बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 में बाल विवाह में संलिप्त सभी व्यक्तियों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान: दीपिका
-बाल विवाह भारत में ऊंची मातृ मृत्यु दर व शिशु मृत्यु दर का कारण: हेल्थ निरीक्षक डॉ नितेश
-बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय महावटी, समालखा में छात्र छात्राओं व अध्यापकों और ऊझा गांव में आशा कार्यकर्ताओं को बाल विवाह के खिलाफ जागरूक किया गया।
BOL PANIPAT : एम डी ड़ी ऑफ इंडिया द्वारा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय महावटी में छात्र छात्राओं और अध्यापकों को बाल विवाह के खिलाफ जागरूक किया गया।
सामुदायिक सामाजिक कार्यकर्ता दीपिका ने छात्र छात्राओं व स्टाफ को संबोधित करते हुए कहा कि बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की और 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के का विवाह अवैध और दंडनीय अपराध है। इस कानून के अंतर्गत हर उस व्यक्ति को सजा का प्रावधान है जो भी ऐसे बाल विवाह में किसी भी रूप में शामिल हों जैसे विवाह कराने वाले व्यक्ति माता-पिता, अभिभावक, रिश्तेदार या कोई अन्य जो बाल विवाह में संलिप्त हो, उन्हें दो साल तक की कैद और एक लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। विवाह को संपन्न कराने वाले पुरोहित, मौलवी, पंडित, काजी या कोई अन्य व्यक्ति जो विवाह संपन्न कराए, वह भी दंडनीय अपराध के दायरे में आता है। – जो कोई भी बाल विवाह को बढ़ावा देता है, सहायता करता है या इसमें भाग लेता है, उसे कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
स्कूल प्रधानाचार्य संजीव कुमार ने कहा कि बाल विवाह एक गंभीर सामाजिक समस्या है जिसकी वजह से बड़ी संख्या में लड़कियों की पढ़ाई छुड़वा दी जाती है और उन्हें कम उम्र में ही घर के चूल्हे चौके और बच्चों के पालन पोषण में झोंक दिया जाता है जो बालिकाओं के खिलाफ एक अपराध है। यह उनके मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक विकास में बड़ी रुकावट है।
ऊझा गांव में प्राइमरी हेल्थ सेंटर में आशा कार्यकर्ताओं के साथ बाल विवाह अधिनियम पर चर्चा करते हुए सामुदायिक सामाजिक कार्यकर्ता पायल ने बताया कि बाल विवाह की रोकथाम के लिए नागरिकों को सतर्क रहना चाहिए और इस प्रकार के मामलों की सूचना तुरंत संबंधित अधिकारियों को देनी चाहिए। 1098 (चाइल्डलाइन हेल्पलाइन) पर कॉल करें। स्थानीय पुलिस थाने , जिला बाल संरक्षण अधिकारी व बाल कल्याण समिति को सूचित करें।
स्वास्थ्य विभाग से हेल्थ निरीक्षक डॉ नितेश ने आशा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि बाल विवाह के कारण हर साल बड़ी संख्या में गर्भवती औरतों और गर्भ में ही बच्चों की मौत हो जाती है जो स्वास्थ्य विभाग के सामने बड़ी चुनौती है इसलिए बाल विवाह के खिलाफ लोगों को जागरूक करने में आशा कार्यकर्ताओं की महती भूमिका हो सकती है। इसके अलावा डॉ विक्रम ने कहा कि अगर किसी बालिका का बाल विवाह होता है तो उसे टीकाकरण और सुरक्षित डिलीवरी में भी समस्या आएगी क्योंकि उम्र कम होने के कारण पोर्टल पर उसका नाम नहीं आएगा।
मीना, सुमन, शाकुन्तल, रीतू, परवीन, राममूर्ति, राजबाला, सुनीता, कविता, सुनील,गीता समेत कई दर्जन आशा कार्यकर्ताओं ने आज की ट्रेनिंग में शिरकत की।
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