संगीत विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी
BOL PANIPAT: 20.03.2025; आई.बी. स्नातकोत्तर महाविद्यालय पानीपत के संगीत (गायन तथा वादन) विभाग द्वारा राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी उच्चतर शिक्षा निदेशालय हरियाणा द्वारा अनुमोदित थी। इस संगोष्ठी में देश भर के विभिन्न राज्यों एवं विश्वविद्यालयों के शोधार्थियों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया तथा अपने शोध पत्रों के माध्यम से अपनी चिन्तनशीलता और सृजनशीलता का परिचय दिया। इस अवसर पर आई. बी. सोसायटी के महासचिव एल एन मिगलानी, सचिव रवि गोसाईं एवं राजेश नागपाल, महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ शशि प्रभा मलिक तथा उप प्राचार्या डॉ किरण मदन, आईक्यूएसी कॉर्डिनेटर डॉ विक्रम कुमार तथा संगोष्ठी संयोजिका डॉ भगवंत कौर एवं डॉ मोनिका सोनी ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। तत्पश्चात डॉ मोनिका सोनी ने संगोष्ठी के उद्देश्य से सबको अवगत कराया।तदोपरांत प्राचार्या डॉ शशि प्रभा मलिक ने अपने संबोधन के माध्यम से संगीत विषय की शैक्षणिक संस्थानों में अनिवार्यता, राग-तालों का मानव जीवन पर प्रभाव तथा संगीत को सांस्कृतिक धरोहर के रूप में स्वीकार करते हुए इसके आध्यात्मिक एवं मानसिक प्रभावों का वर्णन किया। संगोष्ठी की मुख्य अतिथि डॉ पंकजमाला शर्मा (संगीत विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय की सेवानिवृत्त डीन एवं प्रोफेसर) ने अपने व्याख्यान में वैदिक साहित्य पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वेदों में वर्णित शिक्षण पद्धति ही सही अर्थों में भारतीय सभ्यता को सही दिशा देने में सक्षम है। वेद, संहिता, ब्राह्मण ग्रंथ तथा संगीत रत्नाकर में प्राप्त संगीत शिक्षण पद्धति, अंतर्विषयक शिक्षण पद्धति तथा शिक्षण की उपयोगिता पर उन्होंने गहनता से चर्चा की। संगोष्ठी के बीज वक्ता डॉ राजेश केलकर (महाराजा सयाजी राव विश्वविद्यालय बड़ौदा) ने भारतीय ज्ञान प्रणाली, संगीत के शास्त्र एवं प्रायोगिक पक्ष की भिन्न भिन्न शिक्षण प्रणाली आदि विषयों पर विशद विवेचन किया।
इसके पश्चात तकनीकी सत्र का आरंभ हुआ जिसमें प्रथम सत्र की सत्राध्यक्षा थीं डॉ आरती श्योकंद (संगीत विभाग, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय) तथा द्वितीय सत्र की सत्राध्यक्षा थीं डॉ अमिता शर्मा (गवर्नमेंट कॉलेज फॉर गर्ल्स सेक्टर ११ चंडीगढ़)। दोनों सत्रों में 30 से अधिक शोधार्थियों ने अपने प्रपत्र पढ़े। अंत में समापन सत्र के लिए पद्मश्री विदुषी सुमित्रा गुहा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि अच्छे कलाकार बनने के लिए अच्छे गुरु के सानिध्य में शिक्षा ग्रहण करना आवश्यक है तथा अन्य विषयों की साधारण समझ तथा ज्ञान भी आवश्यक है। तत्पश्चात डॉ अंबिका कश्यप (यमुनानगर) तथा डॉ वीर विकास (कुरुक्षेत्र) ने संगोष्ठी प्रतिपुष्टि विषयक अपने विचार व्यक्त करते हुए संगोष्ठी के विषय चयन पर आयोजकों की प्रशंसा की साथ ही उन्होंने कहा कि यह विषय संगीत एवं शिक्षण पद्धति दोनों क्षेत्रों में आज ज्वलंत विषय है, तथा वक्ताओं के बोधगम्य व्याख्यान से न केवल दोनों ही क्षेत्रों में नव विचार विकसित हुआ अपितु शिक्षण का मार्ग भी प्रशस्त हुआ है। इसके उपरांत संगोष्ठी संयोजिका डॉ भगवंत कौर ने संगोष्ठी की रिपोर्ट प्रस्तुत की। अंत में आईक्यूएसी कॉर्डिनेटर डॉ विक्रम कुमार ने सभी महानुभावों, अतिथियों, प्रतिभागियों तथा शोधार्थियों का धन्यवाद किया तथा महान वैज्ञानिक आइंस्टीन के विचारों को उद्धृत किया। तत्पश्चात राष्ट्रगान के साथ संगोष्ठी का समापन हुआ।
इस अवसर पर संयोजन सचिव डॉ अंजलि एवं मिस खुश्बू, ने तथा संगीत विभाग से ललित कुमार, विशाल, एवं अमन कुमार ने संगोष्ठी के आयोजन में अपना असाधारण योगदान दिया। इस अवसर पर डॉ निधान सिंह, डॉ सीमा, डॉ सुनीता ढांडा, प्रो. सोनिया, डॉ अश्विनी गुप्ता, डॉ नीतू भाटिया, रवि, टिंकू, गणेश एवं अन्य स्टाफ सदस्य भी उपस्थित थे।
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