पढ़ लिखकर व्यक्ति बुद्धिमान तो बन सकता है लेकिन विवेक केवल सत्संग से ही मिलता है : स्वामी दयानन्द सरस्वती जी
BOL PANIPAT : सनौली रोड, नेता जी कालोनी स्थित श्री लक्ष्मी नारायण सांई बाबा मन्दिर के 56वें वार्षिकोत्सव के अंतर्गत तीन दिवसीय श्री राम कथा सत्संग के अंतिम दिन प्रवचन करते हुए स्वामी दयानन्द सरस्वती जी ने रामचरितमानस की चौपाई ‘‘बिनु सत्संग बिबेक न होई रामकृपा बिनु सुलभ न सोई’’ पर व्याख्या की।
महाराज श्री ने प्रवचन करते हुए कहा कि बिना सत्संग प्राप्त किये विवेक नहीं आ सकता, बहुत पढ़ लिखकर व्यक्ति बुद्धिमान तो बन सकता है लेकिन विवेक केवल सत्संग से ही मिलता है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को यदि शक्तिशाली बनना है तो झुकना भी सीखना चाहिए। उन्होंने कहा कि सुख आने पर भूलना नहीं चाहिए और दुख में तड़पना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा सुनने से सब कुछ प्राप्त होता है बोलने वाले सोचते हैं हम सब जानते हैं लेकिन सुनने वाला भी बहुत ज्ञानी होता है। गुरू वो सुनाता है जो आपके लिए अच्छा होता है। परमात्मा वो करता है जो आपके लिए अच्छा होता है। इससे पूर्व ब्रह्मर्षि श्री नाथ जी महाराज ने प्रहलाद के प्रसंग को सुनाते हुए कहा कि ईश्वर हर जगह हैं लेकिन उन्हें प्रेम से पाया जा सकता है। प्रहलाद की पुकार पर भगवान खम्भे में प्रगट होते हैं और हिरण्यकश्युप का उद्धार करते हैं। इससे पूर्व वेद गोस्वामी (गुरूगद्दी गाहड़ू लाल) ने भी अपने प्रवचनों में मुनुष्य जीवन की सार्थकता पर ध्यान देने की बात कही। इससे पूर्व श्री श्री लक्ष्मी नारायण मन्दिर सेवा समिति के सदस्यों द्वारा सुन्दरकाण्ड का पाठ किया गया। कैलाश नारंग ने ‘‘दे दे थोड़ा प्यार, सतगुरू क्या तेरा घट जाएगा’’ गाकर सबको भाव विभोर कर दिया।
इस अवसर पर इस अवसर पर किशन लखीना, राजेन्द्र टुटेजा, रामनारायण तनेजा, तिलक राज सेठी, सुन्दर नन्दवानी, राजेश लखीना, दिनेश ढींगड़ा, अनिल रेवड़ी, पंकज नारंग, सतपाल सैनी, राममेहर चौहान, पुजारी प्रेम चन्द शर्मा, हरि कृष्ण जोशी एवं महिला संकीर्तन मण्डल के सदस्य उपस्थित थे।
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