रमन इफ़ेक्ट वैज्ञानिक इतिहास की एक क्रांतिकारी घटना है: डॉ अनुपम अरोड़ा
BOL PANIPAT, 28 फरवरी :
एसडी पीजी कॉलेज पानीपत के विज्ञान संकाय ने भारतीय भौतिक वैज्ञानिक और नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ चन्द्रशेखर वेंकट रमन को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर श्रद्धा और उल्लास भाव के साथ याद किया । आज के सेमीनार की विधिवत शुरुआत प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा, भौतिक विभाग के अध्यक्ष प्रो राकेश सिंगला और प्रो प्रवीण आर खेरडे ने की । उनके साथ डॉ प्रियंका चांदना, डॉ राहुल जैन, प्रो प्रवीण कुमारी, डॉ बिंदु रानी, प्रो प्रोमिला भी सेमीनार का हिस्सा बने । इस अवसर पर डॉ अनुपम अरोड़ा ने बीएससी एवं एमएससी के छात्र-छात्राओं से बातचीत की और उनकी भविष्य की योजनाओं और सर रमन के कार्यों एवं उपलब्धियों पर चर्चा की । विदित रहे कि वर्ष 1928 में भारतीय भौतिक विज्ञानी सर चन्द्रशेखर वेंकट रमन के द्वारा रमन प्रभाव का आविष्कार किया था । रमन प्रभाव का सम्बन्ध प्रकाश के प्रकीर्ण से है । विज्ञान के क्षेत्र में इतनी बड़ी सफलता हासिल करने के लिये भौतिक विज्ञान में चन्द्रशेखर वेंकट रमन को नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।

डॉ अनुपम अरोड़ा ने महान वैज्ञानिक रमन को याद करते हुए कहा कि पहले लोग यह मानते थे कि समुद्र का गहरा नीला रंग असल में आसमान के नील रंग के प्रतिबिम्ब के कारण है । 1921 में जब डॉ रमन इंग्लैंड से भारत लौट रहे थे उन्होनें इस बात को ध्यान से देखा और फिर सिद्ध किया कि इसकी असली वजह प्रकाश का प्रकीर्णन है जिसमें प्रकाश पानी के अणुओं पर पड़कर रौशनी का प्रकीर्णन करता है इससे समुद्र गहरा नीला दिखता है । उन्होनें कहा कि किस्टिल की स्पेक्ट्रम प्रकृति, स्टिल डाइनेमिक्स के बुनियादी मुद्दे, हीरे की संरचना और गुणों एवं अनेक रंगदीप्त पदार्थो के प्रकाशीय आचरण पर सीवी रमन का किया शोध आज भी मूल्यवान है । असल में 28 फरवरी 1928 भारत के लिए एक महान दिन था जब प्रसिद्ध भारतीय भौतिक शास्त्री चन्द्रशेखर वेंकट रमन के द्वारा भारतीय विज्ञान के क्षेत्र में आविष्कार हुआ जिसे बाद में रमन इफ़ेक्ट के नाम से जाना गया । रमन विज्ञान के क्षेत्र के पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने भारत में ऐसे आविष्कार पर शोध किया था । रमन आधुनिक युग के पहले ऐसे भारतीय वैज्ञानिक थे जिन्होंने विज्ञान के संसार में भारत को बहुत ख्याति दिलाई । भारत सरकार ने विज्ञान के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के कारण उन्हें देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न दिया है । साथ ही संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी उन्हें प्रतिष्ठित ‘लेनिन शांति पुरस्कार’ से सम्मानित किया है । भारत में विज्ञान को नई ऊंचाइयां प्रदान तथा स्वाधीन भारत में विज्ञान के अध्ययन और शोध को जबरदस्त प्रोत्साहन देने का श्रेय सर रमन को ही जाता है । विज्ञान और अंग्रेज़ी साहित्य के साथ-साथ संगीत में भी उनकी गहरी रूचि थी और यही आगे चलकर उनकी वैज्ञानिक खोजों का कारण बनी । भौतिक में एमए के दौरान वे कक्षा में कम और कॉलेज की प्रयोगशाला में ही अपने प्रयोग और खोजें करने में व्यस्त रहते । प्रौद्योगिकी में एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने पर जोर देते हुए कहा कि भारत के विकास में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की अहम भूमिका रही है तथा विज्ञान के क्षेत्र को सदा प्राथमिकता दी गयी है । रमन इफेक्ट का इस्तेमाल आज भी कई जगहों पर हो रहा है । जब भारत के चंद्रयान-1 ने चांद पर पानी होने का ऐलान किया था तो इसके पीछे भी रमन इफेक्ट का ही कमाल था । अनेक पुरस्कारों से सम्मानित सर रमन हर विद्यार्थी के आदर्श है । कड़ी मेहनत और वैज्ञानिक सोच का कोई विकल्प नहीं है और यदि हम ऐसी सोच खुद में विकसित कर ले तो बुलंदियां हमारे कदम चूमेंगी । सर रमन की याद में विद्यार्थीयो के लिए इस प्रकार के सेमीनार को आयोजित करने का उद्देश्य उन मे विज्ञान के प्रति लगाव को पैदा करना और वैज्ञानिक सोच एवं शोध को बढ़ावा देना है । वैज्ञानिक सोच के बढ़ने से ही हम एक जिम्मेदार और जागरूक नागरिक तथा वैज्ञानिक बन सकते है ।
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