Saturday, April 19, 2025
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अमानी होकर गुरू के चरणों की सेवा करना सबसे बड़ी भक्ति है : स्वामी दयानन्द सरस्वती जी महाराज


 BOL PANIPAT : श्री संत द्वारा हरि मन्दिर, निकट सेठी चौक, पानीपत के प्रांगण में नव विक्रमी सम्वत 2082 के उपलक्ष्य के अवसर पर परम पूज्य 1008 स्वामी दयानन्द सरस्वती जी महाराज (मुरथल वाले) की अध्यक्षता में सप्ताह भर चलने वाले संत समागम कार्यक्रम के पांचवें दिन महाराज श्री ने प्रवचन करते हुए कहा कि ‘‘गुरू पद पंकज सेवा अतिशय भगति अमान’’ अमानी होकर गुरू के चरणों की सेवा करना सबसे बड़ी भक्ति है। , गुरू के सेवक बनो लेकिन अहंकारी न बनो। आजकल लोग सामने तो गुरूजी के चरणों को स्पर्श करेंगे लेकिन बाद में गुरू को समझायेंगे कि आपने फलां काम ठीक नहीं किया। जिस प्रकार दूध से दही बनती है लेकिन फिर दही से दूध नहीं बनाया जा सकता, उसके बाद जिस प्रकार दही से छाछ बनती है लेकिन फिर उससे दही नहीं बनाई जा सकती, उसके बाद निकले हुए छाछ में से  मक्खन बन सकता है लेकिन फिर मक्खन से छाछ नहीं बन सकती। तथा जब मक्खन को जब अग्नि में पकाते हैं तो घी बन जाता है लेकिन घी से पुनः मक्खन नहीं बनाया जा सकता इसी को रूपान्तर कहते हैं जब रूपान्तर होता है तो फिर पहले वाली स्थिति नहीं रहती। मनुष्य के जीवन में जब रूपान्तर होता है व्यक्ति संत बन जाता है उस रूपान्तरण के बाद व्यक्ति पहले वाली स्थिति में नहीं जा सकता, उसके बाद परिवर्तन नहीं होता। यही रूपान्तर और परिवर्तन में फर्क है। इससे पूर्व मुख्य अतिथि नवनियुक्त पार्षद कमल अरोड़ा ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। प्रसिद्ध भजन गायक वेद कमल ने भजन ‘तेरे चरणों का मुझको सहारा मिला, जैसे गुजरेगी वैसे गुजारेंगे हम’ गाकर वातावरण को भक्तिमय कर दिया। इस अवसर पर प्रधान रमेश चुघ, हरनाम चुघ, उत्तम आहूजा, किशोर रामदेव, दर्शन लाल रामदेव, अमन रामदेव, पवन चुघ,  जोगिन्द्र कमल, सोहन रेवड़ी, सन्नी रेवड़ी, राजेश कमल, मिन्टू चुघ, ईश्वर लाल रामदेव,  ओमी चुघ, राघव चुघ, जगदीश चुघ, कर्म सिंह रामदेव, गोल्डी बांगा, अमर वधवा, सुरेन्द्र जुनेजा, अमन रामदेव, हरनारायण जुनेजा, श्याम लाल सपड़ा, सोनू खुराना, सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

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