एसडी पीजी कॉलेज में सात दिवसीय कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी स्तर एनएसएस कैंप का तीसरा दिन
–भावी पीढ़ियों के लिए इंधन के बहुमूल्य संसाधनों को हमें बचाना ही होगा:अभिषेक गौतम
–सटीकता,तार्किकता, व्यावहारिकता, व्यवस्थित एवं वैज्ञानिक विश्लेषण अच्छेफॉरेंसिक विशेषज्ञ के गुण: डॉ नीलम आर्य
BOL PANIPAT : एसडी पीजी कॉलेज में कुरुक्षेत्र विश्वविधालय कुरुक्षेत्र एनएसएस प्रकोष्ठ के सौजन्य से और उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा सरकार के प्रायोजन से 23 से 29मार्च तक चलने वाले सात दिवसीय यूनिवर्सिटी स्तर एनएसएस कैंप का आजतीसरादिन रहा जिसमे मुख्य अतिथि अभिषेक गौतम मंडलीय एलपीजी हेड करनालइंडेनइंडियन आयल कारपोरेशन ने शिरकत कर युवा कार्यकर्ताओं को संबोधित किया.साथ हीडॉ नीलम आर्य वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी, फॉरेंसिक विभाग मधुबन करनाल औरधर्मेन्द्र सिंह अग्निचालक बंधु फायर और सेफ्टी विभाग थर्मल पानीपत ने भी कैंप में शिरकत की और युवा एनएसएस कार्यकर्ताओं के ज्ञान में वृद्धि की.मेहमानों का स्वागत कॉलेज प्रधान पवन गोयल, जनरल सेक्रेटरी तुलसी सिंगला, कोषाध्यक्ष विकुल बिंदल,प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा, कॉलेज में एनएसएस प्रभारी डॉ राकेश गर्ग और डॉ संतोष कुमारी ने किया.तीसरे दिन की शुरुआत प्रात: कालीन सत्र में योग, प्राणायाम और ध्यान लगाने का प्रशिक्षण दिया गया.तत्पश्चात मेहँदी लगाओ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमे पुरुष वर्ग में एसडी पीजी कॉलेज के साहिल ने प्रथम, गुरु नानक खालसा कॉलेज यमुनानगर के ऋषभ ने द्वितीय और चिरंजीलाल राजकीय स्नातकोत्तरमहाविधालय करनाल के राजू ने तृतीय स्थान प्राप्त किया. महिला वर्ग में राजकीय स्नातकोत्तर महाविधालय अम्बाला छावनी की मानसी ने प्रथम, दयाल सिंह कॉलेज करनाल की प्रीती कुमारी ने द्वितीय और एसडी पीजी कॉलेज की गीता देवी ने तीसरा स्थान प्राप्त किया.सांयकालीन सत्र में सांस्कृतिक गतिविधियाँ आयोजित की गई जिसमे प्रतिभागियों ने गीत और नृत्य पेश किये. तत्पश्चात कार्यकर्ताओं ने कॉलेज में श्रमदान करते हुए इसकी साफ़-सफाई की.
मुख्य अतिथि अभिषेक गौतम मंडलीय एलपीजी हेड करनाल इंडेन इंडियन आयल कारपोरेशन ने कहा की इंधन में बढ़ती मांग और मंहगाई के चलते हमें एलपीजी गैस कीबचत करना सीखना हीहोगा.रसोई गैस की बर्बादी के कारण भी उसके दाम बढ़ते है.ऐसे में इसकी बचत करना बहुत जरूरी है.उन्होनें एलपीजी गैस को बचाने हेतू कुछ टिप्स भी दिए.भोजन पकाते समय कोशिश करे की प्रेशर कुकर का इस्तेमाल हो. इससेखाना जल्दी भी बनता है और गैस की बचत भी होती है.खाना बनाने से पहले धोएं हुए बर्तन को सूखा लें और फिर उसे गैस पर रखें. भोजन पकाते समय पानी का इस्तेमाल कम से कम करे.मैटल जैसे स्टील में खाना बनाने से भी गैस कम खर्च होती है. गैस बचत के लिए चौड़े बर्तनो का इस्तेमाल करना चाहिए. हमें खाना हमेशा ढक कर पकाना चाहिए.खाना बनाने से पहले ही हमें सारी सामग्री को तैयार कर लेना चाहिए. खाना बनाना शुरू करते ही गैस को पूरी आंच पर खोलकर बाद में धीमी आंच पर कर देना चाहिए. उन्होनें कहा की भावी पीढ़ियों के उज्जवल भविष्य के लिए इंधन के बहुमूल्य संसाधनों को हमें बचाना ही होगा.आज हम अपनी ज़िंदगी की उन चीजों के बिना कल्पना भी नहीं कर सकते हैं जो ईंधन की सहायता से चलते है.ईंधन हमारे लिए बहुमूल्य है और इसका विवेकपूर्ण इस्तेमाल करने में ही हमारी भलाई है.
डॉ नीलम आर्य वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी, फॉरेंसिक विभाग मधुबन करनालने कहा की फॉरेंसिक साइंस अपराध से जुड़ा विज्ञान है औरइसमें अपराध का पता लगाने के लिए शरीर केतरल पदार्थो की जांच की जाती है. फॉरेंसिक रिपोर्ट को अदालत भी अहम साक्ष्य मानती है. देश-विदेश में बढ रही आतंकी घटनाओ और अपराधों ने फॉरेंसिक विशेषज्ञों की मांग बढा दी है. आपराधिक वारदातों के सूत्रधारों की धर-पकड के लिए प्रशिक्षित सुरक्षा बलों की जरूरत आज समाज और समय की मांग है. इस साइंस का जानकार अपराध से जुडे लोगों को पकडवाने में काफी मददगार होता है. आतंकवादी गुत्थियां हों या रहस्यमय मौत, इसे सुलझाने में फॉरेंसिक साइंस की अहम भूमिका होती है. फॉरेंसिक साइंस अब विदेश में ही नहींदेश में भी लोकप्रिय होती जा रही है.इस क्षेत्र में बढती नौकरियों ने विद्यार्थियों को फॉरेंसिक साइंस का कोर्स करने के लिए प्रेरित किया है. इसकी पढाई करने वालों के लिए नौकरियों के कई विकल्प हैं. इसमें डिप्लोमा कोर्स से लेकर पीएचडी करने वालों के लिए हर स्तर पर नौकरी के अवसर है. एक अच्छे फॉरेंसिक एक्सपर्ट का स्वभाव जिज्ञासु, उसकी कानून-व्यवस्था पर आस्था, उसमे सटीकता का गुण,तार्किक, व्यावहारिक, व्यवस्थित दृष्टिकोण तथा उसमे वैज्ञानिक विश्लेषण की क्षमता होनी चाहिए.फॉरेंसिक साइंस में प्राप्त शिक्षा के आधार पर हमअध्यापक,फॉरेंसिक इंजीनियर, जेनेटिक एक्सपर्ट, फॉरेंसिक साइकोलॉजिस्ट, फॉरेंसिक साइंटिस्ट, फॉरेंसिक इंवेस्टिगेटर, सिक्योरिटी एक्सपर्ट, फॉरेंसिक कंसलटेंट, डिटेक्टिव आदि महत्वपूर्ण पदों पर नौकरियां पा सकते है. एनएसएस कार्यकर्ताओं को इस की जानकारी गाँव में रहने वाले युवाओं तक पहुंचानी चाहिए ताकि वे भी इसमें उपलब्ध रोजगार के अवसरों का फायदा उठा सके.
धर्मेन्द्र सिंह अग्निचालक बंधु फायर और सेफ्टी विभाग थर्मल पानीपत ने अपने व्यावहारिक वक्तव्य में कहा कि आग चार प्रकारकी होती है और इसीलिए उसकी प्रकृति और उसके बुझाने के तरीके और उपकरण अलग-अलग है.पहली आग को जनरल फायर कहते है.कोयला, कपड़ा और कागज की आग इसी श्रेणी में आती है और इसे हम पानी और कार्बनडाईऑक्साइड आधारित अग्निशामक से बुझा सकते है.दूसरीआग तेल की होती है जैसे डीजल, पेट्रोल की आग.इसे हम डीसीपी एवं फोम आधारित अग्निशामक से बुझाते है.रासायनिक एवं बिजली के शॉर्ट सर्किट की आग तीसरी श्रेणी में आती हैं और इसे डीसीपी एवं कार्बनडाईऑक्साइड आधारित अग्निशामक से बुझाते है.चौथी आग धातु की आग होती है और इसे भी डीसीपी से बुझाते है.उन्होनें कहा कि आग के लिए आवश्यक ईंधन भोजन का काम करता है और यदि ईंधन को आग से अलग कर दिया जाए तो आग खुद-ब-खुद मर जाएगी. आग लगने में ऑक्सीजन प्राणवायु का काम करता है और यदि किसी भी तरीके से ऑक्सीजन को आग से अलग कर दिया जाये तो इस के अभाव में आग दम घुटने के कारण बुझ जाती है. आग लगने के ताप को यदि कम या न्यूनतम कर दिया जाए तो भी आग बुझ जाती है. कुछ आगों को हम पीट-पीट कर भी बुझा सकते है जैसे घास, पत्ते या जंगल की आग. इस अवसर पर उन्होनें कॉलेज में स्थापित अग्निशमन यंत्र को भी सभी को चलाना सिखाया.
प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा ने कहा कि आज के दिन दिया गया ज्ञान वाकई में एनएसएस कार्यकर्ताओं के लिए बहुत लाभप्रद सिद्ध होगा.राष्ट्रीय सेवा योजना छात्रों को समुदाय में काम करने का अवसर प्रदान करता है. ग्रुप में काम करने के फायदे आगे के जीवन में जाकर मिलते है. इस अवसर पर स्टाफ सदस्यों में डॉ एसके वर्मा, डॉ मुकेश पुनिया,डॉ बलजिंदर सिंह, प्रो सनी, प्रो सोनिका, प्रो हिमानी, प्रो मनमीत सिंह, प्रो मनोज कुमार, दीपक मित्तल मौजूद रहे.
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