एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में संविधान निर्माता एवं भारत रत्न से अलंकृत बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर की जयंती को श्रद्धा और सम्मान भाव के साथ मनाया गया
कॉलेज के एनएसएस और वाईआरसी कार्यकर्ताओं ने नवजागरण के अग्रदूत और समतामूलक समाज के निर्माणकर्ता को किया ह्रदय से याद
एक राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री, दार्शनिक, मानवविज्ञानी और समाज सुधारक के रूप में बाबा साहेब का कोई सानी नहीं है: डॉ अनुपम अरोड़ा
BOL PANIPAT , 14 अप्रैल.
एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में भारतीय संविधान के निर्माता एवं भारत रत्न से अलंकृत बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर की जयंती को श्रद्धा और सम्मान भाव के साथ मनाया गया और कॉलेज के एनएसएस एवं वाईआरसी कार्यकर्ताओं ने नवजागरण के अग्रदूत और समतामूलक समाज के निर्माणकर्ता को ह्रदय से याद करते हुए उनके बताये मार्ग पर चलने का आह्वान किया. कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करके हुई जिसमे एसडी पीजी कॉलेज प्रधान पवन गोयल, प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा, कॉलेज एनएसएस प्रभारी और वाईआरसी नोडल ऑफिसर डॉ राकेश गर्ग, डॉ संतोष कुमारी, प्रो प्रवीन खेरडे, प्रो सविता पुनिया, डॉ एसके वर्मा और प्रो वीरेंद्र कुमार गिल शामिल रहे. तत्पश्चात एनएसएस कार्यकर्ताओं ने बाबा साहेब के जीवन और विचारों को आत्मसात करते हुए भाषण प्रतियोगिता में हिस्सा लिया जिसमे प्रथम स्थान ख़ुशी, द्वितीय स्थान सौरभ और तृतीय स्थान विकास अग्रवाल ने हासिल किया.
पवन गोयल एसडी पीजी कॉलेज प्रधान ने अपने सन्देश में कहा कि संविधान निर्माता के तौर पर प्रसिद्ध बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर की जयंती हर साल 14 अप्रैल के दिन पूरे देश में मनाई जाती हैं. भारत रत्न से सम्मानित डॉ भीमराव अंबेडकर का पूरा जीवन संघर्षरत रहा है और उन्होंने भारत की आजादी के बाद देश के संविधान के निर्माण में अभूतपूर्व योगदान दिया है. बाबा साहेब ने कमजोर और पिछड़े वर्ग के अधिकारों के लिए अपना पूरा जीवन खपा दिया और इसीलिए वे सामाजिक नवजागरण के अग्रदूत और समतामूलक समाज के निर्माणकर्ता कहलाये. अंबेडकर समाज के कमजोर, मजदूर, महिलाओं, दलितों आदि को शिक्षा के जरिए सशक्त बनाना चाहते थे. इसी कारण डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती को भारत में समानता दिवस और ज्ञान दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. बाबा साहेब ने अपने जीवन में जात-पात और असमानता का सामना किया और यही वजह है कि वह दलित समुदाय को समान अधिकार दिलाने के लिए कार्य करते रहे. अंबेडकर संविधान समिति के अध्यक्ष रहे और फिर आजादी के बाद एश के कानून मंत्री पद पर नियुक्त हुए. बाबा साहेब के निधन के बाद साल 1990 में उन्हें भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न दिया गया. हम उनके ऋण को कभी नहीं उतार सकते है.
प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा ने कहा कि बाबा साहेब को देश के लिए की गई कड़ी मेहनत और योगदान करने के स्वरूप हर वर्ष 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती के रूप में याद किया जाता है. भीमराव अंबेडकर का पूरा जीवन संघर्षपूर्ण रहा और उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के बाद देश के संविधान के निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया. डॉ. भीमराव अंबेडकर एक राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री, दार्शनिक, मानवविज्ञानी और समाज सुधारक थे जिन्होंने जाति व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाकर दलित समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी. डॉ. अंबेडकर शिक्षा के माध्यम से समाज के कमजोर और दबे-कुचले लोगों को सशक्त बनाना चाहते थे.
डॉ राकेश गर्ग एनएसएस प्रोग्राम ऑफिसर एवं वाईआरसी नोडल अधिकारी ने कहा कि अंबेडकर जयंती का महत्व इसलिए भी खास है क्योंकि यह जाति आधारित भेद-भाव की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करती है जो आजादी के 75 साल बाद भी हमारे समाज में दिखलाई देती है. हम इस दिवस को मनाकर वंचितों के उत्थान में बाबा साहेब के योगदान को याद करते हैं. भारतीय संविधान का जो मसौदा उन्होनें तैयार किया उससे जाति, धर्म, नस्ल या संस्कृति के बन्धनों को तोड़ने की ताकत हम सभी को मिलती है. अंबेडकर ने अछूतों के बुनियादी अधिकारों और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय संस्था बहिष्कृत हितकारिणी सभा का गठन किया. आज एनएसएस के कार्यकर्ता बिना भेदभाव के एक साथ मिलकर कार्य करते है और इक्कठे भोजन करते है और यह भाव हमें बाबा साहेब ने ही सिखाया है.
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