खुद अपनी परीक्षा लेने के लिए इंसान को अपने अंदर झांकना पड़ता है: अनिल मलिक
BOL PANIPAT , 13 फरवरी। जिसने भी खुद पर ध्यान केंद्रित किया, लक्ष्य पर निगाहों को टिकाकर रखा उसी ने इतिहास रचा है। दुनिया में आपको कोई भी हरा नहीं सकता अगर आपने खुद के मन को साध लिया है, खुद पर विजय पा ली है। उक्त बातें आज हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद की महत्वाकांक्षी राज्य परियोजना के तहत मतलौडा खंड के गांव अटावला स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों हेतु पानीपत जिले के तीसरे तथा राज्य के 180वें बाल सलाह, परामर्श व कल्याण केंद्र की स्थापना करते हुए मुख्य अतिथि मंडलीय बाल कल्याण अधिकारी रोहतक एवं राज्य नोडल अधिकारी अनिल मलिक ने कहीं।
इस अवसर पर वार्षिक परीक्षा खुद को परखने का सही समय विषय पर आयोजित सेमिनार में उपस्थित किशोरावस्था के विद्यार्थियों व उनके शिक्षक को संबोधित करते हुए अनिल मलिक ने कहा कि खुद को परखने, खुद अपनी परीक्षा लेने के लिए इंसान को अपने अंदर झांकना पड़ता है। अंर्तदर्शन या आत्म-चेतना मनोविज्ञान की एक पद्धति है, इसका उद्देश्य मानसिक प्रक्रियाओं का स्वयं अध्ययन करके उनकी व्याख्या करना है। विद्यार्थी जीवन ऐसा समय है जब आप अपने जीवन की बुनियाद तैयार करते हैं। पाठ्य-पुस्तकें, उदाहरण, प्रेक्टिकल अनुभव, कक्षा में ध्यान लगाना, लिखना, पढऩा, सुनना, दोहराना निसंदेह जीवन भर काम आता है। यूं तो मानव जीवन में तनाव बना ही रहता है लेकिन उच्च स्तर का नकारात्मक तनाव नहीं बढऩा चाहिए।
परीक्षा का समय ज्यादा तनाव देने वाला होता है, जरूरत उत्पन्न हो रहे तनाव की असली वजह समझने की है। अनावश्यक रूप से परीक्षा की तैयारी में देरी बहुत बड़ा कारण होता है। उत्पन्न हो रहे तनाव प्रबंधन के लिए जरूरी है कि निरंतर एक अच्छा स्टडी शेड्यूल बनाकर, जरूरत अनुसार उपयोगी ब्रेक लेते, शांत रहते हुए, डिजिटल उपभोगिक्ता से दूर रहते हुए परीक्षा तनाव को बेहतर तरीके से प्रबंधित किया जा सकता है। विद्यार्थी जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कौवे की तरह सभी ओर दृष्टि बनाए रखें, निरीक्षण क्षमता बढ़ाए, बगुले की तरह ध्यान केंद्रित करें और शवान की तरह निद्रा लें। पौष्टिक आहार, पढ़ाई लिखाई के लिए दोस्तों, शादी समारोह आदि का मोह त्यागना होगा। एक समय में एक काम करें, बाकी सब भूलकर इस पर पूरा ध्यान केंद्रित करें। कभी भी एक सफल व्यक्ति नहीं बल्कि मूल्य पर चलने वाला व्यक्ति बने, किशोर युवा विद्यार्थी हमेशा इस बात का ध्यान रखें, जीवन में कभी मत भूलें और संभव हो सके तो खुद के जीवन में ढाल लें, उन्हें लागू करें।
अनिल मलिक ने बताया कि क्षेत्र चाहे खेल का हो या पढ़ाई का अभ्यास से ही परफेक्शन संभव है, अक्सर हम अपने संकल्पों में फेल इसलिए होते हैं क्योंकि सारा ध्यान रिजल्ट पर लगा रहता है। समय की अनुपालना में अक्सर हम कैजुअल ही रहते हैं, मोबाइल इंटरनेट का उपयोग बहुत ज्यादा करते हैं। लगभग 80 प्रतिशत लोगों का जीवन लक्ष्य होता ही नहीं, मात्र तीन प्रतिशत लोगों का स्पष्ट जीवन लक्ष्य होता है कि उन्हें हासिल क्या करना है। अक्सर जीवन में ऐसे अच्छे दोस्तों का अभाव रहता है जो सच्चाई की कड़वी दवा आपको पिलाते रहें, प्रेरित करें, कमियां ढूंढ कर बताएं। कार्यक्रम में विशेष तौर पर जीन्द से पहुंचे परामर्शदाता नीरज कुमार ने कहा कि मनोवैज्ञानिक परामर्श सेवाएं निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। प्रेरणा शक्ति से जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन आ सकता है। खुद को समझें और अपनी कमियों को सुधारते हुए गुणों को निखारें।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए स्कूल प्रिंसिपल सत्यवान सिंह ने कहा कि आज के सेमिनार पश्चात महसूस होता है कि मनोविज्ञान और प्रेरणा का जीवन में अपना ही महत्व है। निरंतर इन कार्यक्रमों के आयोजन की संभावनाएं तय करने का प्रयास किया जाना चाहिए। कार्यक्रम में विशेष रूप से विशिष्ट अतिथि कार्यक्रम अधिकारी अमित मलिक, राज्य बाल कल्याण परिषद के आजीवद सदस्य नीरज कुमार, अजय मलिक (वाईस प्रेजिडेंट हरियाणा कुश्ती संघ), बलराज मलिक सहित सभी अध्यापक मौजूद रहे।
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