दूसरे दिन श्री राम शरण एंड पार्टी द्वारा ‘खंडेराव परी’ सांग की मार्मिक प्रस्तुति
एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में तीन दिवसीय सांग महोत्सव का दूसरा दिन
हरियाणा कला परिषद् रोहतक मंडल और दादा लखमीचंद सोशल वेलफेयर ट्रस्ट (रजि.) पानीपत के संयुक्त तत्वाधान में हो रहा आयोजन
सांग हरियाणा की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है: हरपाल ढांडा
BOL PANIPAT, 29 मार्च. एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में हरियाणवी लोक कला एवं संस्कृति के प्रसार-प्रचार में प्रदेश की अग्रणी संस्था दादा लख्मीचंद सोशल वेलफेयर ट्रस्ट (रजि.) पानीपत तथा हरियाणा कला परिषद रोहतक मंडल के निदेशक गजेन्द्र फौगाट के निर्देशन में तीन दिवसीय सांग महोत्सव का आज दूसरा दिन रहा जिसमें बतौर मुख्य अतिथि हरपाल ढांडा ने शिरकत की । बतौर अतिविशिष्ट अतिथि राजेश गोयल प्रांत प्रचार प्रमुख राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हरियाणा और महेंद्र कंसल प्रांत गौसेवा प्रमुख ने कार्यक्रम में भाग लिया । विशिष्ट मेहमानों में धर्मवीर पाढा प्रसिद्ध समाजसेवी, राजेश सिंगला समाजसेवी करनाल और बिजेंद्र कादियान पूर्ण मंत्री ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई । दूसरे दिन श्री राम शरण एंड पार्टी ने ‘खंडेराव परी’ सांग की ह्रदय स्पर्शी प्रस्तुति देकर सभी को अभिभूत कर दिया । मेहमानों का स्वागत दादा लख्मीचंद सोशल वेलफेयर ट्रस्ट के अध्यक्ष वीरेंद्र शर्मा और कॉलेज प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा ने पौधे रोपित गमलें भेंट करके किया । सांग महोत्सव में दूर-दराज गावों से आये हुए बुजुर्ग और हरियाणवी संस्कृति को जानने-समझने वाले दर्शक इस सम्पूर्ण आयोजन से गदगद नज़र आये । वीरेंद्र शर्मा ने आयोजन की सफलता का सेहरा सांग परम्परा को समझने वाले दर्शकों के सर बाँधा । प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा ने सभी आमजनों और युवाओं से आग्रह किया कि वे कॉलेज में पधार कर इन प्रस्तुतियों को देखे और कॉलेज को अनुग्रहित करे । मंच संचालन दीपक शर्मा ने किया । पानीपत के परम संत श्री परशुराम ने इस संस्था को अपना आशीर्वाद और शुभकामनाएं संप्रेषित की ।
हरपाल ढांडा ने सांग परंपरा के महत्व पर बोलते हुए कहा कि सांग हरियाणा की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है जो पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होती आई है । सांग एक लोक नाट्य और नृत्य-संगीत का रूप है जिसमें अभिनय, गीत, संगीत और नृत्य का समावेश होता है । सांग केवल मनोरंजन का साधन नहीं है बल्कि यह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक कथाओं और लोक कथाओं को भी उजागर करता है । इसने हरियाणवी भाषा के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं क्योंकि इसमें हरियाणवी भाषा में गीत, संवाद और लोककथाएं शामिल हैं । सांग के माध्यम से सामाजिक बुराइयों, अंधविश्वासों और कुरीतियों के खिलाफ संदेश दिए जाते हैं । आजकल कुछ लोग सांग परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए प्रयासरत हैं ताकि यह लुप्त न हो जाए और इसमें हरियाणा कला परिषद् रोहतक मंडल एवं दादा लखमीचंद सोशल वेलफेयर ट्रस्ट (रजि.) पानीपत जो भूमिका निभा रही है वह काबिल-ए-तारीफ़ है ।
राजेश गोयल प्रांत प्रचार प्रमुख राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हरियाणा ने कहा कि सांग महोत्सव से आम लोगों को हरियाणवी संस्कृति, लोक काव्य और कला के बारे में बहुत कुछ जान्ने का अवसर प्राप्त होगा । हरियाणा में एक नए समाज का निर्माण तभी हो पायेगा जब हम इस प्रकार के आयोजन करेंगे । नैतिकता, भाईचारे और प्रेम युक्त समाज की स्थापना तभी होगी ।
दूसरे दिन सांग उत्सव में ‘खांडेराव परी’ सांग का मंचन किया गया जिसका निर्देशन राम शरण ने किया । मांगे राम द्वारा लिखे गए इस सांग की कहानी के अनुसार मानसरोवर ताल में परम हंस रहते थे । हंसों को इन्द्र महाराज ने 12 साल का दसौटा दे दिया । हंस वहां से चलकर उजैन नगरी के राजा वीर विक्रमाजीत के राज्य में आ जाते हैं और राजा को अपनी सारी कहानी सुनाते हैं । राजा वीर विक्रमाजीत सत्यवादि और दयालु राजा थे । राजा हंसों को अपने पास रख लेता है और ऐसे हंसों को वहां रहते हुए 11 साल 11 महीने बीत जाते हैं । जब एक महीना बाकी था तो हंस राजा का धन्यवाद करके वापिस अपने वतन के लिए चल पड़ते हैं । हंस राजा वीर विक्रमाजीत की तारीफ़ करते हुए यह कहते हुए जा रहे थे कि राजा वीर विक्रमाजीत बिसवै बीस । रास्ते में इन्द्र महाराज इस बात से नाराज होकर क्रोध में हंसों की एक हंसणी छिन लेता है और कहता है कि अगर उनका राजा बिसवै बीस है तो वह उनकी हंसणी छुड़वाकर खुद ले जाएगा । हंस रोते-पीटते वापिस उजैन नगरी में राजा वीर विक्रमाजीत के पास आते हैं और सारा हाल सुनाते हैं । राजा वीर विक्रमाजीत हंसों की हंसणी छुड़वाने के लिए चल पड़ता है और चलते-चलते तंबौल नगरी पहुंच जाता है और एक भठियारी की सराय में रूकता है । वहां के राजा शामधाम की बेटी के पेट में सांप था और वह एक किले के कमरे में बंद रहती थी । शामधाम हर रोज राज्य के प्रत्येक घर से एक आदमी को किले की भेंट में बुलाता था और किले में अपनी बेटी रतन कौर के कमरे में फिंकवा देता था । आधी रात के समय रतन कौर के पेट से सांप निकलता था और उस आदमी को खा जाता था । भठियारी का एक ही लड़का था परन्तु अब उसको भी किले की भेंट में जाना था । राजा वीर विक्रमाजीत रोती-पिटती भठियारी से सारा हाल जानता है और उसके बेटे की जान के बदले खुद भेंट में चला जाता है और सांप को मार देता है । राजा शामधाम खुश होकर अपनी बेटी की शादी वीर विक्रमाजीत के साथ कर देता है और विक्रमाजीत वहीं रहने लग जाता है । वीर विक्रमाजीत एक दिन शहर में घूमते हुए खांडेराव परी को देख लेता है और अपने ससुर व रतन कौर से कहकर खांडेराव परी से शादी करने की बात कहता है । खांडेराव परी कुछ शर्त रखती है और शादी कर लेती है । राजा शर्तों पर खरा उतरता है । खांडेराव परी इन्द्र महाराज की कैद में थी और वहां नाच एवं गायन किया करती थी । राजा वीर विक्रमाजीत तबले वाला बनकर साथ जाता है और इन्द्र महाराज को वचनों में लेकर खांडेराव परी व हंसणी को छुड़वा लेता है ।
इस अवसर पर सुरेश शर्मा, जसमेर गौतम, कँवरभान शर्मा, नरेंद्र गर्ग, उम्मेद कवि, दिनेश जून, रामलाल भाटिया, कुलदीप रोहिल्ला आदि मौजूद रहे ।
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