एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में 28 से 30 मार्च तक चलने वालें तीन दिवसीय सांग महोत्सव की शानदार शुरुआत.
-हरियाणा कला परिषद् रोहतक मंडल और दादा लखमीचंद सोशल वेलफेयर ट्रस्ट (रजि.) पानीपत के संयुक्त तत्वाधान में हो रहा आयोजन
-पहले दिन श्री वेद प्रकाश अत्री एंड पार्टी द्वारा ‘शकुन्तला दुष्यंत’ सांग की हृदय स्पर्शी प्रस्तुति
-हरियाणवी संस्कृति का मूल आधार है सांग: गजेंद्र सलूजा
BOL PANIPAT : एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में हरियाणवी लोक कला एवं संस्कृति के प्रसार-प्रचार में प्रदेश की अग्रणी संस्था दादा लख्मीचंद सोशल वेलफेयर ट्रस्ट (रजि.) पानीपत तथा हरियाणा कला परिषद रोहतक मंडल के निदेशक गजेन्द्र फोगाट के निर्देशन में तीन दिवसीय सांग महोत्सव की शानदार शुरुआत हुई जिसकी विधिवत शुरुआत मुख्य अतिथि गजेंद्र सलूजा प्रतिनिधि श्री मनोहर लाल खट्टर सांसद करनाल और विशिष्ट अतिथि दिनेश गोयल कॉलेज प्रधान ने की । पहले दिन वेद प्रकाश अत्री एंड पार्टी ने मांगे राम कृत ‘उत्तानपाद’ सांग की ह्रदय स्पर्शी प्रस्तुति देकर सभी का मन मोह लिया । कार्यक्रम में बतौर गणमान्य मेहमान दिनेश गोयल कॉलेज प्रधान, मनोज जगलान समाजसेवी और राजेश शर्मा (बल्ला) समाजसेवी एवं ब्राह्मण सभा नेता ने शिरकत करके कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई । मेहमानों का स्वागत दादा लख्मीचंद सोशल वेलफेयर ट्रस्ट के अध्यक्ष वीरेंद्र शर्मा और कॉलेज प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा ने पौधे रोपित गमलें भेंट करके किया । सांग महोत्सव में आकर्षण का केंद्र दूर-दराज गावों से आये हुए बुजुर्ग और हरियाणवी संस्कृति को जानने-समझने वाले दर्शक थे । वीरेंद्र शर्मा आयोजन की सफलता से गदगद नज़र आये । प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा ने सभी आमजनों और युवाओं से आग्रह किया कि वे कॉलेज में पधार कर इन प्रस्तुतियों को देखे और कॉलेज को अनुग्रहित करे । मंच संचालन गुलाब पांचाल तथा डॉ संतोष कुमारीने किया । पानीपत के परम संत श्री परशुराम जी ने भी संस्था को अपना आशीर्वाद दिया और शुभकामनाएं संप्रेषित की ।
मुख्य अतिथि गजेंद्र सलूजा प्रतिनिधि मनोहर लाल खट्टर सांसद करनाल ने अपने वक्तव्य में कहा कि सांग हरियाणवी संस्कृति का मूल आधार है । प्राचीन काल में यह मनोरंजन का मुख्य साधन होता था और आज दादा लख्मीचंद सोशल वेलफेयर ट्रस्ट जैसी संस्थाएं निरंतर सांगोंके आयोजन से संस्कृति को बचाने का जो प्रयास कर रहे हैं उसका वे दिल से साधुवाद देते है ।
सतीश शर्मा प्रदेश अध्यक्ष ब्राह्मण समाज ने अपने वक्तव्य में कहा कि संस्कृति प्रचार प्रसार के इस पवित्र कार्य में वे संस्था के साथ तन-मन-धन से सहयोगी रहें है और आगे भी रहेंगे ।
दिनेश गोयल ने कहा कि सांग महोत्सव से छात्र-छात्राओं और आमजन को हरियाणवी संस्कृति, लोक काव्य और कला के बारे में बहुत कुछ सिखने को मिलेगा । हरियाणा में एक नए समाज का निर्माण तभी हो पायेगा जब हम इस प्रकार के आयोजन करेंगे और इन से सीख लेंगे । नैतिकता, भाईचारे और प्रेम युक्त समाज की स्थापना भी तभी हो पाएगी ।
वीरेंद्र शर्मा ने कहा कि इतनी उच्च कोटि की पेशकश उन्होनें अपने पूरे जीवन में नहीं देखी है । उनकीसंस्था हरियाणवी संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए स्कूलों कॉलेज और ग्रामीण क्षेत्रों में निरंतर ऐसे आयोजन कर रही है ताकि लोक-कलाओं को लुप्त होने से बचाया जा सके और अपने युवा वर्ग को पश्चात्य संस्कृति के कुप्रभाव से बचाया जा सके ।
मनोज जागलान और राजेश शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि हरियाणवी संस्कृति लोक कलाओं की विधाओं को लुप्त होने से बचाने के लिए संस्था का यह प्रचार अति सराहनीय है और वे हमेशा इस पवित्र कार्य में संस्था के सहयोगी रहेंगे । उन्होनें इस प्रस्तुति को हरियाणवी संस्कृति का संरक्षक बताया और कहा कि बेशक युवा पीढ़ी पश्चिमी सभ्यता के प्रभाव में आ रही है परन्तु जीवन में कामयाबी और सच्ची ख़ुशी उन्हें अपने ही लोक साहित्य और संस्कृति से मिलेगी ।
आज आयोजित सांग ‘उत्तानपाद’ में सांगी वेद प्रकाश अत्री एवं साथी कलाकारों ने ‘उत्तानपाद’ तथ ध्रुव की कथा सुनाई । प्रधान दिनेश गोयल ने सभी कलाकारों को स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया । सांग में दिखाया कि मनु और शतरूपा के दो पुत्र थे, प्रियवत और उत्तानपाद । उत्तानपाद की सुनीति और सुरुचि नामक दो पत्नियां थीं । राजा उत्तानपाद को सुनीति से ध्रुव और सुरुचि से उत्तम नामक दो पुत्र उत्पन्न हुए । सुनीति बड़ी रानी थी परन्तु उत्तानपाद का प्रेम सुरुचि के प्रति अधिक था । एक बार सुनीति का पुत्र ध्रुव अपने पिता की गोद में बैठा खेल रहा था । इतने में सुरुचि वहां आई और ध्रुव को उत्तानपाद की गोद में खेलते देख उसका पारा सातवें आसमान पर जा पहुंचा । सौतन के पुत्र को अपने पति की गोद में वह बर्दाश्त न कर सकी और उसका मन ईष्र्या से जल उठा । उसने झपट कर बालक ध्रुव को राजा की गोद से खींच लिया और अपने पुत्र उत्तम को उसकी गोद में बिठा दिया । पांच वर्ष के ध्रुव को अपनी सौतेली मां के व्यवहार पर क्रोध आया । वह भागते हुए अपनी मां सुनीति के पास आया तथा सारी बात बताई । सुनीति बोली की बेटा तेरी सौतेली माता सुरुचि से अधिक प्रेम के कारण तुम्हारे पिता हम लोगों से दूर हो गए हैं अब तुम भगवान को अपना सहारा बनाओ । माता के वचन सुनकर ध्रुव को कुछ ज्ञान उत्पन्न हुआ और वह भगवान की भक्ति करने के लिए पिता के घर को छोड़ कर चल पड़ा । राजा उत्तानपाद को ध्रुव के चले जाने से बड़ा पछतावा हुआ । यही कथा आज के सांग में प्रस्तुत की गयी ।
इस अवसर पर सुरेश शर्मा, जसमेर गौतम, कँवरभान शर्मा, नरेंद्र गर्ग, उम्मेद कवि, दिनेश जून, रामलाल भाटिया, कुलदीप रोहिल्ला आदि मौजूद रहे ।
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