एसडी पीजी कॉलेज पानीपत के मनोविज्ञान विभाग द्वारा सिविल हॉस्पिटल पानीपत के सौजन्य से ‘अच्छे मानसिक स्वास्थ्य’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
मानसिक स्वास्थ्य का सीधा असर हमारे कार्यों और रिश्तों पर पड़ता है: विनोद देसवाल
BOL PANIPAT, 21 फरवरी. एसडी पीजी कॉलेज पानीपत के मनोविज्ञान विभाग द्वारा सिविल हॉस्पिटल पानीपत के सौजन्य से ‘अच्छे मानसिक स्वास्थ्य’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें बतौर मुख्य वक्ता विनोद देसवाल मनोचिकित्सक सामाजिक कार्यकर्ता सिविल हॉस्पिटल पानीपत और अमीषा ने शिरकत की और विद्यार्थियों को मेंटल हेल्थ के बारे में व्यावहारिक ज्ञान दिया । उनके साथ मनोविज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ महाश्वेता मुखर्जी ने भी विद्यार्थियों को अच्छे मानसिक स्वास्थ्य हासिल करने के टिप्स दिए । माननीय मेहमानॉन का स्वागत प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा और डॉ संतोष कुमारी ने किया । कार्यशाला में मनोविज्ञान विभाग के अलावा अन्य संकायों के छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया । मंच संचालन डॉ संतोष कुमारी ने किया । कार्यशाला में हेल्थ क्विज का भी आयोजन किया गया जिसके विजेताओं को विनोद देसवाल ने सम्मानित किया ।
विनोद देसवाल ने कहा कि अगर हम मानसिक रूप से स्वस्थ्य नहीं हैं तो यह हमारे काम से लेकर हमारे रिश्तों पर असर डालता है । फिर भी लोग अपने मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं देते है । दिमाग भी हमारे शरीर का एक हिस्सा है और इसमें भी कोई बीमारी हो सकती है । इस स्थिति को हमें बहुत गंभीरता के साथ लेना चाहिए । वर्तमान की भाग-दौड़ और भौतिकवादी जीवन प्रणाली ने हर इंसान को अवसाद और तनाव से भरपूर जीवन जीने को मजबूर कर दिया है । इसका सबसे बुरा असर हमारे मष्तिष्क पर पड़ता है । हमें कभी खुद से दुखी या नाराज़ नहीं होना चाहिए बल्कि खुद के साथ प्यार से पेश आना चाहिए । हमें प्रत्येक दिन कम से कम 15 से 20 मिनट अपने लिए निकालने चाहिए । अपने लिए समय निकालना भी सेल्फ केयर का अटूट हिस्सा है । जीवन में हमें सक्रीय, सकारात्मक और खुद के प्रति अत्यंत संवेदनशील होना चाहिए ।
कॉलेज प्राचार्य डॉ. अनुपम अरोड़ा ने बताया कि अक्सर माता-पिता या अपने अध्यापकों की डांट के बाद युवा गुमसुम हो जाते है या फिर उनका स्वभाव गुस्सैल और चिड़चिड़ा हो जाता है । गुमसुम रहने वाले नवयुवक या तो अवसाद का शिकार हो जाते है या फिर आत्महत्या जैसा कदम उठाने के बारे में सोचने लगते है । बाद में मनोचिकित्सक काउंसलिंग में पता चलता है कि वे अपने अभिभावकों या शिक्षकों की डांट से खुद को बेइज्जत या छोटा महसूस करने लगे थे । युवाओं को चाहिए कि वे अपने मन को मजबूत बनाए । हमें किसी भी मानसिक रोगी से सकारात्मक बात करके उसकी सोच को जगाना चाहिए । यदि हमारे आस-पास कोई व्यक्ति या कर्मचारी मानसिक तनाव से गुजर रहा है तो हमें उसकी पारिवारिक या अन्य समस्याएं जानकर उससे मित्रवत बात करनी चाहिए और उसका हौंसला बढ़ाना चाहिए ।
डॉ महाश्वेता मुख़र्जी ने मानवीय जीवन में स्वास्थ्य, शांति, प्रेम, सफलता, आनंद, आंतरिक खोज और खुशहाली जैसे पहलुओं को ध्यान में रखकर अपना व्याख्यान दिया । उन्होनें कहा कि प्रत्येक हम योग की मदद लेकर भी अपने दिमाग को शांत और सेहतमंद रख सकते है । नियमित रूप से योगाभ्यास करने वाले व्यक्ति का उत्साह, ध्यान केंद्रित करने की क्षमता और स्मरण शक्ति बढ़ती हैं । योग से शरीर, मन और भावनाओं में स्थिरता भी आती है । पीठ दर्द, तनाव, थकान और चिंता जैसी समस्याओं का निदान भी इससे होता है । उन्होंने विद्यार्थियों को जीवन में सकारात्मक सोच रखते हुए आगे बढ़ने की सलाह दी और कहा कि तभी वे देश के जिम्मेदार नागरिक बनकर राष्ट्रीय निर्माण में अपना योगदान दे पायेंगे ।
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