एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में मेगा रक्तदान शिविर का आयोजन
कॉलेज यूथ रेड क्रॉस, रोटरी क्लब पानीपत प्रीमियर, इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी पानीपत, एचडीऍफ़सी बैंक आदि के संयुक्त तत्वाधान में हुआ आयोजन
अवनित कौर मेयर पानीपत के सानिध्य में 102 यूनिट रक्त एकत्रित
नियमित रक्तदान इंसान में आत्मसंतोष और दैवीय भावों को पैदा करता है: अवनित कौर
BOL PANIPAT , 30 नवम्बर. एसडी पीजी कॉलेज पानीपत की यूथ रेड क्रॉस, एनएसएस एवं एनसीसी, रोटरी क्लब पानीपत प्रीमियर, एचडीऍफ़सी बैंक पानीपत, इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी पानीपत और अनेक संस्थाओं के संयुक्त तत्वाधान में मेगा रक्तदान शिविर का आयोजन कॉलेज प्रांगण में किया गया जिसमे कॉलेज के एनएसएस कार्यकर्ताओं, एनसीसी कैडेट्स, छात्र-छात्राओं एवं स्टाफ सदस्यों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया और 102 यूनिट रक्त का दान दिया. रक्दान शिविर का विधिवत आगाज मुख्य अतिथि अवनित कौर मेयर पानीपत ने किया. इस पुनीत अवसर पर रोटरी क्लब पानीपत प्रीमियर के प्रधान नरेश गुप्ता, सचिव उत्तम गुप्ता, कोषाध्यक्ष मंजरी चड्ढा और प्रोजेक्ट निदेशक पतंजली गुप्ता, रेड क्रॉस ब्लड बैंक से डॉ पूजा सिंघल और अन्य मेडिकल अधिकारी मेगा-शिविर में उपस्थित रहे और उन्होनें रक्तदाताओ का हौंसला बढाया. सभी माननीय मेहमानों का स्वागत एसडी पीजी कॉलेज प्रधान पवन गोयल और कॉलेज प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा ने किया. उनके साथ कॉलेज एनएसएस प्रभारी एवं यूथ रेड क्रॉस नोडल अधिकारी डॉ राकेश गर्ग, डॉ संतोष कुमारी, एनसीसी अधिकारी प्रोलेफ्टिनेंट बलजिंदर सिंह, डॉ संगीता गुप्ता, डॉ एसके वर्मा, डॉ मुकेश पुनिया ने कैंप में शिरकत की. विदित रहे की एसडी पीजी कॉलेज विगत कई वर्षों से रक्तदान शिविरों का नियमित आयोजन करता आ रहा है और इस एकत्रित खून का इस्तेमाल भारतीय सेना, गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों तथा दुर्घटनाओं के शिकार लोगों को बचाने के लिए किया जाता है. मेगा-रक्तदान शिविर में रक्तदान करने वाले छात्र-छात्राओं को रिफ्रेशमेंट और प्रमाण पत्र वितरित किये गए.
एनसीसी कैडेट्स में सौरभ, अंकित, जोनी, हार्दिक, तुषार राणा, रोहित और अंकित ने रक्तदान किया. वाई आर सी नोडल अधिकारी डॉ राकेश गर्ग ने रक्दान करके विद्यार्थियों को रक्तदान के लिए प्रेरणा दी.
अवनित कौर मेयर पानीपत ने रक्तदान को महादान बताते हुए कहा कि एक वयस्क पुरुष एवं स्त्री में पांच से छः लीटर तक रक्त होता है और कोई भी व्यक्ति हर तीन माह में एक बार रक्तदान कर सकता है. उन्होनें कहा कि 450 मिली रक्त से तीन लोगों का जीवन बचाया जा सकता है. भारत में प्रत्येक दो सेकंड में किसी न किसी व्यक्ति को रक्त की आवश्यकता होती है परन्तु दुखद पहलु यह है कि भारत में रक्तदान योग्य व्यक्तियों में से सिर्फ चार प्रतिशत लोग ही रक्तदान करते हैं. उन्होनें इस कैंप में रक्तदान करने वाले हर युवा की प्रशंसा की और कहा कि रक्तदान के बाद किसी का जीवन बचने से आत्मसंतोष की दैवीय भावना हम में उत्पन्न होती है.
एसडी पीजी कॉलेज प्रधान पवन गोयल ने रक्तदाताओं कि हौंसला अफजाई करते हुए कहा कि ब्लड डोनेशन कैंप को आयोजित करने का मूल उद्देश्य आम आदमी में असामान्य दैवीय भावों को उत्पन्न करना है. रक्तदान शिविर के माध्यम से छात्र-छात्राए खुद को देश और समाज से जुड़ा हुआ महसूस करते है. इसके साथ-साथ उनके द्वारा दिया गया रक्त किसी दुर्घटना के शिकार व्यक्ति की जान बचाने में तथा किसी बीमार की मदद में सहायक सिद्ध होता है. मानवता से भरे इस नेक कार्य जैसा अन्य कोई कार्य नहीं है.
डॉ अनुपम अरोड़ा ने रक्तदान के महत्त्व पर बोलते हुए कहा कि रक्त हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है. रक्त का विकल्प केवल और केवल रक्त ही है. बढती दुर्घटनाओं के मद्देनजर आज रक्त की मांग में काफी इजाफा हुआ है. हस्पताल भी रक्त के बगैर कुछ नहीं कर सकते है. रक्तदान करके हम चिकित्सकों के काम में काफी मदद कर सकते है. उन्होनें कहा की रक्तदान के कई फायदे होते हैं. जब हम रक्तदान करते हैं तो हमारे खुद के शरीर में कैंसर जैसी कई बीमारियों के खतरे कम हो जाते है. रक्तदान से लिवर और पाचन ग्रंथि भी तंदुरस्त रहती है और दिल का स्वास्थ्य काफी अच्छा रहता है. रक्तदान से लाखों जानें बच सकती हैं और रक्त उपलब्ध रहे तो किसी का भी जीवन बचाया जा सकता है. रक्तदान करने से नयी रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में वृद्धि होती है. नियमित रक्तदान करने वाला व्यक्ति आवश्यकता पड़ने पर सहजता से रक्त पा भी सकता है. रक्तदान से रक्त की जांच नियमित होती रहती है तथा हम समाज के प्रति हमारे कर्त्तव्य के प्रति सजग रहते है. व्यस्क होने से 60 वर्ष की आयु तक व्यक्ति रक्तदान कर सकता है. उन्होनें कहा की रक्तदान के मिथकों और भ्रांतियों को तोड़ कर ही हम रक्तदान करने के भय से मुक्त हो सकते है.
इस अवसर पर एनएसएस प्रभारी डॉ राकेश गर्ग, डॉ संतोष कुमारी, एनसीसी अधिकारी लेफ्टिनेंट (डॉ) बलजिंदर सिंह, डॉ मुकेश पुनिया, डॉ एसके वर्मा, डॉ भारती गुप्ता, दीपक मित्तल तथा अन्य स्टाफ सदस्य मौजूद रहे.
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