Saturday, April 26, 2025
Newspaper and Magzine


हरियाणा बना अग्रदूत. महिला बंदियों को दिला रहा गरिमा, अधिकार और पुनर्वास का हक.

By LALIT SHARMA , in SOCIAL , at March 23, 2025 Tags: , , ,

जेल की दीवारें नहीं रुकावट, भविष्य की नींव रखता हरियाणा: महिला कैदियों के अधिकारों का रखवाला
हरियाणा ने पेश की मिसाल: महिला बंदियों के लिए गरिमा, अधिकार और पुनर्वास सुनिश्चित

BOL PANIPAT : गया, बिहार/चंडीगढ़, 23 मार्च 2025 – बिहार लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास संस्थान (BIPARD) द्वारा गया, बिहार में “राष्ट्रीय सम्मेलन” का सफल आयोजन किया गया। इस आयोजन में देशभर से आए प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों और विशेषज्ञों ने सार्वजनिक प्रशासन, न्याय प्रणाली और मानवाधिकारों से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श किया।

सम्मेलन के अंतर्गत एक तकनीकी सह ब्रेकआउट सत्र का आयोजन किया गया, जिसका मुख्य विषय था “महिला बंदियों के अधिकार”। इस सत्र में हरियाणा मानवाधिकार आयोग के माननीय अध्यक्ष न्यायमूर्ति ललित बत्रा ने पावरपॉइंट प्रस्तुति के माध्यम से भारतीय जेलों में महिला कैदियों से जुड़े कानूनी और मानवीय पहलुओं को विस्तार पूर्वक प्रस्तुत किया।

अपने प्रस्तुतीकरण में न्यायमूर्ति बत्रा ने बताया कि हरियाणा राज्य महिला बंदियों के अधिकार, गरिमा और पुनर्वास सुनिश्चित करने में हरियाणा अग्रणी भूमिका निभा रहा है। राष्ट्रीय कानूनों और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों के अनुरूप, हरियाणा ने जेलों को केवल बंदीगृह नहीं, बल्कि आशा और अवसर के केंद्र में बदलने की दिशा में उल्लेखनीय कदम उठाए हैं। महिला कैदियों के अधिकार, जो कि 1894 के प्रिज़नर्स एक्ट और सर्वोच्च न्यायालय के विभिन्न निर्णयों में निहित हैं, हरियाणा की जेलों में सक्रिय रूप से लागू किए जा रहे हैं। इनमें शामिल हैं:

1. महिला कैदियों के लिए पृथक और सुरक्षित आवास व्यवस्था
2. बच्चों के साथ रहने वाली महिला बंदियों के लिए क्रेच सुविधा
3. स्वास्थ्य केंद्र और सैनिटरी नैपकिन की उपलब्धता
4. शिक्षा और कौशल विकास कार्यक्रमों तक पहुंच – जैसे ITI कोर्स और सिलाई प्रशिक्षण
5. विधिक सहायता और परिवार से जुड़ाव बनाए रखने के लिए वीडियो कॉलिंग जैसी संचार सुविधाएं
6. इसके अलावा, राज्य सरकार ने भीड़भाड़ कम करने, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने और गर्भवती महिलाओं व स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए भी सौम्य और मानवीय जीवन-परिस्थितियां सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं।

इस सत्र की अध्यक्षता पटना उच्च न्यायालय के माननीय न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद ने की। सह-अध्यक्ष के रूप में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली के सदस्य न्यायमूर्ति डॉ. विदुत रंजन सारंगी और पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय, चंडीगढ़ के न्यायमूर्ति राजेश भारद्वाज उपस्थित रहे।

डॉ. पुनीत अरोड़ा, प्रोटोकॉल, सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी ने जानकारी दी कि हरियाणा मानवाधिकार आयोग के दोनों माननीय सदस्य कुलदीप जैन और दीप भाटिया भी इस राष्ट्रीय सम्मेलन में उपस्थित थे।

हरियाणा मानवाधिकार आयोग के माननीय सदस्य कुलदीप जैन ने कहा कि ये सभी प्रयास संविधान और मानवाधिकारों की रक्षा करने के साथ-साथ, न्याय, गरिमा और समाज में महिला बंदियों के पुनर्वास की दिशा में हरियाणा के प्रगतिशील दृष्टिकोण को दर्शाते हैं।

वहीं, आयोग के एक अन्य माननीय सदस्य दीप भाटिया ने कहा कि यह राष्ट्रीय सम्मेलन महिला बंदियों के अधिकारों और पुनर्वास पर विमर्श, जागरूकता और नीतिगत निर्माण का एक प्रभावशाली मंच साबित हुआ, और यह आपराधिक न्याय प्रणाली में अधिक मानवीय और अधिकार-आधारित दृष्टिकोण की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

Comments