एसडी पीजी कॉलेज पानीपत एनएसएस द्वारा अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस को पर्यावरण जागरूकता एवं जैव विविधता संरक्षण के रूप में मनाया गया
–पर्यावरण जागरूकता पृथ्वी पर भविष्य में जीवन की एकमात्र आशा: डॉ अनुपम अरोड़ा
–प्लास्टिक प्रदूषण पर्यावरण एवं समस्त जीवन पर बड़ा संकट: डॉ अनुपम अरोड़ा
–सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न करने की ली शपथ
BOL PANIPAT : एसडी पीजी कॉलेज की राष्टीय सेवा योजना द्वारा अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस को पर्यावरण जागरूकता एवं जैव विविधता संरक्षण के रूप में मनाया जिसमे कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया. एक दिवसीय सेमीनार में बोलते हुए डॉ अनुपम अरोड़ा ने जैव विविधता का परिचय विस्तार से से देते हुए इसको सरल शब्दों में परिभाषित किया और इसके प्रकार, महत्त्व, वैश्विक जैव विविधता जैसे विषयों पर गहराई से प्रकाश डाला. उन्होनें विश्व जैव विविधता के तप्त-स्थल एवं जैव विविधता क्षरण एवं इस पर आये संकटों पर भी विस्तार से बात की. आज के सेमीनार में प्रो. प्रवीण आर. खेरडे, डॉ. मोनिका खुराना, डॉ. रेखा रानी, रवि कुमार, डॉ प्रियंका चांदना, डॉ राहुल कुमार आदि ने भी शिरकत की तथा छात्र-छात्राओं के साथ अपने अनुभव साझा किये. इस अवसर पर कॉलेज प्राचार्य व शिक्षकों द्वारा पौधारोपण भी संपन्न किया गया. कॉलेज प्राचार्य डॉक्टर अनुपम अरोड़ा ने बताया कि इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस का थीम “प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करना है” प्लास्टिक का बहुतआयात प्रयोग पर्यावरण एवं समस्त जीवन के स्वास्थ्य पर एक बड़ा संकट है. पर्यावरण को बचाने के लिए यह शपथ ली गयी कि, “मैं, आज विश्व पर्यावरण दिवस के शुभ अवसर पर, प्रकृति की रक्षा एवं पृथ्वी को स्वच्छ व सुरक्षित बनाने हेतु यह संकल्प लेता/लेती हूँ कि: मैं सिंगल यूज़ प्लास्टिक जैसे थैली, बोतल, स्ट्रॉ, कप, चम्मच, प्लेट आदि का उपयोग नहीं करूंगा/करूंगी । कपड़े या जूट के बैग, स्टील की बोतल, और पुन: उपयोग में लाए जा सकने वाले विकल्पों का प्रयोग करूंगा/करूंगी । मैं अपने परिवार, मित्रों और समाज को प्लास्टिक मुक्त जीवन शैली अपनाने के लिए प्रेरित करूंगा/करूंगी । मैं कचरे का सही तरीके से निस्तारण करूंगा/करूंगी और पुनर्चक्रण (रीसायक्लिंग) को बढ़ावा दूंगा/दूंगी । मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी कि मेरी जीवनशैली पर्यावरण अनुकूल (इको-फ्रेंडली) हो । मैं यह संकल्प करता/करती हूँ कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ, स्वच्छ और हरित भविष्य सुनिश्चित करने हेतु अपना योगदान दूंगा/दूंगी । प्लास्टिक प्रदूषण को हराना है – पर्यावरण बचाना है !”
डॉ अनुपम अरोड़ा ने कहा की जैव विविधता के संरक्षण के लिए सबसे पहली और महत्वपूर्ण बात मानव आबादी को नियंत्रित करना और पौधों और जानवरों की अन्य प्रजातियों को इस ग्रह पर पनपने देना है. बढ़ता प्रदूषण हमारे खूबसूरत ग्रह को अत्यधिक नुकसान पहुंचा रहा है और इसी के कारण धरती का तापमान बढ़ रहा है जो ग्लोबल वार्मिंग का कारण है. जैव संरक्षण, प्रजातियों, उनके प्राकृतिक वास और पारिस्थितिक तंत्र को विलोपन से बचाने के उद्देश्य से प्रकृति और पृथ्वी की जैव विविधता के स्तरों का वैज्ञानिक अध्ययन है. यह विज्ञान, अर्थशास्त्र और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के व्यवहार से आहरित अंतरनियंत्रित विषय है. जैव संरक्षण और जैव विविधता की अवधारणा संरक्षण विज्ञान और नीति के आधुनिक युग को निश्चित रूप देने में मदद देते हुए उभरी है. उन्होनें कहा की जैव संरक्षण जैव विविधता के रखरखाव एवं हानि को प्रभावित करने वाले तथ्य और आनुवंशिक, आबादी, प्रजातिय और पारिस्थितिकी तंत्र विविधता को पैदा करने वाली विकासवादी प्रक्रिया को बनाए रखने के विज्ञान से जुड़ी हुई है. उन्होनें कहा की जैव विविधता अलग-अलग तरह की वनस्पतियों एवं जानवरों का संग्रह है जो एक ही विशेष क्षेत्र में रहते या फैले हुए है. जैव विविधता जितनी समृद्ध होगी उतना ही सुव्यवस्थित और संतुलित हमारा वातावरण होगा. अलग-अलग तरह की वनस्पति तथा जीव-जंतु भी धरती को रहने के योग्य बनाने के लिए अपना योगदान देते है. इंसान के जीवन के पीछे भी जैव विविधता का ही हाथ है और ऐसा इसलिए है क्योंकि अलग-अलग जंतु और पेड़-पौधे ही मिलकर मनुष्य की मूलभूत जरूरतें पूरी करने में सहायता करते है. एक अनुमान के मुताबिक पृथ्वी पर लगभग 3,00,000 वनस्पति तथा इतने ही जानवर है जिसमें पक्षी, मछलियां, स्तनधारी, कीड़े, सींप आदि शामिल है.
डॉ राकेश गर्ग ने कहा की अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस का उद्देश्य पर्यावरण के संरक्षण और सुरक्षा के प्रति सभी की चेतना को जागृत करना है. अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस के महत्त्व पर बोलते हुए प्राचार्य ने कहा की अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस प्रतिवर्ष 5 जून को मनाया जाता है और इसे पहली बार संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में 5 जून 1974 को मनाया गया था. इसके बाद से हर साल विश्व पर्यावरण दिवस को मनाया जा रहा है. इसका मुख्य उद्देश्य लोगों के मन में पर्यावरण के संरक्षण और सुरक्षा के प्रति चेतना को जागृत करना है. अगर हमने पर्यावरण में संतुलन बनाए रखा होता और इसका अर्थहीन दोहन न किया होता तो शायद इतने बदतर हालात धरती पर न पैदा होते. प्रकृति ने हमे बार-बार चेतावनी दी है की हम उससे अनवांछित छेडछाड़ न करे और उसके साथ भी उचित व्यवहार करे.
एक दिवसीय सेमीनार में प्रो. प्रवीण आर. खेरडे, डॉ. मोनिका खुराना, डॉ. रेखा रानी, रवि कुमार, डॉ प्रियंका चांदना, डॉ राहुल कुमार, शशि मोहन गुप्ता आदि मौजूद रहे.
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