Saturday, June 14, 2025
Newspaper and Magzine


भारत निर्वाचन आयोग द्वारा स्वप्रेरणा से विकसित किया गया है इंडेक्स कार्ड  

By LALIT SHARMA , in DIPRO PANIPAT PRESS RELEASE , at June 5, 2025 Tags: , , , , ,

BOL PANIPAT : 5 जुन। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा त्वरित जानकारी के लिए इंडेक्स कार्ड और सांख्यिकीय रिपोर्टों को भी सुव्यवस्थित किया गया। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार तथा निर्वाचन आयुक्तगण डॉ. सुखबीर सिंह संधू एवं डॉ. विवेक जोशी के नेतृत्व में निर्वाचन आयोग ने चुनावों के संपन्न होने के पश्चात इंडेक्स कार्ड और विभिन्न सांख्यिकीय रिपोर्ट तैयार करने की एक सुव्यवस्थित, प्रौद्योगिकी-संचालित प्रणाली को लागू किया है। यह उन्नत प्रणाली पारंपरिक मैनुअल तरीकों का स्थान लेती है, जो समय लेने वाले और अक्सर विलंबकारी होते थे। स्वचालन और डाटा एकीकरण का लाभ उठाकर यह नई प्रणाली रिपोर्टिंग को अधिक त्वरित बनाती है।
      नगराधीश एवं उप जिला निर्वाचन अधिकारी टीनू पोसवाल ने बताया कि इंडेक्स कार्ड  एक गैर-वैधानिक, चुनावोपरांत सांख्यिकीय रिपोर्टिंग प्रारूप है जिसे भारत निर्वाचन आयोग द्वारा स्वप्रेरणा से विकसित किया गया है, जिससे निर्वाचन संबंधी आंकड़ों को सभी हितधारकों जैसे शोधकर्ता, अकादमिक क्षेत्र, नीति-निर्माता, पत्रकार और आम जन के लिए विधानसभा क्षेत्र स्तर पर सुलभ बनाया जा सके।
        उन्होंने बताया कि यह आंकड़े कई पहलुओं में वितरित किए जाते हैं जैसे उम्मीदवार, मतदाता, डाले गए वोट, गिने गए वोट, पार्टीवार एवं उम्मीदवारवार मत प्रतिशत, लिंग-आधारित मतदान पैटर्न, क्षेत्रीय विविधताएँ, और राजनीतिक दलों का प्रदर्शन। ये इंडेक्स कार्ड लोकसभा चुनावों के लिए लगभग 35 सांख्यिकीय रिपोर्टों तथा राज्य विधानसभा चुनावों के लिए 14 रिपोर्टों की आधारशिला बनाते हैं।
    इन रिपोर्टों में राज्य/संसदीय क्षेत्र/विधानसभा क्षेत्रवार मतदाता विवरण, मतदान केंद्रों की संख्या, राज्य और क्षेत्रवार मतदाता सहभागिता, महिला मतदाताओं की भागीदारी, राष्ट्रीय/राज्यीय दलों एवं पंजीकृत अपंजीकृत राजनीतिक दलों (आरयूपीपीएस) का प्रदर्शन, विजेता उम्मीदवारों का विश्लेषण, क्षेत्रवार विस्तृत परिणाम तथा संक्षिप्त आंकड़ा रिपोर्टें सम्मिलित होती हैं। यह समृद्ध आंकड़ा-आधारित संसाधन गहन चुनावी अनुसंधान की क्षमता को बढ़ाता है, जिससे एक मजबूत लोकतांत्रिक विमर्श को बल मिलता है। हालांकि, ये सांख्यिकीय रिपोर्ट केवल शैक्षणिक एवं अनुसंधान उद्देश्यों के लिए हैं और ये इंडेक्स कार्डों से प्राप्त द्वितीयक आंकड़ों पर आधारित हैं, जबकि मूल और अंतिम आंकड़े संबंधित रिटर्निंग अधिकारियों द्वारा रखे गए वैधानिक प्रपत्रों में निहित रहते हैं।
        उन्होंने बताया कि पूर्व में यह जानकारी विभिन्न वैधानिक प्रारूपों में क्षेत्र स्तर पर मैनुअल रूप से भौतिक इंडेक्स कार्डों में भरी जाती थी। इन भौतिक कार्डों का उपयोग बाद में ऑनलाइन प्रणाली में डेटा प्रविष्टि के लिए किया जाता था, जिससे सांख्यिकीय रिपोर्टों का निर्माण हो सके। यह मैनुअल और बहु-स्तरीय प्रक्रिया समय लेने वाली थी और अक्सर डेटा की उपलब्धता तथा प्रसार में विलंब का कारण बनती थी।

Comments


Leave a Reply