दुकानों पर बाल श्रम कर रहे तीन बच्चों को रेस्क्यू कर बाल कल्याण समिति में पेश कर बाल देखभाल गृह भेजा गया।
BOL PANIPAT : पानीपत के सेक्टर 29 में दुकानों पर काम कर रहे 10 और 14 साल की उम्र के तीन बच्चों को एमडीडी ऑफ इंडिया की टीम ने मानव तस्करी विरोधी इकाई के सहयोग से रेसकयू कर बाल कल्याण समिति पानीपत में पेश किया गया। जहां इन तीनों बच्चों की काउंसलिंग की गई और उसके बाद बाल कल्याण समिति द्वारा बच्चों को बाल देखभाल गृह पानीपत में भेज दिया गया।
इस कार्रवाई में मानव तस्करी विरोधी इकाई से स्टेट क्राइम ब्रांच इंचार्ज एस आई संदीप कुमार, ए एस आई सुनील कुमार और एमडीडी ऑफ़ इंडिया संस्था से अजय चौहान मौजूद रहे। एमडीडी ऑफ इंडिया से पीड़ित सहायक समन्वयक अजय चौहान ने बताया कि बाल श्रम एक कानूनन अपराध है और जो कोई भी बच्चों से बाल श्रम करवाता है उसे सजा के साथ जुर्माना भी हो सकता है। अजय कुमार ने कहा कि सभी बच्चों को अनिवार्य शिक्षा अधिनियम के तहत स्कूली शिक्षा उपलब्ध करवाई जानी चाहिए। बाल श्रम से जुड़े अपराधों के लिए भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 370-374 में सज़ा का प्रावधान है। बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 के मुताबिक, 14 साल से कम उम्र के बच्चे को किसी कारखाने या खान में काम नहीं कराया जा सकता। अगर कोई व्यक्ति 14 साल से कम उम्र या 14 से 18 साल के बीच के बच्चे को किसी खतरनाक काम में लगाता है, तो उसे एक से छह महीने की जेल हो सकती है या 20,000 से 50,000 रुपये का जुर्माना हो सकता है। बाल श्रम उन्मूलन के लिए भारत सरकार कई तरह के सरकारी कार्यक्रम चलाती है। अगर किसी को भी बाल श्रम का कोई मामला दिखे, तो उस व्यक्ति को तुरंत श्रम विभाग, मानव तस्करी विरोधी इकाई, बाल कल्याण समिति, जिला प्रशासन या गैर सरकारी संस्थाओं को इसकी जानकारी देनी चाहिए।
गौरतलब है कि पानीपत में बाल अधिकारों के लिए कार्यरत संस्था एमडीडी ऑफ इंडिया द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बाल कल्याण समिति, मानव तस्करी विरोधी इकाई के साथ मिलकर बाल श्रम के अभिशाप को मिटाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है और संस्था अब तक पिछले 6 महीनों में लगभग 60 बच्चों को मुक्त करा चुकी है।
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