Sunday, April 20, 2025
Newspaper and Magzine


एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में चार दिवसीय राष्ट्रीय विज्ञान दिवस कार्यक्रमों का तत्वपूर्ण आगाज़ 

By LALIT SHARMA , in EDUCATIONAL , at February 25, 2025 Tags: , , , ,

कॉलेज रेड रिबन क्लब द्वारा एचआईवी-एड्स, टी.बी. एवं जनित रोगों पर सेमीनार का आयोजन 

पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता का हुआ आयोजन 

एड्स जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर युवाओं से खुलकर बातचीत अति आवश्यक: प्राचार्य डॉ. अनुपम अरोड़ा 

एचआईवी-एड्स के रोग से घृणा करे, रोगी से नहीं: अंजू, काउंसलर, सिविल हॉस्पिटल पानीपत 

एचआईवी-एड्स से बचाव और मदद की दिलाई शपथ

BOL PANIPAT , 25 फरवरी, 

एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में चार दिवसीय राष्ट्रीय विज्ञान दिवस कार्यक्रमों के पहले दिन कॉलेज रेड रिबन क्लब द्वारा एचआईवी-एड्स, टी.बी. एवं जनित रोगों पर सेमीनार एवं पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया । जिसमे प्रदेश के विभिन्न कालेजों के विज्ञान संकाय के लगभग 60 छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया । कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा, कार्यक्रम की संयोजक प्रो प्रवीण कुमारी, डॉ. रवि रघुवंशी, डॉ. राहुल जैन ने की । दिनांक 27-02-2025 को चार दिवसीय कार्यक्रमों की श्रृंखला में विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन का आयोजन किया जाएगा । विदित रहे कि सर सीवी रमन ने रमन इफ़ेक्ट की खोज की थी जिसका सम्बन्ध फोटोन कणों के लचीले वितरण से है । स्टिल की स्पेक्ट्रम प्रकृति, स्टिल डाइनेमिक्स के बुनियादी मुद्दे, हीरे की संरचना और गुणों एवं अनेक रंगदीप्त पदार्थो के प्रकाशीय आचरण पर नोबेल पुरस्कार विजेता सीवी रमन द्वारा किया शोध आज भी मूल्यवान है । 

पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता में विभिन्न प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया जिसमे एसडी पीजी कॉलेज की साक्षी ने प्रथम स्थान हासिल किया । छात्र-छात्राओं ने विज्ञान के आधुनिक विषयों पर अनेक सुन्दर पोस्टर बनाये जिनमे से सर्वोत्तम का चयन करना जूरी डॉ. प्रियंका चांदना और डॉ. रेखा रानी के लिए चुनौतीपूर्ण कार्य रहा । पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता की समिति में डॉ राहुल जैन और प्रो निधि शामिल रहे ।    

कॉलेज प्रधान दिनेश गोयल ने अपने सन्देश में छात्र-छात्राओं को बताया कि अब एड्स से ग्रसित लोगों की सरकार भरपूर मदद करती है ताकि वे अच्छे इलाज से वंचित न रह सके. एचआईवी-एड्स बिमारी का आज भी कोई कारगर इलाज उपलब्ध नहीं है. लेकिन इस बिमारी को फैलने से रोका अवश्य जा सकता है और एचआईवी संक्रमित व्यक्ति लंबे समय तक जिंदा रह सकता है. 

डॉ अनुपम अरोड़ा ने अपने सन्देश में कहा कि एड्स पर सेमिनार और प्रतियोगिताओं के माध्यम से युवाओं के ज्ञान में वृद्धि होती है और उन्हें एचआईवी-एड्स को समझने में तथा इस से जुड़ी भ्रांतियों और मिथकों को तोड़ने में मदद मिलती है. एड्स से बचने के उपायों पर बोलते हुए उन्होनें कहा कि हमें संयमित और अनुशासित जीवन जीना चाहिए. मादक औषधियों के अभ्यस्त व्‍यक्ति के द्वारा उपयोग में ली गई सिरिंज व सूई का प्रयोग नहीं करना चाहिए. एड्स पीडित महिलाओं को सोच-समझकर गर्भधारण करना चाहिए. रक्‍त की आवश्‍यकता होने पर हमें अनजान व्‍यक्ति का रक्‍त लेने से बचना चाहिए. अगर रक्त लेना अवश्यम्भावी हो तो पहले रक्त की एचआईवी के लिए जांच अवश्य करवानी चाहिए. दूसरे व्‍यक्ति द्वारा प्रयोग में लिया हुआ ब्‍लेड और पत्‍ती काम में नहीं लेनी चाहिए.

मंजू काउंसलर, सिविल हॉस्पिटल पानीपत ने कहा कि एड्स  बीमारी एचआईवी यानी ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस से फैलती है. यह वाइरस शरीर के इम्यून सिस्टम पर हमला करता है जिससे अन्य बीमारियाँ इंसान को जकड़ने लगती है. एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति बेशक अपनी स्थिति को बदल नहीं सकता है परन्तु हम अपना व्यवहार और रवैया जरुर बदल सकते है. हमें चाहिए की हम रोग से घृणा करें रोगी से नहीं. 

प्रो प्रवीण आर खेरडे ने कहा कि भारत के अशिक्षित लोगों में अंधविश्वास की जड़ें गहरी बैठी हुई है और विज्ञान एवं उसकी प्रणालियों का अध्ययन अंधविश्वासों के विरुद्ध संग्राम में उपयोगी सिद्ध हो सकता हैं । विज्ञान का अध्ययन करने वाला व्यक्ति अविवेकपूर्ण बातों पर विश्वास नहीं करता है । शिक्षा और वैज्ञानिक ज्ञान का प्रसार अंधविश्वासों से छुटकारा दिलाने का सबसे सशक्त माध्यम है । इसीलिए इस प्रकार के आयोजन भी किया जाते है ।

प्रो प्रवीण कुमारी ने कहा कि इन प्रतियोगिताओं के माध्यम से युवाओं के ज्ञान में वृद्धि हुई है और उनमें आत्मविश्वास के भाव का संचार हुआ है । वर्तमान में विज्ञान में रोजगार की अपार संभावनाएं मौजूद है । विद्यार्थीयों को चाहिए कि वे विज्ञान को अपने जीवन में उतारे और स्थानीय समस्याओं का हल अपनी शिक्षा के माध्यम से निकाले । ऐसा करने से न सिर्फ उनका आत्मविश्वास बढेगा बल्कि वे समाज और देश की भी मदद कर पायेंगे ।  

डॉ. रवि रघुवंशी ने सर सीवी रमन को याद करते हुए उन्होनें कहा कि उन्होंने ही पहली बार तबले और मृदंगम के संनादी (हार्मोनिक) की प्रकृति की खोज की थी । रमन जैसा वैज्ञानिक आज भी हम सभी के लिए आदर्श है और उनकी कड़ी मेहनत तथा वैज्ञानिक सोच का कोई विकल्प नहीं है और यदि ऐसी सोच हम खुद में विकसित कर ले तो बुलंदियां हमारे कदम चूमेंगी । वैज्ञानिक सोच के बढ़ने से ही हम एक जिम्मेदार और जागरूक नागरिक तथा वैज्ञानिक बन सकते है । 

पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता के परिणाम –

प्रथम साक्षी   बी.ए. द्वितीय वर्ष

द्वितीय रोहित  बी.ए. प्रथम वर्ष  

तृतीय अन्नू बी.ए. द्वितीय वर्ष

सांत्वना हर्ष बी.ए. द्वितीय वर्ष

इस अवसर पर स्टाफ सदस्यों में प्रो. प्रवीण आर. खेरडे, प्रो. राकेश कुमार सिंगला, प्रो प्रवीण कुमारी, डॉ. प्रियंका चंदना, डॉ. रेखा रानी, डॉ. राहुल जैन, डॉ. रवि रघुवंशी, डॉ. रेनू गुप्ता, डॉ. बिंदु रानी, डॉ. प्रोमिला, प्रो साक्षी, प्रो दिव्या, प्रो शिवी, प्रो कीर्ति, दीपक मित्तल उपस्थित रहे ।

Comments