“इनोवेशन इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी फॉर विकसित भारत” विषय पर चौथी दो दिवसीय इंटर नेशनल कांफ्रेंस का हुआ शानदार आयोजन
-आत्मनिर्भरता की राह अत्याधुनिक अनुसंधान और घरेलू तकनीकी प्रगति से प्रेरित होनी चाहिए- प्रो. कर्ण सिहं
BOL PANIAPT : 22 मार्च 2025, आर्य स्नातकोत्तर महाविद्यालय के रसायन विभाग द्वारा शनिवार को “इनोवेशन इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी फॉर विकसित भारत विषय पर चौथी दो दिवसीय इंटर नेशनल कांफ्रेंस का शानदार समापन हुआ। उच्चतर शिक्षा निदेशालय हरियाणा व ग्रीन कैमेस्ट्री नेटवर्क सेंटर, हिंदू कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय, रॉयल सोयायटी ऑफ कैमेस्ट्री लंदन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कांफ्रेंस के दूसरे दिन में लगभग 125 शोधार्थियों ने अपने शोध प्रस्तुत किए ।
कॉफ्रेंस अंतिम दिन प्रो. कर्ण सिहं, डीन ऑफ स्टूडेंटस वेल्फेयर व चेयरमैन रसायन विभाग इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय, मीरपुर रेवाडी ने बतौर मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। कॉन्फ्रेंस की अध्यक्षता महाविद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष सुरेंद्र सिंगला द्वारा की गई।
कॉलेज प्रबंधक समिति के प्रधान सुरेंद्र शिंगला, माननीय सदस्यों, उपाचार्या डॉ.अनुराधा सिंह व कॉलेज के रसायन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अनिल कमार ने महाविद्यालय प्रांगण में पहुंचे सभी अतिथियों व शोधार्थियों का भव्य स्वागत किया।
मंच संचालन प्रो. आस्था गुप्ता ने किया।
कॉलेज उपाचार्या डॉ.अनुराधा सिंह ने बताया कि दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉफ्रेंस बहुत ही शानदार रही विद्यार्थियों और शाधार्थियों के साथ-साथ प्राध्यापकों ने कॉफ्रेंस में बहुत सारे नए-नए विषयों के बारे में जाना। वहीं वैज्ञानिक पोस्टर प्रदर्शनी से भी विद्यार्थियों में विज्ञान के प्रति जागरूकता को महशूस किया। डॉ. अनुराधा सिंह ने दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉफ्रेंस के सफल आयोजन के लिए कॉलेज के रसायन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार को बधाई देते हुए, भविष्य में भी ऐसी कॉफ्रेंस आयोजित करवाने के लिए शुभकामनाएं दी।
शनिवार को कॉन्फ्रेंस में मुख्य अतिथि रहे प्रो. कर्ण सिहं, ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि आत्मनिर्भर और विकसित भारत के लिए विज्ञान का लाभ उठाने की अपनी प्रतिबद्धताओं को विकसित करना होगा। उन्होंने कहा कि भारत की आत्मनिर्भरता की राह अत्याधुनिक अनुसंधान और घरेलू तकनीकी प्रगति से प्रेरित होनी चाहिए। साथ यह भी कहा कि वैज्ञानिक गतिविधियों में युवाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करने की पहल बहुत जरूरी है। युवाओं को अपनी जिम्मेदारियों को समझ कर उनका निर्वाह करना होगा।
प्रो. संजीव अग्रवाल डीन ऑफ आर एंड डी लोन बीम सेंटर, भौतिक विभाग कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरूक्षेत्र ने अपने संबोधन में कहा कि पिछले 10 सालों में भारत विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय रूप से अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। शोध प्रकाशनों में यह शीर्ष 10 देशों में शामिल है और जीआईआई (ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स) में इसकी रैंक 40 है। यह जैव प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष अनुसंधान, सतत विकास, एआई और अन्य क्षेत्रों जैसे विभिन्न क्षेत्रों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र के विकास के कारण है।
कॉन्फ्रेंस में वक्ता रही दीन बंधु छोटू राम विश्वविद्यालय,मूरथल के रसायन विभाग की डॉ. सोनिया नैन ने कहा कि भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी एक कदम आगे बढ़ाया है और 2035 तक एक अंतरिक्ष स्टेशन बनाने और 2040 तक चंद्रमा की सतह पर पहला भारतीय उतारने का लक्ष्य रखा है। अंतरिक्ष विज्ञान के इतिहास में 2023 को उस वर्ष के रूप में याद किया जाएगा जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अग्रणी उपलब्धियों की एक श्रृंखला के साथ इतिहास बनाया था।
पूर्व डीन, भौतिक विज्ञान संकाय, पूर्व विभागाध्यक्ष रसायन विज्ञान विभाग, पूर्व दिनदेशक और डीन यूनिवर्सिटी इंस्टीटयूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से प्रो.एस.पी खटकड़ ने बताया कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग रहा है। प्राचीन समय में इसे भौतिक विज्ञान के नाम से जाना जाता था एवं उच्च शैक्षिक संस्थानों में छात्र इसे अत्यंत उत्साह से पढ़ते थे। भारतीय पुनर्जागरण के समय (बीसवीं सदी के प्रारंभ) में भारतीय वैज्ञानिकों ने उल्लेखनीय प्रगति की थी। 1947 में देश के आजाद होने के पश्चात संस्थाओं की स्थापना की गई ताकि विज्ञान के क्षेत्र में हुई इस सहज एवं रचनात्मक प्रगति को और बढ़ावा मिल सके। इस कार्य में विभिन्न राज्यों ने भी अपना भरपूर सहयोग दिया। इसके बाद से भारत सरकार ने देश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की आधुनिक अवसंरचना के निर्माण में कोई कसर नहीं छोड़ी है।विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग देश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
कॉन्फ्रेंस के दोनों दिन के दौरान लगभग 235 शोधार्थियों द्वारा मौखिक प्रस्तुति व पोस्टर प्रस्तुत किए गए। कॉन्फ्रेंस संयोजक व रसायन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.अनिल कुमार ने बताया कि कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन लगभग 120 शोध पत्र व 125 शोधार्थियों ने कांफ्रेंस में भाग लिया। उन्होंने सभी अतिथियों, मुख्य वक्ताओं व शोधार्थियों का कॉन्फ्रेंस में पहुंचने पर आभार व्यक्त किया।
कॉन्फ्रेंस के दौरान मौखिक प्रस्तुति व पोस्टर प्रस्तुत की गई।
जिनके परिणाम इस प्रकार रहे : –
मौखिक परजेंटेशन में डॉ. प्रशांत कुमार, एसआरएम यूनिवर्सिटी, सोनीपत व कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से पहुंची डॉ. संगीता सैनी ने प्रथम स्थान वहीं पोस्टर परजेंटेशन में शोधार्थी आरती कुमारी, दीन बंधु छोटू राम विश्वविद्यालय, मुरथल व एमडीयू रोहतक से पहुंचे आशीष दहिया ने द्वितीय स्थान हासिल किया।
कॉन्फ्रेंस में डॉ. गीताजंली धवन, डॉ. बलकार सिंह, प्रो शिखा गर्ग, प्रो. सुदेश, प्रो. अदीति मित्तल, प्राध्यापिका वंदना, लता, शिवानी, चित्रांश भटनागर, शशि रोहिला, अतुल त्यागी, अंकिता चावला, विकास काठपाल, प्रिया शर्मा, आरती, अंकित, विकास, रवि, समेत सभी स्टाफ सदस्य मौजूद रहे।
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