राष्ट्र के निर्माण में नारी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है : जी.एस. चौहान
BOL PANIPAT : आईं. बी.पी.जी. महाविद्यालय में बायो साइंस विभाग, महिला प्रकोष्ठ और आतंरिक गुणवत्ता मूल्यांकन परिषद् के संयुक्त तत्वावधान में एक स्पेशल सेमिनार का आयोजन किया गया जिसके मुख्य वक्ता डॉ जी. एस. चौहान, संयुक्त सचिव, यूजीसी,न्यू दिल्ली से रहे । प्रबंध समिति से रवि गोसाईं, प्राचार्या डॉ. शशि प्रभा मलिक, डॉ. सुनित शर्मा, डॉ. निधान सिंह, डॉ. सीमा, डॉ. विक्रम कुमार ने अतिथि का औपचारिक स्वागत किया | इस सेमिनार का मुख्य विषय “विश्व के नव-निर्माण में नारी की भूमिका: भारत के विशेष संदर्भ में” रहा । मुख्य वक्ता जी.एस. चौहान ने कहा कि राष्ट्र के निर्माण में नारी की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है। “यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमंते तत्र देवता: ” इसका मतलब यह है कि जहां महिलाओं का सम्मान होता है वहीं पर ही देवता निवास करते हैं । किसी भी देश की उन्नति में पुरुषों के योगदान के साथ-साथ महिलाओं की भी भागीदारी होती है । उन्होंने कहा कि पिछले 123 सालो के दौरान महिलाओं का विभिन्न योगदान रहा | माँ के सामान दुनिया में कोई गुरु नहीं है | युगों-युगों से पूजित नारी का सम्मान करो | “बेटी-बचाओ बेटी- पढ़ाओ” का नारा लगाओ | भारतीय नारी के विश्व पटल पर योगदान को उन्होंने बहुत विस्तार से रेखांकित किया | महाविद्यालय की प्रबंध समिति से श्री रवि गोसाईं ने कहा कि हमारे देश में पुरुष और नारी ने समान रूप में विकास रूप से योगदान दिया परंतु कहीं न कहीं पुरुष प्रधान समाज में उनके वास्तविक योगदान को समुचित सराहना नहीं मिलती। प्राचार्या डॉ. शशि प्रभा मलिक ने कहा कि यदि यह कहा जाए कि संस्कृति, परम्परा या धरोहर नारी के कारण ही पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होती रही है, तो यह कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। जब जब समाज में जड़ता आई है, नारी शक्ति ने ही उसे जगाने के लिए तथा उससे जूझने के लिए आगे बढ़ने का संकल्प लिया है। ‘नारी’ विधाता की सर्वोत्तम और उत्कृष्ट सृष्टि है। बायो साइंस विभाग के अध्यक्ष डॉ निधान सिंह ने कहा कि नारी ही यह सौंधी मिट्टी की महक है, जो जीवन की बगिया को महकाती है और न केवल व्यक्तिगत, बल्कि राष्ट्र-निर्माण एवं विकास में अपनी अहम् भूमिका निभाती है। नारी के लिए यह कहा जाए कि यह “विविधता में एकता है”तो कोई बड़ी बात नहीं होगी, क्योंकि महिलाओं के बाह्य स्वरूप, सौन्दर्य और पहनावे में विविधता होती है | महिला प्रकोष्ठ की संयोजिका डॉ सीमा ने कहा कि महिलाओं ने इस जगत में माँ के रूप में अपनी सर्वोपरि भूमिका को निभाते हुए राष्ट्र-निर्माण और विकास में अपने विशेष दायित्वों का निर्वहन किया है। महिलाएँ बच्चों को जन्म देकर उनका पालन-पोषण करते हुए उनमें संस्कार एवं सद्गुणों का उच्चतम विकास करती है तथा राष्ट्र के प्रति उनकी जिम्मेदारी को सुनिश्चित करती है, ताकि राष्ट्र-निर्माण और विकास निर्बाध गति से होता रहे। आतंरिक गुणवत्ता मूल्यांकन परिषद् के संयोजक डॉ. विक्रम ने कहा कि महिलाएँ एक गृहिणी के रूप में राष्ट्र-निर्माण और विकास के रूप में अपनी उत्कृष्ट भूमिका निभाती हैं जब भी कभी देश पर संकट आया है, तो पत्नियों ने अपने पतियों के माथे पर तिलक लगाकर जोश, जुनून और विश्वास के साथ रणभूमि में भेजा है। डॉ. सीमा ने अंत में सभी का धन्यवाद किया | इस कार्यक्रम में उप्रचार्या डॉ. किरण मदान, डॉ. सुनित शर्मा, पवन कुमार, अजयपाल सिंह, डॉ. सुनीता रानी, डॉ. शर्मिला यादव, खुशबू, डॉ. मोनिका वर्मा, डॉ. नरवीर, अश्वनी गुप्ता, विनय भारती, डॉ. नीतू मनोचा, अंजलि गुप्ता, सोनल डोगरा, प्रिया बरेजा, अन्जुश्री, सोनिया वर्मा, अंशिका, आकांशा, सुखजिंदर सिंह, मोहित धीमान एवं टिंकू आदि उपस्थित रहे।
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