Monday, April 28, 2025
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एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में चार दिवसीय राष्ट्रीय विज्ञान दिवस कार्यक्रमों का दूसरा दिन   

By LALIT SHARMA , in EDUCATIONAL , at February 27, 2025 Tags: , , , ,

दूसरे दिन विज्ञान प्रदर्शनी में 150 से अधिक प्रतिभागियों ने लिया हिस्सा

विज्ञान प्रदर्शनी में ‘पराली से एथेनॉल उत्पादन’ मॉडल रहा प्रथम   

राष्ट्र के वैज्ञानिक ही राष्ट्र के विकास को निर्धारित करते है: दिनेश गोयल  

BOL PANIPAT, 27 फरवरी.  एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में चार दिवसीय राष्ट्रीय विज्ञान दिवस कार्यक्रमों के दूसरे दिन विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन किया गया जिसमे प्रदेश के विभिन्न विश्वविधालयों और कालेजों के लगभग 150 छात्र-छात्राओं ने भाग लिया । कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि कॉलेज प्रधान दिनेश गोयल ने की ।. माननीय मेहमान का स्वागत प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा ने किया । आज की प्रतियोगिता की जूरी में प्रो राकेश कुमार सिंगला, प्रो प्रवीन आर खेरडे और प्रो मयंक अरोड़ा शामिल रहे । 25 फरवरी से 1 मार्च तक चलने वाले इस कार्यक्रम में पहले दिन पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता, दूसरे दिन विज्ञान प्रदर्शनी, तीसरे दिन डॉ. सीवी रमन मेमोरियल विस्तार व्याख्यान एवं पेपर प्रेजेंटेशन और चौथे दिन क्विज प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा । 

आज के दिन का आकर्षण कार्यक्रम का बेजौड़ उदघाटन रहा जिसे वैज्ञानिक तरीके से किया गया और पारंपरिक रिबन काटने के तरीके को आज नही अपनाया गया । जब मुख्य अतिथि ने सोडियम हाइड्रोऑक्साइड द्वारा लिखे कागज़ पर फेनोपथिलिन का छिडकाव किया तो गुप्त रूप से लिखा स्वागत सन्देश तुरंत प्रकट हो गया । प्रधान दिनेश गोयल विद्यार्थियों की इस प्रतिभा से गदगद नज़र आये ।   

आज आयोजित विज्ञान प्रदर्शनी में कॉलेज के अलावा महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी रोहतक, करनाल, कैथल, अम्बाला आदि जिलों से आये प्रतिभागियों ने पंजीकरण करवाया । प्रत्येक प्रतिभागी टीम में 3 विद्यार्थी थे और मॉडल्स भौतिकी, रसायन, गणित, प्राणी शास्त्र, वनस्पति शास्त्र और कंप्यूटर साइंस विषयों पर आधारित रहे । विज्ञान प्रदर्शनी के समन्वयक डॉ बलजिंदर सिंह, डॉ रवि कुमार, डॉ प्रियंका चांदना, डॉ रेखा, डॉ प्रवीण कुमारी, डॉ प्रोमिला, प्रो साक्षी और प्रो सुमन रहे । विजेता प्रतिभागियों को ट्राफी और प्रशस्ति पत्र से नवाज़ा जाएगा । 

रणजीत, तन्नु और श्रिष्टी द्वारा बनाये गया ‘प्रोडक्शन ऑफ़ एथेनॉल फ्रॉम राइस स्ट्रॉ’ का क्रियाशील मॉडल मुख्य आकर्षण का केंद्र रहा जिस पर सबसे अधिक भीड़ देखी गई और जहाँ पर अधिकतम छात्र-छात्राएं अपनी जिज्ञासा को शांत करते नजर आये । इस मॉडल में दिखाया गया की कैसे चावल की स्ट्रॉ से एथनोल बनाया जा सकता है और कैसे पराली की समस्या का समाधान निकाला जा सकता है । इस एथेनॉल को इंधन और अन्य विकल्पों में प्रयोग में लाया जा सकता है । इसी मॉडल को प्रथम स्थान मिला । 

अनूप जैन, निकेश और अजय द्वारा बनाये गए ‘सोरटीफाय’ मॉडल को द्वितीय पुरस्कार मिला । इस मॉडल में एक ऐसे यंत्र को बनाया गया जो सूखे, गीले, धातु वाले या अन्य किसी भी प्रकार के कचरे की पहचान करके उसे अलग-अलग एवं उचित स्थानों में डालता है । सेंसर की मदद से बनाये गए इस मॉडल को भी खूब सराहना मिली ।

प्रियांशु और दिवान्शु द्वारा बनाये गए ‘सोलर ट्रेकर’ मॉडल को तृतीय पुरस्कार मिला । इस मॉडल में सोलर पैनल को दिन के समय हमेशा सूर्य की तरफ रखने वाले यंत्रों से जोड़ा गया ताकि सोलर पैनल सूर्य के प्रकाश को 100 प्रतिशत लेते रहे । इससे हमें सर्वाधिक उर्जा मिलेगी और सूर्य की बदलती दिशा के अनुसार पैनल भी अपनी दिशा बदलेगे ।

सांत्वना पुरस्कार अंजलि, आर्य और रेणुका के मॉडल ‘सायकोमेट्रिक टेस्ट्स’ को मिला । साइकोमेट्रिक परीक्षण एक मानकीकृत मूल्यांकन है जो किसी व्यक्ति के कौशल, व्यक्तित्व और क्षमताओं को मापता है । इनका उपयोग अक्सर नियुक्ति प्रक्रिया में यह निर्धारित करने में मदद के लिए किया जाता है कि कोई उम्मीदवार नौकरी के लिए उपयुक्त है या नहीं । इसका इस्तेमाल किसी उम्मीदवार की ताकत और कमजोरियों की पहचान करने में, संभावित कैरियर पथों की पहचान करने में, सबसे उपयुक्त उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग करने में और प्रदर्शन एवं व्यवहार पैटर्न की भविष्यवाणी करने में किया जाता है ।    

इसके अलावा विज्ञान प्रदर्शनी में हाइड्रोलिक लाइफ, फार्मास्यूटिकल उद्योग में एस्पिरिन का निर्माण, सोलर ट्रेकिंग, आर-डीएनए तकनीक, वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, प्रोडक्शन ऑफ़ एथेनॉल फ्रॉम राइस स्ट्रॉ, पानी से बिजली का निर्माण, सोरटीफाय, अनगाईडेड या गाईडेड मीडिया, स्टडी हब, इको फ्रेंडली साइंस मॉडल, मेमो डायलिसिस, लेज़र सिक्यूरिटी अलार्म, साइको मेट्रिक टेस्ट्स आदि विषयों पर क्रियाशील मॉडल्स रखे गए जिन्हें छात्र-छात्राओं ने बड़े चाव और ध्यान से देखा एवं अपनी जिज्ञासा की पूर्ति हेतू सवाल किये ।     

दिनेश गोयल ने कहा कि वैज्ञानिकों के काम का सामाजिक महत्व होने के बावजूद भी वे अपने शोध कार्यों की उपयोगिता के बारे में समाज को नहीं बता पाते । इसके पीछे वैज्ञानिकों द्वारा उपयोग की जाने वाली जटिल भाषा मुख्य रूप से जिम्मेदार होती है जिसे आम लोग आसानी से समझ नहीं पाते है । परन्तु इन छात्र-छात्राओं ने इतने सारे क्रियाशील मॉडल्स के माध्यम से मुश्किल से मुश्किल सिद्धांत को भी आसानी के साथ समझाया है । इस प्रकार के मॉडल्स से हम सभी में अज्ञात को जानने की जिज्ञासा पैदा होती है । ऐसे माडल्स के माध्यम से हममे गहन समस्या के कारणों और प्रभावों को जानने की इच्छा पैदा होती है । भावुकता से परे होकर असली कारणों को जानना तथा कुछ नया खोजने और पुरानी वैज्ञानिक प्रक्रियाओं एवं विधियों को जांचने का नाम ही विज्ञान है । वैज्ञानिक प्रयोग ही हमारे ज्ञान का विस्तार करते है और इन्ही के माध्यम से मानव समाज की समस्याओं के समाधान के रास्ते हमें बताते है । तर्क और सच्ची समीक्षा से युक्त व्यक्ति ही सच्चा वैज्ञानिक होता है । विज्ञान के बिना ज्ञान और विकास में वृद्धि संभव ही नहीं है । ऐसे मॉडल्स को देखकर उन्हें विश्वास हो गया है कि आज के विज्ञान के छात्र वाकई में भविष्य में कुछ नया कर गुजरेंगे । 

प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा ने कहा कि इस तरह की विज्ञान प्रदर्शनियों और अन्य प्रतियोगिताओं को आयोजित करने का उद्देश्य छात्र-छात्राओ को विज्ञान के प्रति जागृत करना है । नए प्रयोग नई सोच को बढ़ावा देते है जिनसे ही जिम्मेदार नागरिक तथा वैज्ञानिक तैयार होते है । विज्ञान हर नए अनुसंधान के साथ मानव जीवन को अधिक सरल बनाता चला जा रहा है । आज विज्ञान के बढ़ते चहुंमुखी विकास के कारण मानव दुनिया के हर क्षेत्र में सबसे आगे है । मानव ने विज्ञान की सहायता से पृथ्वी पर उपलब्ध हर चीज को अपने काबू में कर लिया है । विज्ञान की सहायता से हम ऊंचे आसमान में उड़ सकते हैं और गहरे पानी में सांस ले सकते हैं । विज्ञान के बढ़ते हुए विकास के कारण ही हम चंद्रमा से लेकर मंगल ग्रह तक पहुंच पाए हैं । प्राचीन काल में जो चीजें असंभव सी प्रतीत होती थी वह विज्ञान के बढ़ते शोध एवं ज्ञान के कारण अब साधारण सी दिखने लगी है । विभिन्न कालेजों के छात्र-छात्राओं ने ऐसे सुन्दर मॉडल्स को बना कर अपनी वैज्ञानिक सोच को नया विस्तार दिया है और हममें भविष्य के लिए नए विचार और सोच पैदा की है ।

प्रो प्रवीण आर खेरडे ने विज्ञान दिवस की बधाई देते हुए कहा कि आज के क्रियाशील मॉडल्स को देखकर उन्हें इस बात की ख़ुशी हुई है कि आज का युवा वैज्ञानिक सोच और दृष्टिकोण से लबरेज है । 

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