और उत्कर्ष मिश्रा की टीम ने ‘बुक हब’ नाम से अपने स्टार्टअप की शुरुआत की है जिसमें ये छात्र कॉलेज के पुराने विद्यार्थियों से उनकी इस्तेमाल करी हुई पुस्तकें खरीदते है और फिर इन्हें गरीब और जरूरतमंद विद्यार्थियों को बहुत ही कम लाभ पर बेचते है. इसके अलावा ये छात्र दिल्ली के दरियागंज इलाके में लगने वाले रविवार बाजार, नयी सड़क के पुस्तक बाजार और विभिन्न पुस्तकालयों से भी पुरानी पुस्तकें खरीद कर लाते है. यह जानकारी कॉलेज प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा ने दी जिन्होनें छात्रों की इस सोच को अनूठा और स्टार्टअप का बेजौड़ उदाहरण बताया. वाणिज्य विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ दीपा वर्मा की देख-रेख में ये छात्र गत कई महीनों से इस कार्य में लगे हुए है जिससे न सिर्फ इनकी कमाई हो रही है बल्कि इससे ये पुन्य के भागीदार भी बन रहे है. इस अवसर पर संदीप गिरी, आर्यन सिंगला, गौरव शर्मा और उत्कर्ष मिश्रा की टीम ने कॉलेज में दो दिन पुस्तकों का स्टाल लगा कर न सिर्फ अपनी पुस्तकों को छात्र-छात्राओं को बेचा बल्कि उन्हें इस स्टार्टअप को शुरू करने के टिप्स भी दिए. उनकी हौंसला अफजाई के लिए प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा के साथ उप-प्राचार्य डॉ नवीन गोयल, प्रो अन्नू आहूजा, प्रो गीता प्रुथी, डॉ एसके वर्मा, डॉ मुकेश पुनिया, डॉ दीपा वर्मा भी उपस्थित रहे.
डॉ अनुपम अरोड़ा ने कहा कि वर्तमान में छात्र-छात्राओं को अपने हुनर और कौशल को विकसित करते हुए रोजगार के अवसर पैदा करते हुए दूसरों को भी रोजगार देने का प्रयास करना चाहिए. काम करने वाले और हुनरमंद व्यक्ति के लिए आज के दिन संसाधनों और अवसरों की कोई कमी नहीं है फिर भी यहाँ के युवा बेरोजगार है. इसका एक मात्र कारण यह है कि यहाँ के युवाओं और पढ़े-लिखों के मन में यह बात बैठ गई है कि रोजगार का मतलब सिर्फ सरकारी नौकरी पाना ही है. इसीलिए हम पिछड़े और कुंठित महसूस करते है. हुनर और ज्ञान में भारत के युवाओं का कोई सानी नहीं है. यही धारणा हमारी मानसिक कुंद्ता का कारण भी है. नौकरी पाना हमारा उद्देश्य होना चाहिए परन्तु अंतिम लक्ष्य कभी नहीं होना चाहिए. युवा एक बार खुद के हुनर को पहचान कर तो देखे, कितने ही कामयाब व्यक्तित्व हम सभी को खुद में दिखाई देंगे.
एसडी कॉलेज प्रधान पवन गोयलने कहा कि हमें स्टार्टअपस, लघु और कुटीर उद्योगो का विकास करना ही होगा क्योकि इस क्षेत्र में रोजगार की अपार सम्भावनाये है. इसमें युवाओ को अपनी क़ाबलियत के हिसाब से रोजगार मिल सकता है तथा इससे वे दूसरों को भी रोजगार दे पायेंगे.
डॉ दीपा वर्मा असिस्टेंट प्रोफेसर ने कहा कि रोजगार की समस्या आज एक ज्वलंत मुद्दा बन गई है जिसका हल न राज्य सरकार, न केंद्र सरकार और न ही नीति आयोग के पास है. इसे तो समाज और शिक्षित युवाओं को खुद ही हल करना होगा. इतनी बड़ी युवा शक्ति दुनिया के अन्य किसी देश के पास नहीं है और यदि फिर भी भारत के युवा रोजगार को लेकर चिंतित है तो इसका कारण उन्हें खुद ही ढूँढना होगा. हुनरमंद, मेहनती और स्वावलंबी शिक्षित युवा न सिर्फ खुद रोजगार पा सकते है बल्कि दूसरों को भी रोजगार देने का हौंसला रखते है. वक्त आ गया है की हम खुद में छिपे गुणों को पहचाने और रोज़गार के साधन और संसाधन समाज के लिए पैदा करे.
डॉ एसके वर्मा ने कहा कि आज के युग में बेरोजगारी एक बड़ी चुनौती है. इस चुनौती को खत्म करना बहुत ही जरुरी है क्योकि रोजगार नहीं मिलने की वजह से लोग गाँवो से शहरो की ओर पलायन कर रहे है और इसका सीधा असर खेती पर पड़ रहा है. शिक्षा को हमें व्यवसायनुमुखी, स्वरोजगार और स्वावलम्बन की दिशा में लेकर जाना होगा. शिक्षा में उचित परिवर्तनों से युवाओ में रोजगार के साथ-साथ स्वरोजगार की सम्भावनाओं को भी बढ़ाया जा सकता है.
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