एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में विश्व बंधुत्व दिवस हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया
स्वामी विवेकानंद के जीवन और विचारों पर पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता का आयोजन
विवेकानंद ने विदेशों में भारतीय संस्कृति को पहचान दिलाई: डॉ अनुपम अरोड़ा
BOL PANIPAT, 11 सितम्बर,
एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में विश्व बंधुत्व दिवस को आदर और सम्मान भाव के साथ मनाया गया. इस अवसर पर आयोजित समारोह में छात्र-छात्राओं में नैतिक और राष्ट्र प्रेम से जुड़े भावो को जागृत किया गया. कॉलेज में स्वामी विवेकानंद के जीवन और विचारों के विषय पर पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया जिसमे विज्ञान, वाणिज्य और कला संकाय के लगभग 100 छात्र-छात्राओं ने भाग लिया. प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा ने स्वामी जी को दुनिया में भारत की पहचान बनाने वाला व्यक्तित्व बताया. विदित रहे की 125 साल बाद भी स्वामी विवेकानंद के इस मशहूर भाषण की आज भी बहुत प्रासंगिकता है और ऐसे विचारों की देश में अत्यधिक जरुरत है. इस अवसर पर प्रो राकेश सिंगला, डॉ संगीता गुप्ता, डॉ एसके वर्मा, डॉ मुकेश पुनिया, डॉ संतोष कुमारी, डॉ बलजिंदर सिंह, प्रो वीरेंद्र गिल, प्रो सविता पुनिया, डॉ भारती गुप्ता, प्रो संजय चोपड़ा, प्रो इंदु पुनिया, दीपक मित्तल आदि ने स्वामी विवेकानंद के चित्र पर पुष्प अर्पित कर सम्मान व्यक्त किया.
एसडी पीजी कॉलेज में पहले से ही विवेकानंद अंतर्राष्ट्रीय केंद्र स्थापित है और स्वामी जी के जीवन, विचारो और उनके लक्ष्यों पर वर्षभर कॉलेज में कार्यक्रम, संगोष्ठी, कार्यशालाएं और अन्य गतिविधियाँ आयोजित होती रहती है ताकि युवाओं का चरित्र और दृष्टिकोण उच्च-कोटि का बना रहे और उन्हें सामाजिक कार्यों से भी सरोकार रहे. विवेकानंद पर राष्ट्रीय स्तर के कई सेमिनार भी कॉलेज में आयोजित किये जा चुके है. जीवन में सफलता पाने के लिए स्वामी विवेकानंद से बेहतर गुरु कोई और हो ही नहीं सकता. विश्व बंधुत्व समय की मांग है और हर रिश्ते-नाते को इसी सूत्र में पिरोने का कार्य और दायित्व अब युवा वर्ग के कंधो पर है. आज का दिन बेहद अहम है क्योंकि आज ही के दिन स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में विश्व धर्म संसद के दौरान सबसे दमदार भाषण देकर भारत की पहचान को विश्व में स्थापित किया था और इस भाषण से दुनिया को अपना नजरिया बदलने के लिए मजबूर कर दिया था. उनके भाषण को सुनकर वहां मौजूद सभी लोग बेहद आश्चर्यचकित थे की भारत का एक युवा क्या कुछ कर सकता है. उनके भाषण में भारत की समृद्ध संस्कृति की झलक साफ़ देखने को मिली. आज युवाओं का उनसे अच्छा आदर्श कोई दूसरा हो ही नहीं सकता है.
डॉ संगीता गुप्ता ने कहा कि दुनिया में कोई ऐसा कोई दूसरा भाषण नहीं है जिसे जन्म दिवस की तरह मनाया जाता हो. शिकागो में दिए स्वामी विवेकानंद के इस भाषण ने पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया था. दुनिया जानती है कि स्वामी विवेकानंद ने अपने संबोधन में मेरे अमेरिकी भाइयो और बहनो” कहकर भाषण शुरू किया था और यह संबोधन सुनकर सभागार में कई मिनट तक तालियां गूंजती रही. यह संबोधन उन लोगों के लिए नया था जो दुनिया को महिला और पुरुष में बांटकर देखने के आदी रहे थे. स्वामी विवेकानंद ने हर स्त्री और पुरुष में भाई और बहन का संबंध दिखाया और हमें मानव का मानव के साथ क्या रिश्ता है समझाया. भाषण के आरम्भ में ही स्वामी विवेकानंद ने यह जता दिया था कि जिस भारत भूमि का वे प्रतिनिधित्व कर रहे हैं वह संन्यासियों की परंपरा के लिहाज से सबसे प्राचीन है. उदाहरणों के जरिए स्वामी विवेकानंद ने उपस्थित धर्म सम्मेलन को जता दिया कि न सिर्फ भारत भूमि सहिष्णु है बल्कि यह सार्वभौमिकता का पालन करने वाली धरती है. भारत भूमि परंपरा, संस्कृति और धर्म से दुनिया को परिचित कराने का जो चमत्कार स्वामी विवेकानन्द ने उस दिन कर दिखाया यह उसी का नतीजा है कि उनके अनुयायी दुनिया भर में हैं और उनकी शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक और ठोस है. स्वामीजी के विचार न सिर्फ दवा का काम करते है बल्कि बीमारीयों से बचने के तरीके भी हमें बताते है. मार्ग से भटके युवा यदि एक बार भी खुद को स्वामी विवेकानंद के विचारों पर ले आये तो इसके नतीजे सुखद और चकित करने वाले होंगे. उनका उद्धार और जीवन का सकारात्मक होना निश्चित है. दुनिया में शांति, विश्वबंधुत्व का विचार, दया, परोपकार, करुणा, सदभावना, भाईचारा, सदाचार आदि सभी इस भाषण में निहित है और इसे पढ़-सुन कर हर छात्र-छात्रा को अपने जीवन में उतारना चाहिए. स्वामीजी के भाषण को युवाओं ने ही दुनिया के सामने रखना है ताकि विश्व कल्याण का मार्ग फिर से प्रशस्त हो सके.
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