युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय भारत सरकार द्वारा एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में पानीपत और सोनीपत जिलों के लिए जिला स्तरीय विकसित भारत युवा संसद 2025 का शानदार आगाज़
विकसित भारत युवा संसद 2025 का थीम: ‘एक राष्ट्र एक चुनाव: विकसित भारत की ओर बढ़ते कदम’
‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ विकसित भारत की लक्ष्य प्राप्ति की महत्वपूर्ण आवश्यकता: डॉ अर्चना गुप्ता
भारत का युवा ही विकसित राष्ट्र की नीव है: कोमल सैणी
BOL PANIPAT , 22 मार्च. एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय भारत सरकार, राष्ट्रीय सेवा योजना और नेहरु युवा केंद्र संगठन नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय विकसित भारत युवा संसद 2025 का शानदार आगाज़ अतिविशिष्ट मेहमानों डॉ अर्चना गुप्ता प्रदेश महामंत्री भाजपा हरियाणा, कोमल सैणी मेयर पानीपत, दुष्यंत भट्ट जिला अध्यक्ष पानीपत और गजेन्द्र सलूजा अध्यक्ष करनाल लोकसभा निगरानी समिति एवं पूर्व जिला अध्यक्ष भाजपा पानीपत की गणमान्य उपस्थिथि में हुआ । उनके साथ डॉ राजबीर सिंह मीडिया सेल प्रभारी भाजपा, स्नेह लता डीवाईओ और सार्थक कुमार एनवाईसी ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई । जूरी की भूमिका डॉ वीरेंद्र सोनी वरिष्ठ पत्रकार, रोशन लाल सचदेवा पूर्व चीफ मैनेजर पंजाब नेशनल बैंक, डॉ अनीता अग्रवाल एसोसिएट प्रोफेसर दयाल सिंह कॉलेज करनाल, डॉ नरेश ढांडा एसोसिएट प्रोफेसर राजकीय महाविधालय पानीपत और डॉ अशोक अत्री एसोसिएट प्रोफेसर आरकेएसडी कॉलेज कैथल ने निभाई । मेहमानों का स्वागत नरेश कुमार गोयल सचिव एसडी एजुकेशन सोसाइटी (रजि.) पानीपत, दिनेश गोयल कॉलेज प्रधान, राजीव गर्ग उप-प्रधान, विशाल गोयल कोषाध्यक्ष और प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा ने पौधा रोपित गमलें भेंट करके किया । तत्पश्चात दीप प्रज्वलन के माध्यम से माँ सरस्वती की वंदना की गई । विदित रहे कि विकसित भारत युवा संसद का आयोजन देश भर के 301 जिलों में हो रहा है जिसमें हरियाणा के 7 जिले शामिल है और इनमें से पानीपत और सोनीपत जिलों की जिम्मेदारी सनातन धर्म कॉलेज पानीपत को मिली है । जिला स्तरीय विकसित भारत युवा संसद 2025 का थीम ‘एक राष्ट्र एक चुनाव: विकसित भारत की ओर बढ़ते कदम’ है । युवा संसद में के पहले दिन पानीपत और सोनीपत जिले के 18 से 25 वर्ष की आयु के 100 प्रतिभागीयों ने अपने विचार रखे । कार्यक्रम के समन्वयक डॉ राकेश गर्ग और मंच संचालन डॉ संतोष कुमारी ने किया । कल दूसरे दिन की प्रतियोगिता के पश्चात टॉप 10 विजेताओं की घोषणा की जायेगी जो राज्य स्तर की प्रतियोगिता में भाग लेंगे । इसके बाद राज्य के 3 टॉप विजेता राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता का हिस्सा बनेंगे ।
डॉ अर्चना गुप्ता ने कहा कि जब भी भारत का युवा जागता है तो देश खुद-ब-खुद जाग उठता है । देश की दिशा और दशा युवा ही तय करते है । अब सवाल यह है कि अपने देश में ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ क्यूँ किया जाए? उन्होनें कहा कि देश में 1952 से 1967 तक लोकसभा और विधानसभा चुनाव हमेशा एक साथ हुए । परन्तु उसके बाद शुरू हुआ विधानसभाओं को गिराने का काम जिसके कारण यह चक्र टूट गया । लोकसभा और विधानसभा चुनाव अलग-अलग होने से चुनाव का खर्च बढ़ गया और रामनाथ कोविद समिति के अनुसार यदि दोनों चुनाव एक साथ हो तो देश लगभग 50 प्रतिशत चुनाव खर्च बचा सकता है और इस पैसे को देश के विकास पर खर्च किया जा सकता है । फिर एक चुनाव को कराने में लगभग एक करोड़ अधिकारी और सुरक्षा बलों की आवश्यकता होती है और उन्हें बार-बार चुनाव ड्यूटी में लगाने से उनका भी मनोबल कम होता है और वे अपनी वास्तविक ड्यूटी नहीं कर पाते है । बार-बार होने वाले चुनावों से मतदाता प्रतिशत कम होता जाता है और मतदाता भी वोट डालने से कतराने लगते है एवं उनका उत्साह घट जाता है । विपक्ष की यह धारणा है कि देश में सुरक्षा बालों की कोई कमी नहीं है इसलिए यह कारण बेमानी है । इसके साथ इक्कठे चुनाव होने पर राष्ट्र के मुद्दों के समक्ष राज्य के मुद्दे गौण पड़ जाते है और राज्य की समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं जाता है । ऐसे ही बिन्दुओं पर प्रतिभागी अपने विचार ईमानदारी से इस संसद में रखेंगे ऐसा उन्हें पूर्ण विश्वास है । असल में बार-बार चुनाव होने से एवं आचार संहिता लगने से सरकारें लोकहित के फैसले नहीं ले पाती है जिसका खामियाजा जनता को ही भुगतना पड़ता है । विकसित भारत के स्वप्न को पूर्ण करने में ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ भी अपनी अहम् भूमिका निभाएगा । ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ विकसित भारत की लक्ष्य प्राप्ति की महत्वपूर्ण आवश्यकता है ।

दुष्यंत भट्ट ने कहा कि देश को आज़ाद होने में 90 साल लग गए और ऐसा करने में अनगिनत लोगों को अपनी कुर्बानियां देनी पड़ी । बार-बार चुनाव होने से और सरकारें गिरने से लोगो का नेताओं पर से भी भरोसा उठा है और इसने भ्रष्टाचार को भी जन्म दिया है । ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ बहुत सी समस्याओं का समाधान है । उन्होनें युवाओं से जात-पात, धर्म आदि से ऊपर उठकर राजनीति करने की सलाह दी ।
कोमल सैनी ने कहा कि ‘भारत माता की जय’ बोलना ही हमारी असल पहचान है । अब युवाओं को अपनी सोच बदलनी होगी और राजनीति के प्रति भी गंभीर बनना होगा । युवा ही भारत की शक्ति है और देश के स्वप्न युवा ही साकार करेंगे । इसी उद्देश्य से इस युवा संसद का आयोजन किया गया है । आज के युवा विदेश में जा कर काम करना चाहते है जबकि यदि वे अपने मानसिकता बदले तो उन्हें विदेश से बेहतर अवसर अपने ही देश में मिल सकते है । युवा अच्छे डॉक्टर, इंजिनियर आदि बनना चाहते है परन्तु अच्छा सांसद कोई नहीं बनना चाहता । उन्हें इस सोच को बदलना होगा । देश के प्रति हर नागरिक की जिम्मेदारी है ।
डॉ अनुपम अरोड़ा ने कहा कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव चक्रों को एक साथ रखकर ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ का भाव चुनावों से जुड़ी शासन में व्यावधान और संसाधनों की बर्बादी जैसी दीर्घकालिक चुनौतियों को दूर करने का आश्वासन देता है । संवैधानिक संशोधनों के साथ-साथ एक साथ चुनाव लागू करने से भारत में अधिक कुशल और स्थिर चुनावी माहौल का मार्ग बन सकता है । व्यापक सार्वजनिक और राजनीतिक समर्थन के साथ एक साथ चुनाव की अवधारणा भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और शासन की दक्षता को बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो सकती है । इन्ही सब बिन्दुओं पर युवाओं के विचार जानने के लिए इस विकसित भारत युवा संसद का आयोजन केंद्र सरकार की पहल पर हुआ है ।
प्रतिभागियों में निकिता ने कहा कि एक देश-एक चुनाव कराने से केंद्र के राजकोष की बचत होगी क्योंकि हर पांच साल में लोकसभा चुनाव के साथ-साथ विधानसभा चुनावों का भी आयोजन किया जाएगा । जब देश में हर साल अलग-अलग समय पर विधासनभा चुनाव होते हैं तो खर्च बढ़ जाता है । एक ही समय पर चुनाव होने पर राजकोष की बचत होगी ।
शौर्या गोयल ने कहा कि चुनाव के समय राज्यों में आचार संहिता लागू हो जाती है और यह परिणाम जारी होने तक लागू रहती है । ऐसे में इससे विकास परियोजनाओं में देरी होती है । एक देश-एक चुनाव में ऐसा कम होगा ।
पायल ने कहा कि चुनाव के दौरान अक्सर जांच एजेंसियों द्वारा कालेधन के उपयोग को लेकर आरोप लगते हैं । ऐसे में एक देश-एक चुनाव होने पर इस तरह की घटनाओं में कमी आएगी ।
रोबिन ने कहा कि चुनाव के समय देशभर में फोर्स से लेकर विभिन्न सरकारी कर्मचारियों की ड्यूटी लगती है । इससे उनके सरकारी काम में भी व्यवधान होता है । ऐसे में साल में एक ही बार में इस तरह की आवश्यकता पड़ेगी ।
सिमरन ने कहा कि भारत में लोकसभा और विधानसभा चुनाव अलग-अलग मुद्दों पर लड़े जाते हैं । यदि एक ही चुनाव होता है तो इससे वोटिंग पैटर्न का मुद्दा बदलेगा और इससे स्थानीय पार्टियों को नुकसान उठाना पड़ेगा ।
ख़ुशी त्यागी ने कहा कि भारत में कई छोटी पार्टियां हैं जो कि क्षेत्रीय मुद्दों को लेकर चुनाव लड़ती हैं । ऐसे में एक देश-एक चुनाव में छोटी पार्टियों के अस्तित्व पर खतरा है जबकि राष्ट्रीय पार्टियों को इससे फायदा होगा ।
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