शबरी केवल विशुद्ध प्रेम को जानती थी जिससे मिलने प्रभु राम स्वयं भाई सहित पहुँचे : स्वामी दयानन्द सरस्वती जी महाराज
BOL PANIPAT : श्री संत द्वारा हरि मन्दिर, निकट सेठी चौक, पानीपत के प्रांगण में नव विक्रमी सम्वत 2082 के उपलक्ष्य के अवसर पर परम पूज्य 1008 स्वामी दयानन्द सरस्वती जी महाराज (मुरथल वाले) की अध्यक्षता में सप्ताह भर चलने वाले संत समागम कार्यक्रम के तीसरे दिन महाराज श्री ने प्रवचन करते हुए कहा कि जब भगवान राम वनवास गए तो वहां बड़े ऋषि मुनियों के आश्रम थे जहां सभी नियमों के पालन होते थे लेकिन वहां एक ऐसा आश्रम था जहां नियम का पालन नहीं होता था। वह शबरी का आश्रम था। क्योंकि शबरी कर्मकाण्ड नहीं जानती थी वह केवल विशुद्ध प्रेम को जानती थी जिससे मिलने प्रभु राम स्वयं भाई सहित पहुँचे। इसी प्रकार बंगाल में रामकृष्ण जी भी जगत जननी माँ की उपासना में लीन रहते थे जिसके कारण वह नियमों का पालन नहीं कर पाते थे लेकिन जब मंदिर के प्रबंधकों ने एतराज किया तो रामकृष्ण परमहंस ने कहा कि वह रीति को नहीं जानते, प्रीति को जानते हैं। अगर ईश्वर को पाना है तो जगत के नियमों से ऊपर उठना होगा। इससे पूर्व मुख्य अतिथि राकेश लाला खेड़ा एवं गुलशन खेड़ा ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। प्रसिद्ध भजन गायक वेद कमल ने भजन ‘जब शमा बुझ गई तो महफिल में रंग आया’ गाकर वातावरण को भक्तिमय कर दिया। इस अवसर पर रमेश चुघ प्रधान, हरनाम चुघ, उत्तम आहूजा, ईश्वर लाल रामदेव, किशोर रामदेव, अमन रामदेव, दर्शन रामदेव, धर्मवीर नन्दवानी, गुलशन नन्दवानी, करतार चुघ, सुभाष चुघ, जगदीश चुघ, कर्म सिंह रामदेव, गोल्डी बांगा, अमर वधवा, सुरेन्द्र जुनेजा, राघव चुघ, अमन रामदेव, हरनारायण जुनेजा, श्याम लाल सपड़ा, सोनू खुराना, राघव चुघ सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
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