कभी गुरू से ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए : स्वामी दयानन्द सरस्वती जी महाराज
BOL PANIPAT : श्री संत द्वारा हरि मन्दिर, निकट सेठी चौक, पानीपत के प्रांगण में नव विक्रमी सम्वत 2082 के उपलक्ष्य के अवसर पर परम पूज्य 1008 स्वामी दयानन्द सरस्वती जी महाराज (मुरथल वाले) की अध्यक्षता में सप्ताह भर चलने वाले संत समागम कार्यक्रम के सातवें दिन महाराज श्री ने प्रवचन करते हुए कहा कि कई लोग गुरू से इसलिए जुड़ते हैं कि गुरू का संपर्क बड़े अधिकारियों और नेताओं से है जिससे प्रभावित होकर वह गुरू से जुड़ते हैं लेकिन ऐसा करना सही नहीं है। कभी गुरू से ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए। कभी गुरू का अपमान नहीं करना चाहिए। गुरू का हमेशा सम्मान करना चाहिए। जो क्रोध से रहित हो, जो मोह, अहंकार से रहित हो वहीं संत है और वहीं गुरू बनने लायक है। गुरू कृपालु होते हैं। गुरू का अपमान शिव स्वीकार नहीं करते भले ही गुरू इसे क्षमा कर दे।प्रधान रमेश चुघ ने कहा कि कल नव सम्वत 2082 के अवसर पर चल रहीं पावन कथा के अंतिम दिन विशेष कार्यक्रम होगा तथा अटूट भण्डारे का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पूरी कथा के दौरान भी अटूट लंगर आयोजित किया गया जिसमें प्रतिदिन 1000 से 1500 श्रद्धालुओं ने लंगर प्रसाद ग्रहण किया। इससे पूर्व मुख्य अतिथि वरूण मल्हौत्रा, गौरव शर्मा (गोल्डी) ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। प्रसिद्ध भजन गायक लेखराज जताना एवं वेद कमल ने भजन गाकर वातावरण को भक्तिमय कर दिया। इस अवसर पर प्रधान रमेश चुघ, किशोर रामदेव, दर्शन लाल रामदेव, पवन चुघ, अमन रामदेव, उत्तम आहूजा, शाम सपड़ा, बब्बू कत्याल, राजेन्द्र सलूजा, हरनारायण जुनेजा, जगदीश चुघ, गोल्डी बांगा, ओमी चुघ, सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
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