Friday, April 25, 2025
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एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में परम पूज्य राष्ट्र संत स्वामी श्री गोविंददेव गिरी जी महाराज का शुभागमन एवं आशीर्वचन

By LALIT SHARMA , in EDUCATIONAL , at March 3, 2025 Tags: , , , ,

-श्री एसडी एजुकेशन सोसाइटी (रजि.) पानीपत एवं संचालित संस्थाओं को प्राप्त हुआ स्वामी जी का परम सानिध्य
-लोगों, समाज, प्रकृति और परिवार का ईश्वर से संतुलन ही धर्म है: स्वामी श्री गोविंददेव गिरी जी

BOL PANIPAT , 03 मार्च : एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में परम पूज्य राष्ट्र संत स्वामी श्री गोविंददेव गिरी जी महाराज का शुभागमन हुआ और उनके आशीर्वचन से कॉलेज सभागार में मौजूद सभी दर्शक भाव-विभोर हो गए । परम पूज्य स्वामी श्री गोविंददेव गिरी जी महाराज वर्तमान में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट अयोध्या के कोषाध्यक्ष है । 22 जनवरी 2024 को जब अयोध्या में श्री राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन हुआ था तब देश के करोड़ों लोगों ने इस महान संत को देखा और सुना । इन्होनें ही माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का उपवास पूर्ण करवाया था । कॉलेज प्रांगण में पहुँचने पर स्वामी जी का स्वागत अनूप कुमार प्रधान एसडी एजुकेशन सोसाइटी (रजि.) पानीपत, नरेश गोयल सचिव, श्रवण कुमार जॉइंट सेक्रेटरी, सतीश चंद्रा चेयरमैन एसडी वीएम हुडा, पवन गर्ग चेयरमैन एसडी इंटरनेशनल स्कूल, प्रमोद कुमार बंसल प्रधान एसडी सीनियर सेकेंडरी स्कूल, श्री कृष्ण अग्रवाल ऑडिटर एसडीवीएम सिटी, विनोद गुप्ता चेयरमैन एमएएसडी पब्लिक स्कूल, तुलसी सिंगला सेक्रेटरी एसडीवीएम हुडा, आकाश गर्ग चेयरमैन एसडी इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस, दिनेश गोयल कॉलेज प्रधान, महेंद्र अग्रवाल जनरल सेक्रेटरी, राजीव गर्ग, विशाल गोयल कोषाध्यक्ष, सूरज प्रकाश गुप्ता और प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा ने फूलों के हार पहना कर किया । कार्यक्रम के आरम्भ में ‘श्री राम श्री राम’ के नाम का उदघोष हुआ । तत्पश्चात दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई । इस अवसर पर स्वामी जी ने रुद्राक्ष का एक पौधा भी कॉलेज प्रांगण में लगाया । मंच संचालन डॉ अनुपम अरोड़ा ने किया ।
परम पूज्य राष्ट्र संत स्वामी श्री गोविंददेव गिरी जी ने कहा कि भगवान राम का नाम लेने मात्र से हमारे पाप घटने लगते है और जो श्री राम का नाम नहीं लेता उसके सिर पर इनका बोझ लदा रहता है । उन्होनें कॉलेज प्रांगण में पधारने पर ख़ुशी की अभिव्यक्ति की और कहा कि जिस प्रकार के श्रौता यहाँ बैठे है उनसे बात करने का आनंद ही अलग है । हमारे जीवन में विचार सबसे मत्वपूर्ण भूमिका रखते है । क्या कहा गया था, क्या कहा जा रहा है और क्या कहा जाएगा, ये हमारे विचारों पर निर्भर करता है । विचार ही हमारी बुधिमत्ता का निर्धारण करते है । जीवन में सफलता और असफलता हमारे विचार ही निर्धारित करते है । जो आपने कॉलेज का नाम सनातन धर्म रखा है सम्पूर्ण संसार में इससे अद्भुत शब्द और कोई नहीं है । एक इंसान की तरह जीना एक अलग बात है परन्तु सुन्दर विचारों के साथ जीना एक शानदार बात है । हमें सैदेव इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम जो भी कर रहे है वह सही है या गलत । जो व्यक्ति समय समय पर अपनी समीक्षा करता रहता है वही सफलता के कदम चूमता है । मैं क्या सोच रहा हूँ, मैं कैसे सोच रहा हूँ – जो व्यक्ति इस प्रकार की सोच खुद में पैदा करते है वही इस ब्रह्माण्ड पर प्रभाव डालते है । सनातन धर्म इस जगत का सबसे व्यापक शब्द है । लोगों, समाज, प्रकृति और परिवार का ईश्वर से संतुलन ही धर्म है । धर्म बंधुत्व भाव का नाम है । परन्तु आज का इंसान पेड़ काट रहा है, प्रकृति का अंधाधुंध दोहन कर रहा है । वेदों में भी पानी, प्रकृति, चंद्रा आदि की आराधना करना और इनके साथ संतुलन बनाकर रखना समझाया गया है । सनातन धर्म किसी एक जाती, धर्म या राष्ट्र के लिए नहीं है बल्कि यह सम्पूर्ण मानव जाती के कल्याण के लिए है । असल में शिक्षा पर नियन्त्रण ही सनातन धर्म का उद्देश्य है । शिक्षा केवल मात्र हमारे व्यवसाय पर आधारित नहीं होनी चाहिए बल्कि इसका सम्बन्ध ज्ञान और हमारे जीवन से होना चाहिए । हमें अच्छा बेटा, पति, भाई, दोस्त बनना चाहिए और इस बात का ज्ञान ही जीवन का ज्ञान है । प्यार, नियंत्रण और भाईचारा ही धर्म है । जो शिक्षा समाज का भला करने में सक्षम है वही शिक्षा सर्वोत्तम है । माता पिता और समाज की सेवा ही सबसे श्रेष्ठ कार्य है । ऐसा करने के बाद हमें किसी मन्दिर या कोई स्नान करने की जरुरत नहीं है । हमें अपने अध्यापकों के प्रति सदा कृतज्ञता का भाव रखना चाहिए । विद्यार्थियों और अध्यापकों के आपसी संवाद से ही ज्ञान की लौ जलती है जिससे भारत माता मजबूत बनेगी । देश हमें सब कुछ देता है इसलिए हमें भी देश को कुछ देना चाहिए । भारत रहना चाहिए मैं रहूँ न रहूँ जैसी सोच हमें खुद में पैदा करनी चाहिए । श्री राम मन्दिर के निर्माण पर बोलते हुए उन्होनें कहा कि शुरू में उन्हें आर्थिक कठिनाइयां आई तो थी परन्तु बाद में सरकार की मदद से उन्हें अपेक्षा से अधिक वित्तीय सहायता मिली । फिर वहां की मिट्टी भी बालू थी जिस पर कोई भी ढांचा खड़ा करना बहुत मुश्किल था । इस कठिन समय में आईआईटी रूडकी, आईआईटी मुंबई और आईआईटी अहमदाबाद के इंजीनियर्स ने उनकी मदद की ।

इसके बाद जिज्ञासु छात्र-छात्राओं और प्राध्यापकों ने स्वामी जी से विभिन्न विषयों पर सवाल किये-
निकिता का प्रश्न – मां-बाप बच्चों से बहुत ज्यादा उम्मीदें लगाकर रखते हैं – हम इस दबाव से कैसे निपटे? मां-बाप को कौन समझाएगा?
स्वामी जी- शिक्षण संस्थानों को चाहिए की इस विषय पर वे बच्चों के अभिभावकों से संवाद करे । बच्चों को भी चाहिए कि वे अपनी क्षमता अनुसार ही प्रयास करें और अपनी जान को झोखिम में न डाले । जीवन प्रबंधन को अपनी लाइफ में अपनाना चाहिए ।

महक का प्रश्न – आप राम-मंदिर के निर्माण से जुड़े हुए हैं| वो कार्य संपन्न हुआ, उस समय आपके मन के भाव हमसे शेयर करें?
स्वामी जी – मन में आनंद और गर्व की अलौकिक सी प्रसन्नता थी और आज भी यह अपरिकल्प्नीय भाव ज्यौं का त्यौं मन में है ।

साक्षी का प्रश्न – आज का युवा विदेश भाग रहा है – यह सोचकर कि वहां सब अच्छा – सब आतुर है जाने को – आप युवा का मार्गदर्शन करें?
स्वामी जी – युवा को ये समझना चाहिए होगा कि जिस वैभैव और ऐश्वर्य की चाह में वे विदेश जा रहे है वह केवल मात्र दिखावा है । वास्तव में उन्हें दिन दोगुनी रात चौगुनी मेहनत करनी पड़ती है । फिर भी भारत जैसा मान उनको वहां नहीं मिल पाता है ।

आर्य का प्रश्न – युवा नशे की लत में लिप्त है – इसका नियंत्रण किस प्रकार करें?
स्वामी जी – दो तरीके है, पहला मन मजबूत रखे, नशे से बचे परन्तु यदि फिर भी लत लग जाए तो किसी चिकित्सक की मदद ले ।

केशव का प्रश्न – मोबाइल फोन, सोशल मीडिया युवा में इतना अधिक चलन है – हमें पता भी है परंतु रोक नहीं पाते, क्या करें?
स्वामी जी – इसके लिए ई-फास्टिंग (ई व्रत) करनी चाहिए । प्रत्येक दिन आधा या एक घंटा मोबाइल से दूर रहने का प्रयास करे । इसे अपना अध्यापक बनाये और इसकी मदद अपनी पढ़ाई में ले । इसका सदुपयोग करें ।

अनूप का प्रश्न – हमारी पीढ़ी पर पियर प्रेशर का अत्यंत अनदेखा प्रभाव है – इससे हम युवा गलत भी कर रहे हैं कैसे निपटें?
स्वामी जी – बुरे दोस्तों को हमें तुरंत प्रभाव से त्यागना चाहिए और अपने बड़ों से मार्गदर्शन लेना चाहिए ।

शिवराम का प्रश्न – आपको संन्यास की प्रेरणा कहां से प्राप्त हुई?
स्वामी जी – परिवार में आठ पीढ़ियों से गीता पठन की परंपरा है । फिर मैं संतों के भी सानिध्य में रहा । फिर अपने गुरु के निर्देशों पर दीक्षा ली ।

नीलाक्षी का प्रश्न – हमेशा सुना और पढ़ा कि फल की इच्छा मत करो, कर्म करते जाओ परंतु मानव मन फल की इच्छा के बिना कर्म कैसे कर सकता है?
स्वामी जी – ये बात केवल संयाई संतों के लिए है । युवाओं को लक्ष्य निर्धारित करके उसे प्राप्त करने के लिए कर्म करने चाहिए ।

वर्षा का प्रश्न – अगर भाग्य तय है तो हम मेहनत क्यों करें?
स्वामी जी – भाग्य का सहारा केवल दुर्बल, निर्बल और नपुंसक लोग लेते है । भाग्य को स्वीकार करते हुए मेहनत के साथ निरंतर कर्म करते रहे ।

चिराग का प्रश्न – क्या पिछले जन्मों के कर्मों का फल हमें इस जन्म में भुगतना पड़ता है? और क्यों भुगतना पड़ता है?
स्वामी जी – कोई भी कर्म हो – फल तो मिलना एवं भुगतना निश्चित है । कब, कैसे, किस रूप में ये होगा ये नियति तय करती है । पर क्रिया की प्रतिक्रिया तो होती ही है ।

विश्वा का प्रश्न – फोकस कैसे करें? बहुत लोभ है जो भटकाते हैं मन को? टिकाव कैसे आएगा, प्रकाश डालें?
स्वामी जी – मन पर नियंत्रण रखे, मोबाईल का सीमित इस्तेमाल करें, छात्र पढ़कर लिखने का अभ्यास करें ।

डॉ अनुपम अरोड़ा ने कहा कि परम पूज्य राष्ट्र संत स्वामी श्री गोविंददेव गिरी जी महाराज का दशकों से जीवन सनातन धर्म को अर्पित एवं समर्पित है और इनके मार्गदर्शन में अनेक संस्थाएं, प्रकल्प और व्यवस्थाएं सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में समर्पित है । परम पूज्य राष्ट्र संत स्वामी श्री गोविंददेव गिरी जी महाराज का कॉलेज प्रांगण में आगमन का मुख्य ध्येय हमारी शिक्षा को सनातन धर्म युक्त बनाना है । हमारे युवा संस्कार युक्त बने और अपने संस्कारों से कदापि भ्रमित न हो यही सन्देश स्वामी श्री गोविंददेव गिरी जी महाराज वर्तमान के युवा वर्ग में पैदा करना चाहते है । युवा आधुनिक शिक्षा अवश्य प्राप्त करे परन्तु वह अपने संस्कारों की जड़ों से जुड़ा रहे यही सन्देश स्वामी श्री गोविंददेव गिरी जी महाराज युवा वर्ग तक पहुंचाना चाहते है । आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ युवा धर्मानुकुल शिक्षा प्राप्त करे और शिक्षा सनातन धर्म संस्कार युक्त हो यही स्वामी जी की शिक्षा की परिकल्पना है ।

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