एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में खेल और युवा मंत्रालय भारत सरकार के सौजन्य से राष्ट्रीय सेवा योजना इकाइयों द्वारा ‘स्वच्छता ही सेवा 2024’ कार्यशाला का आयोजन
BOL PANIPAT, 27 सितम्बर.
एसडी पीजी कॉलेज पानीपत की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाइयों द्वारा केंद्र सरकार के खेल और युवा मंत्रालय के निर्देशन में ‘स्वच्छता ही सेवा 2024’ के अवसर पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसका उदघाटन मुख्य अतिथि अरुण भार्गव डिप्टी म्युनिसिपल कमिश्नर पानीपत ने किया । उनके साथ बतौर अतिविशिष्ट उपस्थिति में अजीत तिवारी मैनेजर जेबीएम पानीपत, जितेन्द्र नरवाल मुख्य सेनेटरी अधिकारी, गुरमीत नेहरा सेनेटरी अधिकारी, मंजीत मलिक सिटी टीम लीडर स्वच्छ भारत मिशन और सुनील लठवाल आईईसी एक्सपर्ट ने कार्यशाला में पधारे । मेहमानों का स्वागत कॉलेज प्रधान दिनेश गोयल, प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा, प्रोग्राम ऑफिसर डॉ राकेश गर्ग और डॉ संतोष कुमारी ने पुष्प-रोपित पौधे भेंट करके किया । कार्यशाला की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुआ । इस अवसर पर मुख्य अतिथि अरुण भार्गव ने हाल में मौजूद 200 स्वयंसेवकों को हरी झंडी दिखाकर उन्हें मेगा स्वच्छता राली के लिए रवाना किया । विदित रहे कि यह स्वच्छता पखवाड़ा 17 सितम्बर से 2 अक्टूबर तक केंद्र सरकार के निर्देशानुसार मनाया जा रहा है जिसका इस वर्ष का थीम ‘स्वभाव स्वच्छता, संस्कार स्वच्छता’ है । आज की कार्यशाला के लिए कॉलेज एनएसएस यूनिट्स को केंद्र सरकार से 25 हज़ार रूपये की राशि प्राप्त हुई । एनएसएस स्वयंसेवकों ने खुद की पहल पर कॉलेज प्रांगण से बाहर निकलकर अपने राष्ट्रीय कर्तव्य बोध का परिचय दिया और आमजन को स्वच्छता के प्रति उनकी जिम्मेदारियों के बारें में जागरूक किया ।
अरुण भार्गव डिप्टी म्युनिसिपल कमिश्नर पानीपत ने कहा कि प्रकृति से पुन: जुड़कर ही हम स्वच्छता और कचरा प्रबधन को सफल बना सकते है । कचरे को प्रबंधित करने के लिए कचरे को अलग-अलग करने और उसका सही निपटान करने की ज़रूरत है । कचरे को अलग-अलग करने से उसे पुनर्चक्रित किया जा सकता है और उसका दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है । हमें कचरे को घृणा की नज़र से नहीं देखना चाहिए बल्कि इसे रिसाइकल करने और इसका दोबारा इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित होना चाहिए । कचरे के प्रबंधन के लिए, सरकारों को ज़्यादा इच्छाशक्ति आमजन को दिखानी होगी और इसके लिए अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करना होगा । कचरे के प्रबंधन के लिए सामाजिक समारोहों का कम से कम आयोजन करना चाहिए । स्वच्छता और कचरा प्रबंधन का सबसे बड़ा दायित्व आम नागरिकों पर है ।
अजीत तिवारी मैनेजर जेबीएम ने कहा कि गन्दगी और कूड़े के मामले में देश का पिछले 20 वर्षों में अधिक सत्यानाश हुआ है । अमेजोन और फ्लिप्कार्ट जैसी कंपनियों ने इस कचरे को बढाने में बहुत अधिक भूमिका निभाई है । गाँधी जी को याद करते हुए उन्होनें कहा कि राजनैतिक स्वतंत्रता से अधिक बेहतर स्वच्छता है । खु को सबसे पहले बदलने से ही ज़माना बदलता है । आज देश में कचरा आधारित कार्यों में 40 लाख से अधिक लोग व्यस्त है जो साबित करता है कि कचरे को भी हम पुन: इस्तेमाल कर सकते है । अपशिष्ट प्रबंधन के 4आर के बारे में बताते हुए उन्होनें कहा कि इसका अर्थ है कचरे को कम करना, पुन: उपयोग करना, पुनर्चक्रण करना और कचरे को अस्वीकार करना । अपशिष्ट प्रबंधन के लिए 4आर सबसे प्रभावी और टिकाऊ दृष्टिकोण है । कचरे को कम करने में कम संसाधनों का उपयोग करके और खपत को कम करके कचरे के उत्पादन को कम करना शामिल है । इसे ऊर्जा-कुशल उपकरणों का उपयोग करने, पैकेजिंग को कम करने और पुन: प्रयोज्य उत्पादों को चुनने जैसी पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को अपनाकर प्राप्त किया जा सकता है । कचरे के पुन: उपयोग में अपशिष्ट पदार्थों को उसी या अलग उद्देश्य के लिए दोबारा उपयोग करना शामिल है । इसे उत्पादों की मरम्मत और नवीनीकरण, अवांछित वस्तुओं को दान करने या बेचने और पुन: प्रयोज्य कंटेनरों का उपयोग करके प्राप्त किया जा सकता है । अपशिष्ट पुनर्चक्रण में नए उत्पाद बनाने के लिए अपशिष्ट पदार्थों का प्रसंस्करण शामिल है । पुनर्चक्रण प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में मदद करता है और लैंडफिल में भेजे जाने वाले कचरे की मात्रा को कम करता है । पुनर्चक्रण घरेलू स्तर पर या केंद्रीकृत पुनर्चक्रण सुविधाओं के माध्यम से किया जा सकता है ।
जितेन्द्र नरवाल चीफ सेनेटरी ऑफिसर ने कहा कि कचरे को अस्वीकार करने में उन उत्पादों के उपयोग से बचना शामिल है जो आवश्यक नहीं हैं या जिनका पर्यावरणीय प्रभाव महत्वपूर्ण है । इसे पर्यावरण-अनुकूल प्रमाणन वाले उत्पादों को चुनकर, एकल-उपयोग प्लास्टिक से परहेज करके और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके प्राप्त किया जा सकता है ।
दिनेश गोयल प्रधान ने कहा कि यह चिंताजनक है कि जब कचरा प्रबंधन की चुनौती बढ़ती जा रही है तब भी आम नागरिक कचरे को कम करने की कोई ठोस पहल नहीं कर रहा है । कायदे से प्रत्येक शहर में फल-सब्जियों, खाद्यान्न आदि के अवशेष से पशुओं के लिए चारा और खाद बनाने का काम अनिवार्य रूप से होना चाहिए । और इसमें सरकार के साथ-साथ आमजन को भी भागीदार बनना होगा ।
प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा ने कहा कि यह सही है कि स्वच्छ भारत अभियान शुरू होने के बाद हर घर से कचरे को एकत्र करने का काम करीब-करीब सभी छोटे-बड़े शहर करने लगे हैं लेकिन परन्तु इसके निस्तारण में अभी भी कठिनाइयां आ रही है जिसके पीछे का मुख्य कारण जनता को सही ज्ञान का न होना है । ऐसे कितने ही शहर है जहां सूखे और गीले कचरे को अलग-अलग करके निस्तारित किया ही नहीं जा रहा है । केंद्र सरकार के खेल और युवा मंत्रालय ने हरियाणा में केवल दो ही कालेजों को स्वच्छता अभियान कार्यक्रमों के लिए चुना और उनमें से एक एसडी कॉलेज है, यह सभी के लिए गर्व का पल है ।
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