किसान परंपरागत तरीके छोडक़र वैज्ञानिक और पर्यावरण हितैषी तकनीकों को अपनाएं: उपायुक्त डॉ. विरेंद्र कुमार दहिया
-पराली प्रबंधन को अपनाने वाले किसानों को 1200 रुपए प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि सरकार कर रही प्रदान
-कृषि विभाग द्वारा किसानों को मिल रही सब्सिडी और प्रोत्साहन राशि
-पराली जलने के दोषी पाए जाने पर 5 हजार से 30 हजार रुपए तक का जुर्माना
BOL PANIPAT , 15 अक्टूबर। हरियाणा सरकार द्वारा पराली प्रबंधन को लेकर व्यापक और प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। सरकार का स्पष्ट संदेश है कि पराली अब कोई समस्या नहीं, बल्कि किसानों के लिए जैविक खाद और अतिरिक्त आय का साधन बन सकती है। जिला प्रशासन पानीपत भी इस दिशा में सक्रिय रूप से कार्य कर रहा है।
उपायुक्त डॉ. विरेंद्र कुमार दहिया ने जानकारी देते हुए कहा कि हरियाणा सरकार किसानों के हित में कई कल्याणकारी योजनाएं चला रही है। हमें यह समझना होगा कि पराली जलाना न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि यह मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को भी कम करता है। अब समय है कि हम परंपरागत तरीके छोडक़र वैज्ञानिक और पर्यावरण हितैषी तकनीकों को अपनाएं।
डॉ. दहिया ने जानकारी दी कि राज्य सरकार द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी पर 50 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जा रही है, जिससे किसान आसानी से मशीनें खरीदकर पराली को खेत में ही सड़ाने की प्रक्रिया अपना सकते हैं। इन-सीटू पराली प्रबंधन को अपनाने वाले किसानों को 1200 रुपए प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है।
इसके अलावा डायरेक्ट सीडिंग ऑफ राइस विधि अपनाने वाले किसानों को 4500 रुपए प्रति एकड़ तथा वैकल्पिक फसलें अपनाने पर 8 हजार रुपए प्रति एकड़ की सहायता राशि उपलब्ध करवाई जा रही है। इससे न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि जल संरक्षण और मृदा स्वास्थ्य भी बेहतर होगा।
उन्होंने कहा कि सख्ती के तौर पर सरकार ने पराली जलाने वालों पर नजऱ रखने के लिए 24&7 सैटेलाइट निगरानी शुरू कर दी है। एफएल सिस्टम के माध्यम से खेतों की लोकेशन तुरंत ट्रेस की जा रही है और दोषी पाए जाने पर 5 हजार से 30 हजार रुपए तक का जुर्माना तथा एफआईआर दर्ज करने की कार्यवाही की जा रही है। दो वर्ष तक एमएसपी का लाभ भी बंद किया जा सकता है।
डॉ. दहिया ने किसानों से अपील करते हुए कहा, हमें पराली को जलाने की बजाय इसका सदुपयोग करना चाहिए। यह जैविक खाद बनाकर मिट्टी की सेहत सुधारने का भी काम कर सकती है। सरकार का लक्ष्य किसानों को दंडित करना नहीं, बल्कि उन्हें सही मार्गदर्शन करना व सहायता देना है। उपायुक्त ने सभी किसानो से इस अभियान में सहभागी बनने और हरियाणा को पराली मुक्त बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सरकार की ये योजनाएं न केवल पर्यावरण की रक्षा करेंगी, बल्कि किसानों के लिए लाभकारी भी सिद्ध होंगी। जिला प्रशासन, कृषि विभाग और स्थानीय अधिकारियों द्वारा लगातार जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं, ताकि अधिक से अधिक किसान इन योजनाओं से लाभ उठा सकें।
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