Wednesday, September 10, 2025
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एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में अखिल भारतीय साहित्य परिषद हरियाणा प्रांत के 22वें त्रेवार्षिक प्रांतीय अधिवेशन का सारगर्भित समापन .

By LALIT SHARMA , in EDUCATIONAL , at July 13, 2025 Tags: , , , , ,

सुखद अंत भारतीय साहित्य की मुख्य विशेषता: डॉ कुलदीप अग्निहोत्री 

वेद आध्यात्मिकता, नैतिकता, सामाजिक आचरण और व्यक्तिगत विकास का सर्वोच्च श्रौत: प्रोफेसर राजेंद्र अनायत 

विश्व की सारी विसंगतियों का एकमात्र समाधान साहित्य की गंगोत्री से ही निकलेगा: प्रोफेसर (डॉ.) सारस्वत मोहन मनीषी

BOL PANIPAT , 13 जुलाई, एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में अखिल भारतीय साहित्य परिषद्, हरियाणा प्रांत के दो दिवसीय 22वें त्रेवार्षिक प्रांतीय अधिवेशन का तत्वपूर्ण और सारगर्भित समापन हो गया | दो दिवसीय अधिवेशन का विषय ‘आत्मबोध से विश्वबोध’ रहा जिस पर उच्च कोटि के साहित्यकारों और लेखकों ने अपने विचार साझा किये और साहित्य को  सामाजिक परिवर्तन का वाहक बताकर राष्ट्र और इंसान की प्रगति पर बल दिया | दूसरे दिन के चतुर्थ सत्र में भूपेश अरोड़ा संपर्क कार्यकर्ता एवं बौधिक प्रमुख, रमेश चन्द्र शर्मा कार्यकारी अध्यक्ष हरियाणा प्रांत, डॉ मंजूलता उपाध्यक्ष हरियाणा प्रांत और डॉ जगदीप शर्मा ‘राही’ संगठन मंत्री हरियाणा प्रांत ने अपने विचार रखे | पंचम चिंतन सत्र में डॉ धर्मदेव विद्यार्थी निदेशक हिंदी एवं हरियाणावी प्रकोष्ठ हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी पंचकूला, विशिष्ट अतिथि में रोहतास कुमार समाज सेवी एवं उद्योगपति और रामधन शर्मा उपाध्यक्ष हरियाणा प्रांत ने शिरकत कर अपने विचार रखे | समापन सत्र में मुख्य वक्ता प्रो कुलदीप चंद अग्निहोत्री पूर्व कुलपति कांगड़ा विश्वविधालय हिमाचल प्रदेश एवं कार्यकारी अध्यक्ष हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी पंचकूला, प्रो सारस्वत मोहन ‘मनीषी’ अध्यक्ष हरियाणा प्रांत, नीलम राठी संयुक्त मंत्री राष्ट्रीय कार्यकारिणी, प्रोफेसर राजेंद्र अनायत पूर्व कुलपति डीक्रस्ट यूनिवर्सिटी सोनीपत और राष्ट्रीय अध्यक्ष भारतीय शिक्षण मंडल एवं हिंदी-अंग्रेजी-संस्कृत-तमिल-मलयालम के विद्वान और प्रवीण आर्य राष्ट्रीय संयुक्त मंत्री ने अपने भाव व्यक्त किये | इस अवसर पर प्रदीप शर्मा प्रधान अखिल भारतीय साहित्य परिषद् पानीपत इकाई ने मेहमानों का स्वागत प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा के साथ मिलकर पौधा रोपित गमले भेंट करके किया | मंच संचालन डॉ संतोष ‘तृप्ता’ ने किया | अधिवेशन ने आज सर्वसम्मति से मनोज भारत को हरियाणा अध्यक्ष नियुक्त किया जो प्रांत के लिए हर्ष का विषय है | 

प्रोफेसर राजेंद्र अनायत राष्ट्रीय अध्यक्ष भारतीय शिक्षण मंडल ने वेद ऋचाओं को जीवन में मार्गदर्शक बनाने का संदेश दिया । उन्होनें कहा कि वेद विशेष रूप से उनकी ऋचाएं (श्लोक) जीवन में मार्गदर्शन प्रदान करने वाले महत्वपूर्ण स्रोत हैं । वेदों में जीवन के हर पहलू जैसे कि आध्यात्मिकता, नैतिकता, सामाजिक आचरण और व्यक्तिगत विकास के बारे में ज्ञान मिलता है । वेद हमारे ज्ञान के भंडार हैं जो न केवल धार्मिक अनुष्ठानों के बारे में बताते हैं बल्कि जीवन के हर पहलू को समझने में हमारी मदद करते हैं । वेद मनुष्य को सत्य, प्रेम, अहिंसा, सेवा, संयम, त्याग, तपस्या और विश्व बंधुत्व जैसे गुणों को अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं । वेद नैतिकता और सही सामाजिक आचरण के मुद्दों पर हमसे संजीदा बात करते हैं ।

कुलदीप चंद अग्निहोत्री कार्यकारी अध्यक्ष हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी पंचकूला ने कहा कि हमें हर हाल में हिंदी को प्राथमिकता देनी चाहिए । साहित्यकारों को एक दूसरे की विचारधारा का सम्मान करते हुए समाज के कल्याण और प्रसन्नता के लिए लेखन करना चाहिए । हमें हिंदी को प्राथमिकता देने के लिए इसे अपनी जिंदगी में शामिल करना होगा और हिंदी में बात करना, हिंदी साहित्य पढ़ना और हिंदी सीखने के लिए प्रेरित होना होगा ।  हमें हिंदी को अपनी दैनिक गतिविधियों में शामिल करना होगा और हिंदी में सोचना, हिंदी में बात करना और हिंदी में पढ़ना और लिखना शुरू करना होगा ।

प्रोफेसर (डॉ) सारस्वत मोहन ‘मनीषी’ ने कहा कि आज का समाज हर प्रकार से अशांत है, विश्व-युद्ध के बादल मंडरा रहे है और व्यक्ति स्वार्थ केन्द्रित हो चला है | किसी को भी दूसरे की चिंता और फ़िक्र नहीं है | आज का मनुष्य आत्म-मुग्धता का शिकार है और उसे अपने इलावा कुछ नहीं दिखता है | इन सारी विसंगतियों का एकमात्र समाधान साहित्य की गंगोत्री से ही निकलेगा | साहित्य में समाज और सभ्यताओं को बदलने की अद्भुत ताकत है | इस संक्रमण काल में परिवर्तन की पदचाप स्पष्ट सुनाई दे रही है | इस आधार पर सारे प्रश्नों का एक ही उत्तर है:

परिवर्तन तो होना ही है, आज नहीं तो कल होगा,

किन्तु कायरो की आँखों में प्रायश्चित का जल होगा,

पहिया अगर घूम जाए तो पंखुड़ियां खुद घूमेगी,

सागर दे आवाज़ तो नदियाँ उसे दौड़कर चूमेंगी,

जीत उसी की होगी, जिसके पास सत्य का बल होगा,

परिवर्तन तो होना ही है, आज नहीं तो कल होगा | 

नीलम राठी संयुक्त मंत्री राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने कहा कि साहित्य पाठकों को काल्पनिक पात्रों के दृष्टिकोण को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करके, सहानुभूति और मन के सिद्धांत, या दूसरों के मन को पढ़ने की क्षमता विकसित करता है । यथार्थवादी दृष्टिकोण से साहित्य समाज की सच्चाइयों को उजागर करके सामाजिक परिवर्तन लाने में खूब मदद करता है ।

 प्रथम चिंतन सत्र की मुख्य वक्ता डॉ मंजूलता उपाध्यक्ष हरियाणा प्रांत ने विषय को खोलते हुए कहा कि केंद्रीय विषय ‘आत्मबोध से विश्वबोध’ का सूत्र भारतीय ज्ञान परंपरा का सार है, व्यक्ति की चेतना से समाज की चेतना तक, राष्ट्र की चेतना से विश्व की चेतना तक । इसलिए ‘आत्मबोध से विश्वबोध तक’ केवल भारतीय संस्कृति का कोई पारंपरिक सूत्र नहीं है, बल्कि आज के युग में मानवता की नैतिक और रचनात्मक पुनर्संरचना की आधारशिला है । यह न केवल भारत के लिए, बल्कि समूची विश्व सभ्यता के लिए एक प्रासंगिक और जीवनदायी संदेश है । आज विकसित भारत 2047 का स्वप्न तभी साकार होगा जब हम स्वयं कर्तव्य बोध के प्रति जागरूक होंगे । जब हमारा साहित्य केवल आत्ममुग्ध लेखन नहीं करेगा, बल्कि राष्ट्रमुग्ध चेतना से युक्त लेखन होगा । जब हमारी रचनाएँ केवल व्यक्तिगत अनुभूतियों का विस्तार नहीं होंगी, बल्कि भारत के सांस्कृतिक गौरव, नैतिक मूल्यों और वैश्विक उत्तरदायित्व का घोष बनेंगी । उन्होनें कहा :

आओ मिलकर गाएं, राष्ट्रधर्म का घोष ।

भारत बने विश्वगुरु, यही गूंजे जयघोष ।।

मन का हर संशय मिटे, जब भीतर हो ज्ञान ।

आत्मबोध से सुलझते, जीवन के संधान ।।

भूपेश अरोड़ा, कार्यकारी अध्यक्ष हरियाणा प्रांत ने सही व्यवस्थित दिनचर्या, सही कार्य योजना बनाने और पूरी कर्मठता एवं रीति-नीति के साथ काम करने का संदेश दिया । उन्होनें कहा कि दिनचर्या नियमित रूप से पालन की जाने वाली क्रियाओं का एक क्रम या एक निश्चित कार्यक्रम है । थोड़ी सी दैनिक संरचना या दिनचर्या हमारे स्वास्थ्य को उसके सभी आयामों में बनाए रखने में मदद कर सकती है । एक स्वस्थ दिनचर्या बनाने से सही रास्ते पर बने रहना और हमारे स्वास्थ्य एवं दिमाग को सही रखना रखना आसान हो जाता है ।  

डॉ प्रदीप शर्मा प्रधान अखिल भारतीय साहित्य परिषद् पानीपत इकाई ने कहा कि अखिल भारतीय साहित्य परिषद् का संगठन आज देश के 20 राज्यों में भारत-भक्ति के भाव जागरण करते हुए साहित्य रचना द्वारा आत्मचेतन भारत के निर्माण की स्थापना के संकल्प को साकार करने में लगा हुआ है | 

डॉ अनुपम अरोड़ा ने कहा कि इस अधिवेशन में भारतीय साहित्य और भारतीय भाषाओ की उन्नति पर भरपूर बल दिया गया, भारतीय साहित्य एवं भाषाओं के अनुसंधान कार्य को प्रौत्साहित किया गया, भारतीय भाषाओं में परस्पर आदान-प्रदान और सहयोग पर बढ़ावा दिया गया, भारतीय जीवन मूल्यों में आस्था रखने वाले साहित्यकारों को प्रोत्साहित तथा अच्छे साहित्य के प्रकाशन और प्रसारण में सहयोग बारे जोर डाला गया | जनमानस में भारतीय साहित्य के प्रति आस्था तथा अभिरुचि उत्पन्न हो यह इस दो दिवसीय अधिवेशन का मूल उदेश्य रहा | अधिवेशन ने जिस गंभीरता के साथ समाज और राष्ट्र के उत्थान के लिए साहित्य के महत्व को उजागर किया है वह अपने आप में एक विलक्षण प्रयास और उपलब्धि है | 

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