श्री प्रेम मन्दिर पानीपत का 105 वां “प्रेम सम्मेलन” हर्षोल्लास व भण्डार के साथ सम्पन्न
BOL PANIPAT : 10 फरवरी से प्रारम्भ हुआ 105 वा वार्षिक “प्रेम सम्मेलन” परम पूज्य सद्गुरूदेव श्री श्री 108 श्री मदनमोहन जी हरमिलापी जी महाराज परमाध्यक्ष श्री हरमिलाप मिशन हरिद्वार की अध्यक्षता में एवं श्री प्रेम मन्दिर पानीपत की परमाध्यक्षा परम पूज्या कान्तादेवी जी महाराज के संयुक्त तत्वाधान में आज बड़े ही हर्षोल्लास के साथ आज 12-2-2025 को सम्पन्न हुआ। प्रातः गुरूदेव जी ने मन्दिर की देवियों व संगत के साथ हनुमान चालीसा तथा प्रभु नाम के साथ हवन किया। इस सम्मेलन के उपलक्ष्य में श्रीरामचरितमानस का पाठ रखा गया था वह भी विश्राम को प्राप्त हुआ। आज के सत्संग में प्रेम की महिमा पर ही सत्संग किया गया। गंगाधाम से पधारे श्री निरंजन पाराशर जी ने कहा कि प्रेम किसी बाजार पर नहीं मिलता। वह तो ढूंढना पड़ता है। यहां तक कि भरत जब श्रीराम को मिलने चित्रकूट जा रहे थे तो वह भी पूछते हैं “बता दे कोई कहां मिलेंगे राम” प्रेम की उत्पत्ति अन्तर्मन मेैं होती है। इसको प्राप्त करने के लिए पहले परमात्माका नाम जप शास्त्र का पठन यज्ञ पूजन आदि करना होता है। यह सब प्रेमपथ पर जाने के साधन हैं। इन पर चलते हुए काई शीघ्र पा लेता है तो किसी को अधिक समय लगता है। श्री राधेश्याम जी रामायणी ने बताया कि “प्रेम हरि का रूप है। प्रेम व परमात्मा एक ही हैं परमात्मा के अतिरिक्त त्रिलोकी में कष्ट दूर करने वाला कोई नहीं। जब माता सीता अशोक वाटिका में थीं तो इससे बढ़कर दुनिया कोई दुख नहीं है। वह भी तब ही वह दूर हुआ जब उनको राम मिले। शिवजी जब माता पार्वती को कथा सुना चुके तब उन्होंने कहा कथा का बहुत ही आनन्द आया। अब आप का अनुभव क्या है। तब शिवजी ने एक लाइन में कहा “उमा कहऊं मैं अनुभव अपना। सत हरि भजन जगत सब सपना।” कागभुषुण्डी जी ने भी यही निष्कर्ष दीया “ निज अनुभव अब कहऊं खगेषा बिन हरि भजन न जांहि कलेशा।” ब्रह्मर्षि जी बताया कि भगवान की सेवा पूजा चाहे न करो परन्तु भगवान से डरो जरूर। “रामहि केवल प्रेम पियारा जान लेहु जो जाननहारा”। आज मनुष्य के पास सब कुछ है परन्तु यदि कमी है तो केवल समय की। वह यहां तक कहने में भी नहीं हिचकता कि यदि भगवान को आना है तो हमारी सुविधानुसार आ कर मिले। श्रीमद्भागवत के प्रारम्भ में परीक्षित को कहा “सावधान रहना”। परन्तु अन्त में कहा “सब कुछ भूल जाना परन्तु प्रभु का नाम मत भूलना”। प्रभु नाम संकीर्तन से ही सब पाप समाप्त हो जाते हैं। गुरूदेव ने समापन पर सबको शुभकामनायें व आशीष देने के साथसाथ कहा कि उत्सव में यदि किसी सेवादार या देवी आदि से जाने अनजाने में कोई गलती हो गई हो तो उसे यहीं छोड़ कर जाये और उसको क्षमा कर दें। देवियों व सेवादारों को सन्देश दिया कि वह यह न सोचें कि सेवा उन्होंने की। यह गुरूदेव जी की शक्ति है जिसकी प्रेरणा से उनको सेवा का अवसर मिला। प्रकृति अपने कार्य स्वयं करती है परन्तु वह किसी को भी निमित्त बनाती है।
सत्संग के बाद प्रभु प्रसादी का अखुट लंगर प्राप्त कर संगत निहाल हुई। आज सम्मेलन के समापन सत्र में हलद्वानी हापुड़ वदोदरा बरेली मुक्तसर दिल्ली झज्जर कैथल बहादुरगढ़ करनाल तथा देश के अन्य स्थानों से भी भक्तजनों ने गुरूघर में आकर अपनी उपस्थिति लगवा कर तनमनधन से सेवा की। सम्मेलन में आरती मण्डल असन्ध रोड शिवपुरी पानीपत तथा राधा रमण मन्दिर विराट नगर पानीपत की संस्थाओं ने विशेष सहयोग दिया। श्री प्रेम मन्दिर लैय्या ट्रस्ट उनका सदैव आभारी है। आज सर्वश्री परमवीर धींगड़ा चरनजीत रत्रा, अनिल नन्दवानी, सुरेश अरोड़ा, सचिन मिगलानी, सुशान्त मिगलानी, कृष्णलाल ढींगड़ा, आशु असीजा, अनिल दुर्गा, हिमांशु असीजा, अनिल अरोड़ा गौतम दुआ, टोनी मिगलानी, सोनू भारती, ज्योति, राजपाल, शशी असीजा, चन्द्रप्रकाश वधवा, तिलकराज चावला, चन्द्रभान वर्मा, सौरभ दुआ, मदनलाल, बलदेव राज तथा और सभी सेवकों ने बढ़चढ़ कर सेवा कर जीवन को सफल बनाया। श्री प्रेम मन्दिर लैय्या ट्रस्ट पानीपत शहर की धार्मिक संस्था प्रशासन नगर निगम पुलिस एवं मीडिया द्वारा प्रदान सेवा सहयोग का बहुत बहुत धन्यवाद करता है। आशा है कि आगे भी ऐसा ही सहयोग मिलता रहेगा।
Comments