एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में तीन दिवसीय राज्य स्तरीय राष्ट्रीय विज्ञान दिवस कार्यक्रमों का सारगर्भित समापन
– रमन इफेक्ट की खोज करने वाले नोबेल पुरस्कार विजेता सीवी रमन की याद में रमन मेमोरियल लेक्चर का आयोजन
– मानव मस्तिष्क का विस्तार विज्ञान से ही संभव है: प्रो राकेश सिंगला
–भारतीय विज्ञान, शोध और स्वदेशी तकनीक से ही पूर्ण होगा विकसित भारत का स्वप्न: डॉ अनुपम अरोड़ा
BOL PANIPAT , 29 फरवरी, एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में आयोजित तीन दिवसीय राज्य स्तरीय राष्ट्रीय विज्ञान दिवस कार्यक्रमों का सारगर्भित समापन हो गया । अंतिम दिन आयोजित कार्यक्रमों में क्विज प्रतियोगिता और रमन इफेक्ट की खोज करने वाले नोबेल पुरस्कार विजेता सीवी रमन की याद में रमन मेमोरियल लेक्चर का आयोजन किया गया । मुख्य अतिथि कॉलेज प्रधान दिनेश गोयल, उप-प्रधान राजीव गर्ग, कोषाध्यक्ष विशाल गोयल, प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा, डॉ नवीन गोयल और प्रो राकेश सिंगला ने विजेता विद्यार्थियों को प्रशस्ति पत्र और इनामों से नवाज़ा जिसमें रंगोली, पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन, क्विज और क्रियाशील मॉडल्स के विजेता शामिल थे । क्विज प्रतियोगिता के अंतिम चरण में कुल 25 टीमों ने हिस्सा लिया जिसमे से टॉप आठ टीमों का चयन लिखित परीक्षा के आधार पर किया गया । तत्पश्चात विजुअल राउंड, बहुविकल्पीय प्रश्न, फोटो एवं विडियो राउंड और रैपिड-फायर राउंड के आधार पर एसडी पीजी कॉलेज पानीपत की निखिल, आँचल और यशस्वी (एमएससी- रसायन) की टीम ने पहला स्थान हासिल किया । नैंसी, विक्की और आयुष की टीम ने दूसरा और रंजित, अश्वनी और दिव्या की टीम ने तीसरा स्थान हासिल किया । क्विज में भौतिकी, रसायन, गणित, प्राणी शास्त्र, वनस्पति शास्त्र और कंप्यूटर साइंस विषयों पर आधारित प्रश्न पूछे गए । क्विज मास्टर की भूमिका डॉ प्रियंका चांदना और प्रो प्रवीण कुमारी ने निभाई । टाइम कीपर प्रो ऋतु और स्कोरर प्रो शिवी रहे । डॉ रेखा रानी, प्रो रजनी मित्तल और प्रो नम्रता ने क्विज को सफल बनाने में सहयोग दिया । क्विज में प्राकृतिक रूप से धरती पर मिलने वाली सबसे कठोर वास्तु हीरा है, सबसे बड़ा प्लेनेट जुपिटर है, सबसे छोटा पक्षी हमिंग बर्ड है, सबसे तेज दौड़ने वाला जानवर चीता है, इंसान में सबसे बड़ा अंग लीवर है, मानव द्वारा सबसे पहली वैक्सीन स्मालपोक्स के खिलाफ बनाई गई आदि जैसे रोचक और ज्ञानवर्धक सवाल पूछे गए । अंतिम दिन विभिन्न ख्याति प्राप्त भारतीय वैज्ञानिकों को याद करने हेतू रमन मेमोरियल लेक्चर का आयोजन किया गया जिसे भौतिकी विषय के ख्याति प्राप्त प्राध्यापक और कॉलेज के अनुभवी प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा ने दिया और प्रतिभागियों के ज्ञान में वृद्दि की । प्राचार्य ने एमएससी (भौतिकी), एमएससी (रसायन शास्त्र) एवं बीएससी के छात्र-छात्राओं से बातचीत भी की और उनसे उनके पाठ्यक्रम और भविष्य की योजनाओं के बारे में चर्चा की । तीन दिवसीय आयोजन के सूत्रधार प्रो राकेश कुमार सिंगला, प्रो प्रवीण आर खेरडे, डॉ मुकेश पुनिया, डॉ रवि कुमार, डॉ राहुल जैन, डॉ प्रियंका चांदना, प्रो प्रवीण कुमारी, प्रो मयंक अरोड़ा, डॉ एसके वर्मा, प्रो संजय चोपड़ा, डॉ बलजिंदर सिंह, डॉ रेणु गुप्ता, डॉ बिंदु रानी, प्रो साक्षी व्याख्यान का हिस्सा बने । विदित रहे कि वर्ष 1928 में भारतीय भौतिक विज्ञानी सर चन्द्रशेखर वेंकट रमन के द्वारा रमन प्रभाव के आविष्कार को याद करने के लिये हर वर्ष 28 फरवरी को पूरे भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है । अंत में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद की पुण्यतिथि होने पर उन्हें भावभीनी श्रधान्जली दी गई और उनके विचारों पर चलने का आह्वान किया गया ।
डॉ अनुपम अरोड़ा ने भारतीय विज्ञान और महान वैज्ञानिकों को विश्व विज्ञान के मस्तक का सितारा बताया । उन्होनें कहा कि भारतीय वैज्ञानिकों ने इतना कुछ विश्व विज्ञान और भारत को दिया है जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है । विभिन्न वैज्ञानिकों का जिक्र करते हुए कहा कि डॉ जगदीश चन्द्र बसु भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे जिन्हें भौतिकी, जीव विज्ञान, वनस्पति विज्ञान तथा पुरातत्व का गहरा ज्ञान था । वे पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने रेडियो और सूक्ष्म तरंगों की प्रकाशिकी पर कार्य किया । वनस्पति विज्ञान में कई महत्त्वपूर्ण खोज करके वे भारत के पहले वैज्ञानिक शोधकर्त्ता बने । इसी प्रकार सुब्रह्मण्यन चन्द्रशेखर विख्यात भारतीय-अमरीकी खगोलशास्त्री थे । परिणामत भौतिकी के क्षेत्र में उनके अध्ययन के लिए उन्हें विलियम ए. फाउलर के साथ संयुक्त रूप से सन 1983 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला । 24 वर्ष की अल्पायु में सन 1934 में ही उन्होंने तारों के गिरने और लुप्त होने की अपनी वैज्ञानिक जिज्ञासा सुलझा ली थी । होमी जहांगीर भाभा भारत के प्रमुख वैज्ञानिक और स्वप्नदृष्टा थे जिन्होंने भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की कल्पना तथा स्थापना की और फिर मुट्ठी भर वैज्ञानिकों की सहायता से मार्च 1944 में नाभिकीय उर्जा पर अपना अनुसन्धान प्रारम्भ किया । वह टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च में संस्थापक निदेशक रहे और उन्हें भारतीय परमाणु कार्यक्रम का जनक माना जाता है । डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को बैलिस्टिक मिसाइल और प्रक्षेपण वाहन प्रौद्योगिकी के विकास पर अपने काम के लिए भारत के ‘मिसाइल मैन’ के रूप में जाना जाता है । उन्होंने 1998 में भारत के पोखरण-द्वितीय परमाणु परीक्षणों में एक महत्वपूर्ण संगठनात्मक, तकनीकी और राजनीतिक भूमिका निभाई जो 1974 में भारत द्वारा मूल परमाणु परीक्षण के बाद से प्रथम था । भारत का पहला स्वदेशी सैटेलाइट लांच व्हीकल, बैलिस्टिक मिसाइलों का विकास और अग्नि एवं पृथ्वी जैसे प्रक्षेपास्त्रों को स्वदेशी तकनीक से बनाने में डॉ कलाम का योगदान अतुलनीय है । डॉ हरगोविंद खुराना ने न्यूक्लिक एसिड में न्यूक्लियोटाइड का क्रम और जीन की खोज की जो कि मानवीय स्वास्थ्य के दृष्टिकोंण से दुनिया की एक महत्वपूर्ण खोज थी । इनकी खोजों ने चिकित्सा के क्षेत्र में बड़ा योगदान दिया । वर्ष 1968 में उन्हें फिजियोलॉजी में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया । वेंकटरामन रामकृष्णन ने राइबोसोमल प्रोटीन संरचना को हल किया और फिर राइबोसोम में पहले प्रोटीन-आरएनए कॉम्प्लेक्स की संरचना को हल किया जो कि आरएनए के एक टुकड़े के साथ एल11 का है जो इसे बांधता है । राइबोसोम का यह हिस्सा थियोस्ट्रेप्टन जैसे एंटीबायोटिक दवाओं के बनाने में मदद करता है । उनकी इस उपलब्धि पर उन्हें 2009 में रसायन के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया । इसी तरह से स्टिल की स्पेक्ट्रम प्रकृति, स्टिल डाइनेमिक्स के बुनियादी मुद्दे, हीरे की संरचना और गुणों एवं अनेक रंगदीप्त पदार्थो के प्रकाशीय आचरण पर सीवी रमन द्वारा किया शोध आज भी मूल्यवान है । उन्होंने ही पहली बार तबले और मृदंगम के संनादी (हार्मोनिक) की प्रकृति की खोज की थी । ये सभी वैज्ञानिक अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित है और हम सभी के आदर्श है । इनकी कड़ी मेहनत और वैज्ञानिक सोच का कोई विकल्प नहीं है और यदि ऐसी सोच हम खुद में विकसित कर ले तो बुलंदियां हमारे कदम चूमेंगी ।
दिनेश गोयल कॉलेज प्रधान ने कहा कि क्विज प्रतियोगिता के माध्यम से युवाओं के ज्ञान में वृद्धि हुई है और उनमें आत्मविश्वास के भाव का संचार हुआ है । विज्ञान और अन्य विषयों पर तैयार की गयी इस क्विज का उद्देश्य विज्ञान से सम्बंधित आवश्यक जानकारी को प्रश्नों के रूप में प्रस्तुत करना था ताकि प्रतियोगी छात्र इनके अभ्यास द्वारा परीक्षाओं में पूछे जाने वाले प्रश्नों के स्वरुप से परिचित हो सकें और उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं में इनका भरपूर लाभ मिल सके । क्विज में भाग लेने से हमारी विज्ञान की समझ भी व्यापक बनती है । उन्होनें कहा कि क्विज़ एक प्रकार की दिमागी कसरत है जिसमें प्रतिभागी सवालों के सही उत्तर देने का प्रयास करते हुए अपने बौद्धिक विकास को सक्रीय करता है । क्विज़ एक प्रकार का संक्षिप्त मूल्यांकन भी हैं जिसका प्रयोग शिक्षा या इसी प्रकार के अन्य क्षेत्रों में ज्ञान, योग्यता और कौशल में वृद्धि को मापने के लिए किया जाता है ।
प्रो राकेश कुमार सिंगला ने प्रौद्योगिकी में एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने पर जोर देते हुए कहा कि भारत के विकास में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की अहम भूमिका रही है तथा विज्ञान के क्षेत्र को सदा प्राथमिकता दी गयी है । रमन इफेक्ट का इस्तेमाल आज भी कई जगहों पर हो रहा है । जब भारत के चंद्रयान-1 ने चांद पर पानी होने का ऐलान किया था तो इसके पीछे भी रमन इफेक्ट का ही कमाल था । फोरेंसिक साइंस में भी रमन इफेक्ट काफी उपयोगी साबित हो रहा है और इसकी मदद से अब यह पता लगाना आसान हो गया है कि कौन-सी घटना कब और कैसे हुई थी । मानव मस्तिष्क का विस्तार विज्ञान से ही संभव है ।
अंत में सभी प्रतिभागी विद्यार्थियों से तीन दिवसीय कार्यक्रम का फीडबैक लिया गया जिसपर विद्यार्थियों ने कहा कि उन्हें अब मालूम हुआ है कि विज्ञान में न सिर्फ रोजगार की अपार संभावनाए है बल्कि विज्ञान पढ़कर उनके मन में व्याप्त जिज्ञासाएं और रुढ़िवादी विचार भी ख़त्म हुए है ।
Comments