असंध रोड मार्केट से 7 बच्चों को बाल श्रम के चंगुल से मुक्त कराया गया.
BOL PANIPAT : जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, पानीपत की सचिव एवं न्यायिक दंडाधिकारी मीनू के दिशानिर्देशानुसार एवं कुशल मार्गदर्शन में गैर सरकारी संस्था एमडीडी ऑफ इंडिया ने, स्टेट क्राइम ब्रांच, शिक्षा विभाग, बाल कल्याण समिति, जिला कल्याण विभाग, पुलिस विभाग और ब्रेकथ्रू संस्था के सहयोग से बाल श्रम और बच्चों से भिक्षावृत्ति के खिलाफ “शिक्षा का हक नई राह नई पहचान” अभियान चलाकर असंध रोड मार्केट से 7 बच्चों को बाल श्रम के चंगुल से मुक्त कराया गया ।
“शिक्षा का हक नई राह नई पहचान” अभियान के तहत जिले के सरकारी विभागों और गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा मिलकर काबड़ी रोड, औद्योगिक क्षेत्र और फैक्ट्रियों में बाल श्रम और बाल भिक्षावृत्ति के खिलाफ एक जागरूकता अभियान चलाया गया, जिसमें बस्तियों और बाजार में रैली निकाली गई और दुकानों पर काम कर रहे 8 से 14 साल की उम्र के 7 बच्चों को मुक्त करवाकर बाल कल्याण समिति में पेश किया गया।
मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी एवं जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण सचिव मीनू ने कहा कि बच्चों से बाल श्रम व भिक्षावृत्ति कराना गलत है और उन्हें शिक्षा से जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि शिक्षा का अधिकार कानून के तहत सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध करवाई जाती है। उन्होंने बताया कि अगर किसी को भी कोई कानूनी सहायता चाहिए तो नालसा हेल्पलाइन नंबर 15100 पर कॉल कर सकते हैं। जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण द्वारा बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए देश भर में शिक्षा का हक अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि आज ही जल संरक्षण दिवस के मौके पर प्राधिकरण की तरफ से सिवाह, डाहर और सोंधापुर में एमडीडी ऑफ इंडिया के सहयोग से जल संरक्षण और बाल विवाह के बारे में भी लोगों को जागरूक किया गया है।
एंटी ह्यूमन ट्रैफिक यूनिट इंचार्ज संदीप कुमार ने बताया कि बाल श्रम एक कानूनन अपराध है और जो कोई भी बच्चों से बाल श्रम करवाता है उसे सजा के साथ जुर्माना भी हो सकता है। सभी बच्चों को अनिवार्य शिक्षा अधिनियम के तहत स्कूली शिक्षा उपलब्ध करवाई जानी चाहिए। बाल श्रम से जुड़े अपराधों के लिए भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 370-374 में सज़ा का प्रावधान है। बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 के मुताबिक, 14 साल से कम उम्र के बच्चे को किसी कारखाने या खान में काम नहीं कराया जा सकता। अगर कोई व्यक्ति 14 साल से कम उम्र या 14 से 18 साल के बीच के बच्चे को किसी खतरनाक काम में लगाता है, तो उसे एक से छह महीने की जेल हो सकती है या 20,000 से 50,000 रुपये का जुर्माना हो सकता है। इसी कड़ी में ऑपरेशन मुस्कान के तहत आज 7 बच्चों को रेस्क्यू कराया गया और 1 गुमशुदा बच्चे को पुराने बस स्टैंड क्षेत्र से बरामद करके बाल कल्याण समिति में पेश कर बाल देखभाल गृह में सौंपा गया है।
एमडीडी ऑफ इंडिया से जिला समन्वयक संजय कुमार ने कहा कि बाल श्रम उन्मूलन के लिए भारत सरकार कई तरह के सरकारी कार्यक्रम चलाती है। अगर किसी को भी बाल श्रम का कोई मामला दिखे, तो उस व्यक्ति को तुरंत श्रम विभाग, मानव तस्करी विरोधी इकाई, बाल कल्याण समिति, जिला प्रशासन या गैर सरकारी संस्थाओं को इसकी जानकारी देनी चाहिए। मानव तस्करी निरोधक इकाई और पुलिस विभाग के अफसरों ने मार्केट में दुकानदारों को चेताया कि अगर कोई बाल श्रम करवाता हुआ पाया जाता है तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
आज के इस जागरूकता अभियान में राजकुमार जिला कल्याण विभाग, एएचटीयू इंचार्ज संदीप कुमार एसआई, एएसआई सुनील कुमार, पीएलवी यशपाल , मॉडल टाऊन थाने से एसआई प्रदीप, ओल्ड इंडस्ट्रियल एरिया थाने से एसआई वेदपाल, ब्रेकथ्रू संस्था से कुलदीप, एमडीडी ऑफ इंडिया से संजय कुमार व अजय चौहान शामिल रहे।
गौरतलब है कि पानीपत में बाल अधिकारों के लिए कार्यरत संस्था एमडीडी ऑफ इंडिया द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बाल कल्याण समिति, मानव तस्करी विरोधी इकाई, शिक्षा विभाग के साथ मिलकर बाल श्रम के अभिशाप को मिटाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। जिसमें पिछले 8 महीनों में 110 से ज्यादा बच्चों को विभाग की मदद से रेस्क्यू कराया जा चुका है।
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