Thursday, April 17, 2025
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संसार में कोई भी प्राणी अमर नहीं है : स्वामी दयानन्द सरस्वती जी महाराज

By LALIT SHARMA , in RELIGIOUS , at March 28, 2025 Tags: , , , ,

BOL PANIPAT : श्री संत द्वारा हरि मन्दिर, निकट सेठी चौक, पानीपत के प्रांगण में नव विक्रमी सम्वत 2082 के उपलक्ष्य के अवसर पर परम पूज्य 1008 स्वामी दयानन्द सरस्वती जी महाराज (मुरथल वाले) की अध्यक्षता में सप्ताह भर चलने वाले संत समागम कार्यक्रम के छठे दिन महाराज श्री ने प्रवचन करते हुए कहा कि एक बार नारद जी हरिनाम संकीर्तन करते हुए आकाश मार्ग से जा रहे थे तो उन्होंने मार्ग में काल को जाते हुए देखा, नारद ने काल से पूछा कि कहां जा रहे हो तो काल ने कहा कि जिनका समय पूरा हो गया हैं मैं उन्हें लेने जा रहा हूँ। काल ने कहा कि संसार में कोई भी प्राणी अमर नहीं है चाहे वह गृहस्थी हो, साधु हो, वृद्ध हो, युवा हो जिसका समय पूरा हो जाता है मुझे उसे मृत्युलोक से लाना पड़ता है। नारद ने काल से कहा कि यदि व्यक्ति कथा श्रवण करने वाला हो तो उसका काल भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता। नारद-काल संवाद की चर्चा के बाद महाराज श्री ने कथा मंे आगे कहा व्याख्या करना विद्वता नहीं है शब्दों की हजार व्याख्याएं हो सकती हैं लेकिन परमात्मा व्याख्या करने से नहीं मिलता। जो शब्दों के जाल में पड़ जाए वह भगवान तक नहीं पहुँच सकता। साधु इस व्याख्या के जाल में नहीं पड़ता इसलिए वह उस परम तत्व का अनुभव कर पाता है। स्वामी जी ने कहा कि मनुष्य शरीर दुर्लभ है। सब योनियों में एक मनुष्य ही ऐसा है जो श्रेष्ठ चिंतन कर सकता है। इसके लिए किसी विद्वान के पास जाने की जरूरत नहीं, यह जरूरी नहीं कि कोई श्रेष्ठ विद्वान आपको भगवान से मिलवा सकता है। स्वामी जी ने कहा कि गरूड़ जी कोई कम विद्वान नहीं थे। जब वे उड़ते थे तो उनके पंखों में से वेद मंत्र निकलते थे, लेकिन उन्हें भी सत्य का अनुभव पाने के लिए एक साधु के पास जाना पड़ा। विद्वता से परमात्मा नहीं मिलता अगर ऐसा होता तो आज संसार में जो भी प्रकाण्ड विद्वान हैं वे ईश्वर का साक्षात्कार कर चुके होते। स्वामी जी ने कहा कि जीवन के सत्य को समझोगे तो मौत तुम्हारे लिए उत्सव बन जायेगी। मरने में दुख नहीं होगा। उनसे पूर्व कलानौर से पधारे महंत श्री रामसुखदास जी महाराज ने भी अपने अमृत वचनों से श्रद्धालुओं को निहाल किया। हरिद्वार से महामाण्डलेश्वर स्वामी श्री अरूणदास जी महाराज एवं ब्रह्मर्षि नाथ जी महाराज भी इस अवसर पर विशेष रूप से पधारे।

इससे पूर्व मुख्य अतिथि आर्य सुरेश मलिक ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। प्रसिद्ध भजन गायक वेद कमल ने भजन ‘गुरूजी तेरा प्यार जद मिल जावे, दुनिया ईचों होर की लैणा’ गाकर वातावरण को भक्तिमय कर दिया। इस अवसर पर प्रधान रमेश चुघ, शाम सपड़ा, उत्तम आहूजा, किशोर रामदेव, दर्शन लाल रामदेव, अमन रामदेव, पवन चुघ, ओम प्रकाश चौधरी, पवन चौधरी, तिलक चुघ, मिन्टु चुघ, अशोक बठला, दविन्द्र बठला, हंसराज वधवा, करतार सिंह चुघ, महेन्द्र चुघ, राजेन्द्र सलूजा, बंसी चुघ, तनसुख चुघ, सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

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