Sunday, October 6, 2024
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आधुनिक उपकरणों का प्रयोग कर – करें फसल अवशेष प्रबंधन.

By LALIT SHARMA , in DIPRO PANIPAT PRESS RELEASE , at October 1, 2024 Tags: , , , , ,

BOL PANIPAT , 1 अक्टूबर। उपायुक्त डॉक्टर वीरेद्र कुमार दहिया ने किसानों से अपील करते हुए कहा है कि वे धान की पराली को न जलाएं। पराली जलाने से कई गंभीर स्वास्थ्य और पर्यावरणीय समस्याएं उत्पन्न होती हैं। धान की पराली जलाने से वायु में प्रदूषण बढ़ता है, जिससे ब्रोंकाइटिस, आंखों में जलन और वातावरण में दुर्गंध जैसी समस्याएं पैदा होती हैं। इसके अलावा, सडक़ किनारे पराली जलाने से धुएं और धुंध के कारण सडक़ दुर्घटनाओं की संभावना भी बढ़ जाती है। पराली जलाने का नकारात्मक प्रभाव केवल हवा तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह मिट्टी की सेहत पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है। पराली जलाने से मिट्टी में पाए जाने वाले लाभकारी सूक्ष्मजीव मर जाते हैं, और पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं, जिससे मिट्टी बंजर हो जाती है।  प्रशासन द्वारा पूरे जिले में पराली जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। किसानों से अनुरोध है कि वे पराली जलाने के स्थान पर आधुनिक उपकरणों का प्रयोग कर फसल अवशेष प्रबंधन करें और उन्होंने जिला के सभी किसानों से आग्रह किया कि वे पराली न जलाएं और पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दें।

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