उपायुक्त डॉ. वीरेन्द्र कुमार दहिया ने भारतीय झण्डा संहिता के कड़ाई से पालना के आदेश जारी किए.
BOL PANIPAT , 2 मार्च। उपायुक्त डॉ. वीरेन्द्र कुमार दहिया ने जानकारी देते हुए बताया कि भारत सरकार के गृह मंत्रालय की ओर से भारतीय झण्डा संहिता 2002, 2021 एवं 2022 में यथासंशोधित तथा राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 में अंर्तविष्ट नियमों के कड़ाई से पालना के आदेश जारी किए हैं।
उन्होंने बताया कि गृह मंत्रालय भारत सरकार से प्राप्त दिशानिर्देशानुसार भारतीय राष्ट्रीय ध्वज भारत के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है। यह हमारे राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है और राष्ट्रीय ध्वज के प्रति सार्वभौमिक स्नेह, सम्मान और निष्ठा है। यह भारत के लोगों की भावनाओं और मानस में एक अद्वितीय और विशेष स्थान रखता है। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का फहराना/उपयोग/प्रदर्शन राष्ट्रीय सम्मान अपमान निवारण अधिनियम, 1971 और भारतीय ध्वज संहिता, 2002 द्वारा नियंत्रित होता है। कोई सार्वजनिक, निजी संगठन या शैक्षणिक संस्थान का सदस्य राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा और सम्मान के अनुरूप सभी दिनों और अवसरों पर, औपचारिक या अन्य रूप से, राष्ट्रीय ध्वज फहरा/प्रदर्शित कर सकता है। जहां ध्वज खुले में या किसी आम आदमी के घर पर फहराया जाता है, वहां इसे दिन-रात फहराया जा सकता है।
उपायुक्त डॉ. वीरेन्द्र कुमार दहिया ने बताया कि राष्ट्रीय ध्वज का आकार आयताकार होगा। ध्वज किसी भी आकार का हो सकता है लेकिन ध्वज की लंबाई और ऊंचाई (चौड़ाई) का अनुपात 3 अनुपात 2 होगा। जब भी राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाए, उसे सम्मान की स्थिति में रखा जाना चाहिए तथा उसे स्पष्ट स्थान पर रखा जाना चाहिए। क्षतिग्रस्त या अस्त-व्यस्त ध्वज प्रदर्शित नहीं किया जाएगा। ध्वज को किसी अन्य ध्वज या झंडों के साथ एक ही मास्टहेड से नही फहराया जाना चाहिए। ध्वज को ध्वज संहिता के भाग 3 की धारा 9 में उल्लेखित गणमान्य व्यक्तियों जैसे राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति , प्रधानमंत्री, राज्यपाल आदि के वाहन के अलावा किसी अन्य ध्वज या पताका को राष्ट्रीय ध्वज से ऊंचा या उससे ऊपर या उसके बगल में नही रखा जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि इससे सम्बंधित सूचना राष्ट्रीय सम्मान, अपमान अधिनियम 1971 और भारतीय ध्वज संहिता 2002 गृह मंत्रालय की वैबसाईट डब्ल्यडब्ल्यूडब्ल्यूडॉटएमएचएडॉटजीओवीडॉटइन पर उपलब्ध है।
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