Tuesday, July 8, 2025
Newspaper and Magzine


जागरुकता और संयमित जीवन शैली हर प्रकार के कैंसर के विरुद्ध लड़ाई के कारगर हथियार है: डॉ निधि नैय्यर

By LALIT SHARMA , in EDUCATIONAL , at March 7, 2024 Tags: , , , ,

• बीएलके मैक्स सुपर स्पेसिएलिटी हॉस्पिटल और कैंसर सेंटर नई दिल्ली के तत्वाधान में मेगा मेडिकल हेल्थ चेकअप कैंप का भव्य आयोजन
• कालेस्ट्राल, ब्लड प्रेशर, मधुमेह, हिमोग्लोबिन, बीएमडी, पीएसए, पेप स्मीयर, ईसीजी आदि की जांच नि:शुल्क की गई
• धूम्रपान, गुटका, शराब आदि का निषेध और विटामिन युक्‍त एवं रेशे वाला पौष्टिक भोजन कैंसर से लड़ाई में मददगार है: डॉ जय गोपाल शर्मा

एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में विश्वविधालय स्तरीय सात दिवसीय राष्ट्रीय सेवा योजना कैंप का तीसरा दिन

BOL PANIPAT , 07 मार्च. एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में चल रहे विश्वविधालय स्तरीय सात दिवसीय आवासीय राष्ट्रीय सेवा योजना कैंप के तीसरे दिन बीएलके मैक्स सुपर स्पेसिएलिटी हॉस्पिटल और कैंसर सेंटर नई दिल्ली द्वारा एक दिवसीय मेगा हेल्थ चेकअप का आयोजन किया गया ! कैंप का उद्घाटन कॉलेज प्रधान दिनेश गोयल ने किया ! जिसमे बतौर मुख्य वक्ता वरिष्ठ सलाहकार निवारक ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ जय गोपाल शर्मा और डॉ निधि नैय्यर फ़ेलोशिप स्त्री रोग संबंधी ऑन्कोलॉजी आरजीसीआईआरएस दिल्ली ने शिरकत की और गर्भाशय, ग्रीवा, अंडाशय, एंडोमेट्रियल, योनिमुख और स्तन कैंसर होने के कारणों और इससे बचने के उपायों पर विस्तृत चर्चा की और अपने मेडिकल ज्ञान एवं अनुभव को स्वयंसेवकों एवं प्राध्यापकों के साथ साझा किया । डॉ जय गोपाल शर्मा और डॉ निधि नैय्यर ने स्टाफ सदस्यों और स्वयंसेवकों के मन में व्याप्त कैंसर के भय को दूर कर उनके सवालों के जवाब दिए । मौके पर ही कालेस्ट्राल, ब्लड प्रेशर, मधुमेह, हिमोग्लोबिन, बीएमडी, पीएसए, पेप स्मीयर, ईसीजी आदि की जांच नि:शुल्क की गई । उनके साथ बीएलके मैक्स कैंसर सेंटर नई दिल्ली के मार्केटिंग मैनेजर नरेश कुमार, बीएमडी मशीन ऑपरेटर अजय, लैब तकनीकी सहायक तुषार वर्मा, आकाश, स्टाफ नर्स रश्मि देवी, बिष्मी और रवि शंकर ने भी कैंप के आयोजन में भरपूर सहयोग दिया । मेहमानों का स्वागत प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा, कैंप सेक्रेटरी डॉ राकेश गर्ग और डॉ संतोष कुमारी ने किया । 5 से 11 मार्च तक चलने वाले इस आवासीय कैंप में कुरुक्षेत्र विश्वविधालय कुरुक्षेत्र से सम्बद्ध 52 कालेजों के 202 स्वयंसेवकों और प्रोग्राम ऑफिसर हिस्सा ले रहे है । सभी स्वयंसेवकों और उनके साथ आये प्रोग्राम अधिकारियों के रहने और भोजन की पूर्ण व्यवस्था कॉलेज में ही की गई है । प्राध्यापकों में डॉ प्रियंका चांदना, डॉ दीपिका अरोड़ा, डॉ सुशीला बेनीवाल, प्रो जुगमती, प्रो मीतु सैनी, डॉ इंदु गर्ग, डॉ एसके वर्मा, प्रो मुकेश पुनिया, प्रो वीरेंद्र गिल, प्रो मनोज कुमार, प्रो विशाल गर्ग, प्रो आशीष गर्ग, प्रो सोनिका शर्मा, प्रो पूजा धींगडा, दीपक मित्तल, चिराग सिंगला आदि ने कैंप का लाभ उठाकर अपने स्वास्थ्य की नि:शुल्क जांच कराई ।

कैंप के तीसरे दिन की शुरुआत प्रात: योग और ध्यान शिविर से हुई जिसमें सभी एनएसएस स्वयंसेवकों ने हिस्सा लिया । तत्पश्चात खेलकूद की गतिविधियों के माध्यम से सभी स्वयंसेवकों ने स्वास्थ्य लाभ हासिल किया । सुबह के नाश्ते के उपरान्त स्वयंसेवकों ने कार्यशाला और मेडिकल कैंप के लिए प्रस्थान किया । विदित रहे कि कैंप को एनएसएस सेल, कुरुक्षेत्र विश्वविधालय कुरुक्षेत्र का संरक्षण तथा राज्य एनएसएस सेल उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा सरकार द्वारा प्रायोजन हासिल है । मंच संचालन डॉ संतोष कुमारी ने किया । आज एनएसएस कार्यकर्ताओं को मतदान करने के प्रति जागरूक किया गया और उन्हें निर्भीकता, निष्पक्षता और न्यायोचित तरीके से वोट डालने की शपथ दिलाई गई । भोजन के उपरान्त प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा ने स्वयंसेवकों को बहुत ही मधुर तरीके से हनुमान चालीसा के पाठ में सम्मिलित किया और एक सुर होकर सारे वातावरण को श्री राममयी बना दिया । तत्पश्चात एकल और ग्रुप डांस प्रतियोगिता का आयोजन किया गया ।

डॉ जय गोपाल शर्मा ने कहा कि कैंसर रोगों का एक वर्ग है जिसमें कोशिकाओं का एक समूह अनियंत्रित वृद्धि, रोग और कभी-कभी अपररूपांतरण जैसे गुणों को प्रदर्शित करता है । कैंसर सभी उम्र के लोगों को यहाँ तक कि भ्रूण को भी प्रभावित कर सकता है । परन्तु कैंसर का जोखिम उम्र बढ़ने के साथ ज्यादा बढ़ता है । लगभग सभी कैंसर रूपांतरित कोशिकाओं के आनुवंशिक पदार्थ में असामान्यताओं के कारण पैदा होते हैं । ये असामान्यताएं कैंसर पैदा करने वाले तत्वों जैसे तम्बाकू, धूम्रपान, विकिरण, रसायन आदि के कारण हो सकती है । अन्य आनुवंशिक असामान्यताएं भी डीएनए में त्रुटि का कारण बन सकती हैं जिससे कैंसर हो जाता है । यदि समय रहते अपनी जांच करवा ली जाए तो हम कैंसर के रोग से पूर्ण रूप से मुक्ति पा सकते है ।
डॉ निधि नैय्यर ने कहा कि गर्भाशय कैंसर होने के कई कारण होते है । कई बार कुछ स्थितियों में एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ता है और प्रोजेस्टेरोन का स्तर कम होता है जिसके कारण इस कैंसर के होने की संभावना बढ़ जाती है । दो वर्ष या उससे अधिक समय तक टैमोक्सीफेन का उपयोग तथा लिंच सिंड्रोम नामक एक वंशानुगत सिंड्रोम के कारण भी इस कैंसर के होने का जोखिम होता है । सर्वावेक (जिसे सीरम इंस्टिट्यूट पुणे ने निर्मित किया है), गार्डासिल और गार्डासिल-9 कुछ ऐसी वैक्सीनस है जिन्हें महिलाएं अगर समय पर लगवा ले तो इस कैंसर से पूरी तरह बचा जा सकता है । पेप और एचपीवी डीएनए टेस्ट से हमें इस कैंसर को पकड़ने में मदद मिलती है । सर्वाइकल कैंसर गर्भाशय ग्रीवा में विकसित होता है । अधिकांश सर्वाइकल कैंसर ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) संक्रमण के कारण होते हैं । सर्वाइकल कैंसर आमतौर पर एचपीवी के संक्रमण के परिणामस्वरूप होता है और यह यौन संपर्क के दौरान फैलता है । शुरुआत में अंडाशय के कैंसर के कोई लक्षण नहीं होते परन्तु बाद के चरणों में इसके लक्षणों को पहचाना जाता है । हालांकि इसकी पहचान करना फिर भी मुश्किल होता है क्योंकि ऐसे लक्षण अन्य रोगों के भी हो सकते हैं जैसे भूख कम लगना और वज़न घटना इत्यादि । आमतौर पर अंडाशय के कैंसर का इलाज ऑपरेशन और कीमोथेरेपी (रसायनों से उपचार) से किया जाता है । महिलाओं में स्तन कैंसर सबसे आम कैंसर है और कैंसर से होने वाली मौतों का दूसरा सबसे बड़ा कारण है । आमतौर पर इसका पहला लक्षण दर्द रहित गांठ का होना होता है जो अकसर महिलाओं के ध्यान में आ जाता है । स्तन कैंसर की जांच की सिफारिशें अलग-अलग होती हैं और इसमें आवधिक मैमोग्राफी, डॉक्टर द्वारा स्तन परीक्षण और स्तन स्व-परीक्षा (बीएसई) शामिल होती है । उन्होनें कहा कि हम किसी भी प्रकार के कैंसर से बच सकते है और इसके लिए सबसे पहले महिलाओं को अपनी झिझक को छोड़ना होगा । स्वस्थ जीवन शैली, फाइबर युक्त पौष्टिक भोजन, नियमित व्यायाम और अनुशासित जीवन से हम कैंसर को भी मात दे सकते है ।
डॉ अनुपम अरोड़ा ने कहा कि जो व्यक्ति सदा प्रसन्न रहता है उसमे न सिर्फ कैंसर के होने की सम्भावना कम रहती है बल्कि अगर हो भी जाए तो खुशदिल व्यक्ति बेहतर तरीके से कैंसर से लड़कर इस जंग को जीत सकता है । हमेशा खुश रहना कैंसर के खिलाफ सबसे सर्वोत्तम दवाई और इलाज है । उन्होनें कहा कि दुनिया भर में हर साल लगभग 76 लाख लोग कैंसर से दम तोड़ते हैं जिनमें से 40 लाख लोग समय से पहले अर्थात 30 से 69 वर्ष आयु वर्ग में ही मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं । समय की मांग है कि इस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ कैंसर से निपटने की व्यावहारिक रणनीति को विकसित किया जाए । एनएसएस इसमें सक्रीय भूमिका निभा सकते है ।
डॉ राकेश गर्ग प्रोग्राम ऑफिसर ने कहा कि एनएसएस स्वयंसेवकों को कैंप में सिखाई जाने वाली बातों को मनोयोग से लागू करना होगा । समाज को सही दिशा दिखाने, बुराइयों के खिलाफ लड़ने के लिए और मतदान के प्रति लोगों को जागरुक करने में एनएसएस कार्यकर्ता महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है । सात दिवसीय शिविर में जो जानकारी और अनुभव उन्हें मिल रहा है उसका लाभ उठाकर उन्हें समाज हित के कार्य जरुर करने होगे ।

Comments